सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं को पुनर्विचार याचिका पर फैसला आने तक इंतजार करने को कहा है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं बिंदु अम्मिनी और रेहाना फातिमा को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए केरल सरकार द्वारा सुरक्षा मुहैया कराने के लिए आदेश जारी करने से इनकार कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में सुरक्षा मुहैया करवाने को लेकर दो महिला कार्यकर्ताओं ने अदालत में याचिका दायर की थी.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन्हें पुनर्विचार याचिका पर फैसला आने तक इंतजार करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा काफी भावात्मक है और वह नहीं चाहते कि स्थिति विस्फोटक हो जाए.
पीठ ने कहा कि सुविधा में संतुलन बनाने की जरूरत है. आज इस मामले पर कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है क्योंकि इस मामले को पहले ही सात सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया गया है.
मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और सुरक्षा को लेकर याचिका दायर करने वालीं बिंदु अम्मिनी और रेहाना फातिमा की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के लिए उम्र की सीमा पिछले साल हटा दी थी और और दो जज इस मामले को बड़ी पीठ के समक्ष भेजने पर सहमत नहीं थे’
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘एक जज का फैसला दूसरे की तुलना में अधिक वजनदार नहीं होता. हम कोई आदेश पारित नहीं करने को लेकर अपने विवेक का इस्तेमाल कर रहे हैं.’
पीठ ने कहा कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले 28 सितंबर 2018 के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई गई है लेकिन यह भी सच है कि यह अंतिम फैसला नहीं है.
चीफ जस्टिस बोबडे ने सुनवाई के दौरान 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर सात जजों की संविधान पीठ का गठन करने का निर्देश दिया.
अदालत ने कहा कि यह मुद्दा भावनाओं से जुड़ा है. हम यहां आदेश का पालन नहीं, बल्कि अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम जानते हैं कि सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश का फैसला बरकरार है. यह मामला विचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा गया है. हम सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले को लागू कराएंगे, लेकिन आज नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को याचिकाकर्ताओं बिंदु अम्मिनी और रेहाना फातिमा को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया है.
बता दें कि बीते 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला दिया था कि सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को जाने की इजाजत है.
कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को मंदिर में घुसने की इजाजत ना देना संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) का उल्लंघन है. लिंग के आधार पर भक्ति (पूजा-पाठ) में भेदभाव नहीं किया जा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)