आंध्र प्रदेश: महिलाओं व बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों की जल्द सुनवाई के लिए विधेयक पारित

आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक क़ानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच उनके दर्ज होने के सात कामकाजी दिन और मुक़दमे की सुनवाई आरोपपत्र दाखिल होने के 14 कामकाजी दिन के भीतर पूरी करनी होगी.

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक क़ानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच उनके दर्ज होने के सात कामकाजी दिन और मुक़दमे की सुनवाई आरोपपत्र दाखिल होने के 14 कामकाजी दिन के भीतर पूरी करनी होगी.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

अमरावती: आंध्र प्रदेश विधानसभा ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन के लिए शुक्रवार को एक विधेयक पारित कर दिया.

इस संशोधन के माध्यम से प्रावधान किया गया है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों, खास कर यौन अपराधों के मामलों की तेजी से जांच और सुनवाई होगी और दोषी को मौत की सजा दी जा सकेगी.

प्रस्तावित नए कानून का नाम ‘आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक कानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 रखा गया है.

विधेयक में ‘दिशा’ नाम इसलिए जोड़ा गया है कि हाल ही में पड़ोसी राज्य तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक से बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. पीड़िता को दिशा काल्पनिक नाम दिया गया. यह विधेयक पीड़िता को दी गई श्रद्धांजलि है.

गृह राज्य मंत्री एम. सुचरिता ने यह विधेयक विधानसभा में पेश किया, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने ‘क्रांतिकारी’ बताया.

बीबीसी के मुताबिक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कहा, ‘भले ही हाल ही में हुई रेप की घटना पड़ोसी राज्य तेलंगाना में हुई थी लेकिन उनकी सरकार इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है. महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए यह क़ानून लाया जा रहा है.’

नए कानून के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच दर्ज होने के सात कामकाजी दिन के भीतर पूरी होगी और आरोपपत्र दाखिल किए जाने के 14 कामकाजी दिन के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी होगी.

नए कानून के तहत दी गयी सजा के खिलाफ अपील का निपटारा छह महीने के भीतर करना होगा.

आईपीसी में तीन नई धाराएं 354 (ई), 354 (एफ) और 354 (जी) शामिल की जाएंगी. इन धाराओं के तहत क्रमश: महिलाओं के उत्पीड़न, बच्चों के यौन उत्पीड़न और बच्चों पर बढ़ रहे यौन हमले की व्याख्या की गयी है.

354 (एफ) धारा में बाल यौन शोषण के दोषियों के लिए दस से 14 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. अगर मामला बेहद गंभीर और अमानवीय है तो उम्र क़ैद की सज़ा भी दी जा सकती है.

354 (ई) तहत अगर कोई शख़्स ई-मेल, सोशल मीडिया और किसी भी डिजिटल प्लेटफार्म पर कुछ ऐसी पोस्ट या तस्वीरें डालता है, जिससे किसी महिला के सम्मान को आघात पहुंचता है तो ये अपराध की श्रेणी में होगा.

अगर कोई शख़्स ऐसा पहली बार कर रहा है तो दो साल की सज़ा और दूसरी बार चार साल की सज़ा का प्रावधान है.

विधानसभा ने एक और विधेयक पारित किया जिसके तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन होगा.

प्रस्तावित नए कानून के जरिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की तेजी से सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में एक या अधिक विशेष अदालतों का गठन हो सकेगा.

इन अपराधों की जांच के लिए उप-अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम बनाने का भी अधिकार होगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)