नागरिकता विधेयक वापस लेने की मांग को लेकर वैज्ञानिकों और विद्वानों ने याचिका पर हस्ताक्षर किए

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता जानू बरुआ ने असम राज्य फिल्म महोत्सव से अपनी फिल्म वापस ली. विधेयक से सिक्किम को बाहर न रखने पर भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने कहा कि इससे उनके राज्य को मिलने वाले विशेष प्रावधान कमज़ोर पड़ सकते हैं.

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Guwahati: Activists from the Veer Lachit Sena, Assam shout slogans as they protest against Citizenship Amendment Bill, in Guwahati, Saturday, Dec. 7, 2019. (PTI Photo) (PTI12_7_2019_000081B)

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता जानू बरुआ ने असम राज्य फिल्म महोत्सव से अपनी फिल्म वापस ली. विधेयक से सिक्किम को बाहर न रखने पर भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने कहा कि इससे उनके राज्य को मिलने वाले विशेष प्रावधान कमज़ोर पड़ सकते हैं.

Guwahati: Activists from the Veer Lachit Sena, Assam shout slogans as they protest against Citizenship Amendment Bill, in Guwahati, Saturday, Dec. 7, 2019. (PTI Photo) (PTI12_7_2019_000081B)
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/गुवाहाटी/गंगटोक: लोकसभा में सोमवार रात पारित नागरिकता संशोधन विधेयक के वर्तमान स्वरूप को वापस लेने की मांग को लेकर एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं.

नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.

याचिका में कहा गया है, ‘चिंताशील नागरिकों के नाते हम अपने स्तर पर वक्तव्य जारी कर रहे हैं ताकि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को सदन पटल पर रखे जाने की खबरों के प्रति अपनी निराशा जाहिर कर सकें.’

याचिका पर हस्ताक्षर सोमवार को विधेयक सदन में रखे जाने से पहले किए गए थे.

याचिका में कहा गया, ‘विधेयक के वर्तमान स्वरूप में वास्तव में क्या है यह तो हमें पता नहीं है, इसलिए हमारा वक्तव्य मीडिया में आई खबरों और लोकसभा में जनवरी 2019 में पारित विधेयक के पूर्व स्वरूप पर आधारित है.’

याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े विद्वान शामिल हैं.

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि अगर ये विधेयक पारित हुआ तो वह सविनय अवज्ञा करेंगे.

मंदर ने ट्वीट किया, ‘मैं आधिकारिक रूप से एक मस्लिम के रूप में पंजीकरण करूंगा. इसके बाद मैं एनआरसी को कोई भी दस्तावेज देने से इनकार कर दूंगा. फिर मैं बिना दस्तावेज वाले मुस्लिम की तरह ही सजा की मांग करूंगा. हिरासत केंद्र और नागरिकता वापस ले लेना. इस सविनय अवज्ञा में शामिल होइए.’

प्रताप भानु मेहता ने कहा नागरिकता विधेयक भारत को एक ‘नस्लवादी तंत्र’ में बदल देगा.

शिक्षाविद् रामचंद्र गुहा ने गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की और उन पर आरोप लगाया कि उन्हें मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धान्त से कोई ऐतराज नहीं.

नागरिकता संशोधन विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो. उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा.

विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है. अब इसे बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

इस विधेयक के लोकसभा में पास होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है. उत्तर पूर्व के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है. इनका दावा है कि यह विधेयक क्षेत्र के मूल निवासियों के अधिकारों को कमतर कर देगा.

मालूम हो कि पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में भी नागरिकता संशोधन विधेयक का जबरदस्त विरोध हो रहा है. मंगलवार को इन राज्यों में पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया गया. इस दौरान स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद रहीं.

असम में इस विधेयक का व्यापक स्तर पर विरोध हो रहा है. यहां के लोगों का कहना है कि इससे असम समझौता, 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे, जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है.

विधेयक के विरोध में जानू बरुआ ने फिल्म महोत्सव से अपनी फिल्म वापस ली

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता जानू बरुआ ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में अपनी फिल्म ‘भोगा खिड़की’ (टूटी खिड़की) को असम फिल्म महोत्सव से मंगलवार को वापस ले लिया. असमी भाषा में बनी इस फिल्म का निर्माण बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के बैनर ने किया है.

असम और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में जारी अशांति पर रोष जताते हुए पद्मभूषण से सम्मानित बरुआ ने कहा कि सिर्फ सत्ता की राजनीति के लिए नेता अपनी मातृभूमि की इज्जत को तार-तार कर रहे हैं.

बरुआ ने बताया, ‘विधेयक को लेकर मौजूदा हालात से मैं बहुत दुखी हूं. यह विधेयक नहीं आना चाहिए था. हम नेतृत्व में विश्वास रखते हैं, लेकिन वे हमें समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं. ऐसे हालात में, मैं ऐसे किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेना चाहता.’

आठवां असम राज्य फिल्म पुरस्कार और फिल्म महोत्सव, 2019 गुवाहाटी में 26-27 दिसंबर को आयोजित होना है.

बरूआ ने कहा कि उन्होंने हमेशा ही इस विवादित विधेयक का विरोध किया है, फिल्म निर्देशक ने कहा कि अगर कैब लागू किया गया तो 50-100 साल के बाद असमी भाषा का अस्तित्व ही नहीं रहेगा.

उन्होंने कहा, ‘असमी समुदाय भाषा आधारित है. सभी धर्मों के लोग हैं और हम चाहते हैं कि यह ऐसा ही रहे. भाषा हमारे लिए सब कुछ है. अगर हम उसे खो देंगे तो फिर क्या होगा? कलाकार होने के नाते मैं साफ-साफ देख सकता हूं कि क्या होने वाला है.’

सिक्किम को मिले विशेष प्रावधानों को कमज़ोर करेगा नागरिकता संशोधन विधेयक: बाईचुंग भूटिया

भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया ने कई पूर्वोत्तर राज्यों के विपरीत सिक्किम को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के दायरे से बाहर नहीं रखे जाने पर मंगलवार को निराशा जाहिर की.

‘हमरो सिक्किम पार्टी’ के कार्यकारी अध्यक्ष भूटिया ने इस बात को लेकर डर जताया कि इस विधेयक के कारण हिमालय राज्य को मिलने वाले विशेष प्रावधान कमजोर पड़ सकते हैं, जो उसे संविधान के अनुच्छेद 371एफ के तहत हासिल है.

उन्होंने सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा नीत सरकार से ‘इनर लाइन परमिट’ को लागू करने का दबाव बनाने और विधेयक पारित करने के विरोध में राजग का साथ छोड़ने को कहा.

भूटिया ने फेसबुक पर लिखा, ‘हम सीएबी से बेहद निराश हैं. विधेयक में अन्य पूर्वोत्तर राज्यों नगालैंड, मेघालय और अन्य की तरह सिक्किम को छूट नहीं दी गई.’

उन्होंने लिखा, ‘हम चाहते हैं कि अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तरह विधेयक में सिक्किम का भी लिखित वर्णन हो.’

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि इस प्रावधान से राज्य को अनुच्छेद 371 के तहत मिलने वाला विशेष दर्जा जारी रहेगा, लेकिन कानूनी प्रावधान अनुच्छेद 371एफ से अलग है.

भूटिया ने कहा, ‘विधेयक निश्चित तौर पर आगे चलकर अनुच्छेद 371एफ को कमजोर करेगा.’

उन्होंने कहा कि सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग और लोकसभा में राज्य के एकमात्र सांसद इंद्र हैंग सुब्बा विधेयक के दायरे से सिक्किम को बाहर रखने में नाकाम रहे. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री और सांसद दावा कर रहे हैं कि सिक्किम को कैब से बाहर रखने के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन नतीजे फलदायी नहीं रहे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)