अरुणाचल प्रदेश: सीएबी के विरोध में छात्रों ने किया परीक्षा का बहिष्कार, सड़कों पर उतरे

प्रदर्शनकारी छात्रों ने राज्यपाल बीडी मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा और कहा, यह कानून इस क्षेत्र को धर्म के आधार पर बांट देगा और मूल लोगों का अस्तित्व संकट में डाल देगा.

प्रदर्शनकारी छात्रों ने राज्यपाल बीडी मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा और कहा, यह कानून इस क्षेत्र को धर्म के आधार पर बांट देगा और मूल लोगों का अस्तित्व संकट में डाल देगा.

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सीएबी के विरोध में अरुणाचल प्रदेश में प्रदर्शन करते लोग (फोटो साभारः द अरुणाचल टाइम्स)

ईटानगरः नागरिकता संशोधन कानून (सीएबी) के विरोध में अरुणाचल प्रदेश में राजीव गांधी विश्वविद्यालय छात्र संघ (आरजीयूएसयू) और स्टूडेंट यूनियन ऑफ एनईआरआईएसटी (सन) की अगुवाई में हजारों प्रदर्शनकारियों ने करीब 30 किलोमीटर तक विश्वविद्यालय से राजभवन की ओर कूच किया.

असमी समुदाय समेत स्थानीय लोग यहां इस कानून के खिलाफ रैली में शामिल हुए. इनमें से ज्यादातर लोगों ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल बीडी मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा और कहा कि संशोधित कानून राज्य में लागू नहीं किया जाए.

प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘हम नागरिकता कानून का विरोध करते हैं और चाहते हैं कि तत्काल उसे वापस लिया जाए. यह कानून इस क्षेत्र को धर्म के आधार पर बांट देगा और मूल लोगों का अस्तित्व संकट में डाल देगा.’

इस कानून के तहत धार्मिक उत्पीड़न के चलते 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी.

हालांकि इसके दायरे से असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों को बाहर रखा गया है क्योंकि वे संविधान की छठी अनुसूची में हैं. उन क्षेत्रों को भी कानून के बाहर रखा गया है जो इनर लाइन परमिट के तहत आते हैं.

चकमा-हाजोंग शरणार्थियों पर केंद्र व राज्य सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए: आपसू

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आपसू) ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को चकमा-हाजोंग शरणार्थियों पर अपना रुख साफ करना चाहिए जिन्हें संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद नागरिकता मिलने की संभावना है.

मालूम हो कि राज्य का यह शीर्ष छात्र संगठन पिछले कई दशक से शरणार्थी मुद्दे पर मुहिम चला रहा है.

आपसू के अध्यक्ष हावा बगांग ने कहा, ‘हम नई दिल्ली से स्पष्ट जवाब चाहते हैं कि क्या चकमा हाजोंग शरणार्थी के रूप में रहेंगे या फिर नागरिक के रूप में? यदि उन्हें नागरिकता का दर्जा दिया जाता है तो वे कहां बसेंगे.’

उन्होंने कहा कि राज्य के लोग शरणार्थी मुद्दे की मार पहले ही झेल चुके हैं और उन्होंने बार बार इसका जबरदस्त विरोध किया है.

बगांग ने कहा, ‘यदि केंद्र शरणार्थियों को नागरिकता का दर्जा देना चाहता है और उन्हें अरुणाचल प्रदेश में बसाना चाहता है तो हम राज्य में भीषण आंदोलन छेड़ेंगे. हम उसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे.’

उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन के घटक के रूप में आपसू विवादास्पद नागरिकता विधेयक (अब संशोधित नागरिकता विधेयक) का पहले दिन से विरोध कर रही है और वह उसके निर्देशानुसार काम करेगी. उन्होंने कहा कि आपसू नस्ल, संस्कृति और भाषाओं की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रही है.

बगांग ने कहा कि अमित शाह ने 30 नवंबर को नई दिल्ली में राज्य के विभिन्न पक्षकारों को बंगाल ईस्टर्न रेगुलेशन, 1873 और चिन हिल्स रेगुलेशन, 1986 के सभी लागू योग्य प्रावधानों को शामिल करने का आश्वासन दिया था.

आपसू चाहती है कि आश्वासन का कड़ाई से लागू किया जाए ताकि इस राज्य का क्षेत्र के अन्य राज्यों के साथ पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)