देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में चल रहे नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को जारी किए गए एक सर्कुलर में कहा गया है कि वे किसी धरना या प्रदर्शन में हिस्सा न लें.
देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं को किसी प्रदर्शन का हिस्सा बनने से मना किया है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि छात्राओं का बिना अनुमति किसी धरना या प्रदर्शन में भाग लेना प्रतिबंधित है.
यह सर्कुलर प्रॉक्टर और कैंपस इंचार्ज (महिला छात्रावास) डॉ. सरोज यादव द्वारा 13 दिसंबर को जारी किया गया है.
सर्कुलर में कहा गया है, ‘छात्रावास में रहने वाली सभी छात्राओं से अपेक्षित है कि वे अपनी सुरक्षा की दृष्टि से छात्रावास के नियमों का दृढ़ता से अनुपालन करेंगी. सभी छात्राओं को अनिवार्य रूप से हॉस्टल रजिस्टर में आने-जाने का समय दस्तखत के साथ दर्ज करना है.’
आगे कहा गया है, ‘अगर परिसर में कोई अनुशासनहीनता करते हुए या किसी अवांछित या संदिग्ध गतिविधि में संलिप्त दिखाई दे तो इसकी सूचना परिसर प्रभारी को दें. किसी भी धरना या प्रदर्शन में बिना अनुमति हिस्सा लेना निषेध है.’
सूत्रों का कहना है कि यह सर्कुलर देश के विभिन्न हिस्सों के कॉलेज कैंपसों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है.
मालूम हो कि बीते हफ्ते संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से बने इस कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम लोगों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी.