न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अगुवाई में जांच समिति गठित की. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में कोई अन्य न्यायालय या कोई अन्य विभाग तब तक जांच नहीं करेंगे.
नई दिल्ली: हैदराबाद की डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के चारों आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अगुवाई में न्यायिक जांच का आदेश दिया है.
इस जांच समिति में जस्टिस वीएस सिरपुरकर के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रेखा बाल्डोटा और पूर्व सीबीआई निदेशक कार्तिकेयन शामिल हैं. कोर्ट ने इस जांच की समयसीमा छह महीने तय की है.
शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा है कि इस मामले में कोई अन्य न्यायालय या कोई अन्य विभाग तब तक जांच नहीं करेंगे. इसका मतलब है कि तेलंगाना हाईकोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार की जांच पर रोक लगा दी गई है.
Supreme Court orders a three member judicial inquiry into #TelanganaEncounter which is to be headed by former SC judge VS Sirpurkar. SC says no other court or authority shall inquire into this matter until further orders of this court. https://t.co/pnCRkqeWfZ
— ANI (@ANI) December 12, 2019
मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लोगों को सच जानने का अधिकार है. इससे पहले बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पक्षकारों से कहा था कि वे मामले की जांच के लिए व्यक्तियों के नाम सुझाएं.
सुनवाई के दौरान तेलंगाना सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पुलिस की बातों को दोहराते हुए कहा कि आरोपियों ने पुलिस के रिवॉल्वर को छीन लिया था और उन पर पत्थरबाजी करने लगे थे.
पुलिस के अनुसार चेट्टनपल्ली में बीते छह दिसंबर को सुबह सभी आरोपी पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मारे गए थे. आरोपियों को घटना की जांच के संबंध में अपराध स्थल पर ले जाया गया था, जहां पुलिया के निकट 25 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक का शव 28 नवंबर को मिला था.
रोहतगी ने कहा कि तेलंगाना हाईकोर्ट ने पहले ही मामले का संज्ञान लिया है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक स्वत: संज्ञान जांच चल रही है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन सरकार मामले में निष्पक्ष जांच के खिलाफ नहीं है.’
हालांकि कोर्ट ने आपत्तियों को खारिज करते हुए एक जांच समिति गठित की और छह महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.
यह आदेश वकील जीएस मणि और प्रदीप कुमार यादव द्वारा दायर याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने मांग किया है कि इस मुठभेड़ पर पुलिस टीम के मुखिया समेत सभी अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर जांच कराई जानी चाहिए.
याचिका में कहा गया है कि ये भी जांच हो कि क्या मुठभेड़ को लेकर पीयूसीएल व अन्य बनाम भारत संघ मामले में 2014 में दी गई सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किया गया है या नहीं. इसके साथ ही तेलंगाना सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक से घटना संबंधी सारा रिकॉर्ड तलब करने का अनुरोध किया गया है.
दूसरी याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दाखिल कर कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से जांच के साथ-साथ आरोपियों के खिलाफ टिप्पणी करने पर राज्य सभा सासंद जया बच्चन और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि जब तक ऐसे मामलों में शामिल आरोपी अदालत द्वारा दोषी करार ना दिए जाएं, मीडिया में बहस पर रोक लगाई जाए.