दक्षिणी दिल्ली में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद जामिया मिलिया परिसर में हुई हिंसा में करीब 100 लोग घायल हुए हैं. माहौल अब भी तनावपूर्ण.
नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए 50 छात्रों को रिहा कर दिया गया है.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 50 छात्रों में से 35 कालकाजी पुलिस थाने और 15 न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस थाने से रिहा किए गए हैं.
बता दें कि रविवार की शाम दक्षिणी दिल्ली के कालिंदी कुंज इलाके में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस जामिया मिलिया कैंपस में पहुंची थी.
जामिया के छात्रों का आरोप है कि यहां पुलिस ने लाइब्रेरी समेत परिसर में विभिन्न जगहों पर आंसू गैस के गोले फेंके, छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज किया.
Bushra Sheikh, Journalist: I came here for BBC's coverage, they (police) took away my phone,broke it.A male police personnel pulled my hair.They hit me with a baton&when I asked them for my phone they hurled abuses at me.I didn't come here for fun,I came here for coverage https://t.co/x7GpU6flfd pic.twitter.com/pB8ph94WW9
— ANI (@ANI) December 15, 2019
पुलिस की इस कार्रवाई में अनेकों छात्र घायल हुए और कई को हिरासत में लिया गया.
बीबीसी की एक महिला पत्रकार का भी आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट और बदसलूकी की है. समाचार एजेंसी एनएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं यहां प्रदर्शन की कवरेज के लिए आयी थी. पुलिस ने मेरा फोन लिया और तोड़ दिया. एक पुरुष पुलिसकर्मी ने मेरे बाल खींचे, मुझे लाठी से मारा. जब मैंने अपना फोन वापस मांगा तब उन्होंने मुझे गाली दी.’
यह भी आरोप है कि हिरासत में लिए गए छात्रों की मदद के लिए कालकाजी और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पहुंचे वकीलों और कार्यकर्ताओं को भी छात्रों से मिलने नहीं दिया गया.
A student in an ambulance, who was in the library describes the police assault against him.
Both his legs were fractured by the police lathi charge, and he says that the police told him to run. When he said he could not, the police continued to beat him. #JamiaProtest pic.twitter.com/4RbGuFDdlg
— The Wire (@thewire_in) December 15, 2019
सोशल मीडिया पर सामने आए जामिया मिलिया के कई वीडियो में कई छात्र घायल हुए जमीन पर पड़े दिखते हैं और उन्हें पीटा जा रहा है. ऐसी अपुष्ट ख़बरें भी है कि पुलिस द्वारा फायरिंग भी की गई लेकिन पुलिस ने इससे इनकार किया है.
बताया जाता है कि पुलिस परिसर में बनी मस्जिद और लाइब्रेरी से छात्रों को घसीटकर बाहर लाई, उनके हाथ ऊपर करवाकर मार्च कराते हुए उन्हें हिरासत में लिया गया.
रविवार को हुई हिंसा में करीब 100 लोगों के घायल होने की खबर है.
पुलिस जबरन जामिया परिसर में घुसी, इजाजत नहीं ली: चीफ प्रॉक्टर
इस बीच जामिया मिलिया इस्लामिया के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने रविवार को दावा किया था कि दिल्ली पुलिस के कर्मी बगैर इजाजत के जबरन विश्वविद्यालय में घुस गये और कर्मचारियों तथा छात्रों को पीटा तथा उन्हें परिसर छोड़ने के लिए मजबूर किया.
हालांकि, पुलिस का कहना था कि दक्षिण दिल्ली में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के निकट प्रदर्शनकारियों के हिंसा में संलिप्त होने के बाद वे (पुलिसकर्मी) केवल स्थिति नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में घुसे थे.
विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि पुस्तकालय के भीतर मौजूद छात्रों को निकाला गया और वे सुरक्षित हैं.
उन्होंने बताया, ‘जामिया के छात्रों ने रविवार को कोई प्रदर्शन आयोजित नहीं किया था. मुझे बताया गया है कि विरोध प्रदर्शन आसपास के इलाकों का था जहां वे जामिया से जुलैना की तरफ निकलने वाले थे. उनकी पुलिस के साथ झड़प हुई और वे यूनिवर्सिटी का गेट तोड़ते हुए कैंपस के अंदर घुस गए.’
Najma Akhtar, VC of Jamia Millia Islamia: Police couldn't differentiate between the protesters and students sitting in the library. Many students and staff were injured. There was so much ruckus that Police couldn't take permission. I hope for peace and safety of our students. https://t.co/ffAJ5E3D1w
— ANI (@ANI) December 15, 2019
कुलपति ने कहा कि उनके छात्र हिंसक प्रदर्शन में शामिल नहीं थे. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘शाम में जब आंदोलन शुरू हुआ तो मेरे छात्रों ने इसका आह्वान नहीं किया था. वे समूह से जुड़े हुए नहीं थे.’
उन्होंने कहा, ‘… किस विश्वविद्यालय में इतनी भारी भीड़ हो सकती है. कम से कम मेरे विश्वविद्यालय में नहीं. आज रविवार था और हमने पहले ही शनिवार को शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया था, इसलिए आधे छात्र पहले ही अपने घर जा चुके थे.’
विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि वे जामिया के हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों के पीछे भागी और उनमें से कुछ विश्वविद्यालय में घुस गये.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘पुलिस ने उनका पीछा किया. वे (पुलिसकर्मी) हमसे कम से कम पूछ सकते थे लेकिन वे विश्वविद्यालय में घुस गये. उन्होंने हमारा पुस्तकालय खोला और हमारे छात्रों को परेशान किया.’
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पुलिस जुलैना के पास कुछ कर रहे एक बड़े समूह के पीछे थी. जब वे उनके पीछे भागे, तब कुछ लोग जामिया परिसर में घुस गए. उनके पीछे पुलिस भी बिना इजाज़त अंदर आ गयी.’
उन्होंने आंसू गैस के इस्तेमाल को गलत बताया. उन्होंने कहा, ‘छात्र डरे हुए हैं और यह गलत है. हमने सबसे बात की है. हमारे रजिस्ट्रार ने इस पूरे मामले पर जॉइंट कमिश्नर से बात की है.’
सूत्रों के अनुसार कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दक्षिण दिल्ली में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा होने के तुरन्त बाद पुलिस जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर में घुस गई और छिपने के लिए परिसर में आये कुछ ‘बाहरी लोगों’ को गिरफ्तार करने के लिए विश्वविद्यालय के द्वारों को बंद कर दिया.
चीफ प्रॉक्टर ने कहा, ‘पुलिस जबरन परिसर में घुसी थी, कोई अनुमति नहीं ली गई. कर्मचारियों और छात्रों को पीटा गया और उन्हें परिसर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.’
पुलिस के साथ युवक छात्रावासों से बाहर आते दिखे, जिन्होंने अपने हाथ ऊपर उठा रखे थे. उनमें से कुछ ने दावा किया कि पुलिस पुस्तकालय में भी घुसी और छात्रों को ‘प्रताड़ित’ किया.
जामिया मिलिया छात्रों के समूह के साथ-साथ टीचर्स एसोसिएशन ने भी रविवार अपराह्र विश्वविद्यालय के निकट हुई हिंसा और आगजनी से खुद को अलग किया है.
जामिया परिसर में हुई हिंसा और छात्रों को हिरासत में लिए खबर बाहर आने के बड़ी संख्या में विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र, नागरिक समूह और आम लोग दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस के मुख्यालय पर जमा हो गए.
यहां छात्रों को रिहा करने और दिल्ली पुलिस द्वारा की गई कथित हिंसक कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी की गई.
हमारे छात्र हिंसा में शामिल नहीं- जामिया
हिंसा के बाद विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि शु्क्रवार को पुलिस और छात्रों के बीच झड़प के बाद उसने पहले ही सर्दियों की छुट्टी घोषित कर दी है और सेमेस्टर परीक्षा टाल दी है.
विश्वविद्यालय ने कहा, ‘छात्रावास में रहने वाले बड़ी संख्या में छात्र पहले ही यहां से चले गए हैं और कुलपति नजमा अख्तर ने छात्रों से शांति बनाये रखने की अपील की है.
इस बीच पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) चिन्मॉय बिस्वाल ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान चार बसों और दो पुलिस वाहनों को जला दिया गया. उन्होंने कहा कि इसमें छह पुलिसकर्मी घायल हुए है.
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के अंदर से पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया और ‘हिंसक भीड़’ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गये.
बिस्वाल ने कहा कि कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है लेकिन उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी.
जामिया में माहौल अब भी तनावपूर्ण, घर लौट रहे हैं छात्र-छात्राएं
जामिया परिसर में रविवार को हुई हिंसा के बाद स्थिति सोमवार सुबह भी तनावपूर्ण बनी हुई है और कई छात्र-छात्राएं अपने घरों के लिए निकल रहे हैं.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया.
रविवार को आगजनी और हिंसा की घटनाओं के बाद पुलिसकर्मी विश्वविद्यालय परिसर में घुस आए थे और लाठी चार्ज किया था.
सूत्रों के अनुसार स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है और कई छात्राएं विश्वविद्यालय परिसर छोड़ अब घर का रुख कर रही हैं. छात्र-छात्राएं अब विश्वविद्यालय परिसर में भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं.
विश्वविद्यालय ने पांच जनवरी तक शीतकालीन अवकाश की घोषणा शनिवार को कर दी थी. परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)