उन्नाव बलात्कार मामला: अदालत ने पूर्व भाजपा नेता और विधायक कुलदीप सेंगर को दोषी करार दिया

दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व भाजपा नेता और उन्नाव से विधायक कुलदीप सेंगर द्वारा साल 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग लड़की का अपहरण और बलात्कार करने के मामले में सह आरोपी शशि सिंह को बरी कर दिया. इस मामले में सजा का ऐलान 18 दिसंबर को होगा.

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Lucknow: BJP MLA from Unnao Kuldip Singh Sengar, accused in a rape case, surrounded by media persons outside the office of the Senior Superintendent of Police in Lucknow on Wednesday night. PTI Photo by Nand Kumar(PTI4_12_2018_000001B)
कुलदीप सेंगर. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व भाजपा नेता और उन्नाव से विधायक कुलदीप सेंगर द्वारा साल 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग लड़की का अपहरण और बलात्कार करने के मामले में सह आरोपी शशि सिंह को बरी कर दिया. इस मामले में सजा का ऐलान 18 दिसंबर को होगा.

Lucknow: BJP MLA from Unnao Kuldip Singh Sengar, accused in a rape case, surrounded by media persons outside the office of the Senior Superintendent of Police in Lucknow on Wednesday night. PTI Photo by Nand Kumar(PTI4_12_2018_000001B)
विधायक कुलदीप सेंगर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को पूर्व भाजपा नेता और उन्नाव से विधायक कुलदीप सेंगर को साल 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग लड़की का अपहरण और बलात्कार करने का दोषी करार दिया है. हालांकि, इस मामले में सह आरोपी शशि सिंह को बरी कर दिया गया. इस मामले में सजा का ऐलान 18 दिसंबर को होगा.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अदालत ने कहा, ‘सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति था, पीड़ित एक गांव की लड़की थी, न कि एक महानगरीय शिक्षित क्षेत्र से जिसके कारण मामला दर्ज करने में देरी हुई. मैंने उसके बयान को सत्य पाया. इस आरोप में कोई संदेह नहीं है कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया और धमकी दी गई.’

इसके साथ ही अदालत ने पीड़िता के खिलाफ बदले की कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि पीड़िता द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बाद उसके परिवार के लोगों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए.

अदालत ने मामले में आरोपपत्र दाखिल करने में देरी के लिए सीबीआई को फटकार भी लगाई और कहा कि इससे सेंगर के खिलाफ मामले की सुनवाई में देरी हुई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, फैसला सुनने के बाद सेंगर अदालत में रोने लगा. वह अपनी बहन के बगल में खड़ा होकर रो रहा था.

जिला जज धर्मेश शर्मा ने सेंगर को आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत लोक सेवक रहते हुए एक बच्चे के खिलाफ क्रूर यौन उत्पीड़न अपराध के लिए बलात्कार का दोषी ठहराया. ऐसे अपराध के लिए अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है.

अदालत ने सेंगर और सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण या शादी के लिए मजबूर करने के लिए किसी महिला को प्रेरित करना), 376 (बलात्कार) और पॉक्सो की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.

सेंगर ने 2017 में अब 19 वर्ष की हो चुकी पीड़िता का कथित तौर पर बलात्कार किया था. उस समय पीड़िता नाबालिग थी.

इसके बाद लखनऊ में स्थित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर के बाहर पीड़िता ने धमकी दी कि अगर पुलिस उसकी शिकायत दर्ज नहीं करेगी तो वह खुद को आग लगा लेगी. इसके बाद पिछले साल अप्रैल में सेंगर को गिरफ्तार किया गया.

उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से चार बार भाजपा के विधायक रह चुके सेंगर को इस साल अगस्त में पार्टी से तब निकाल दिया गया जब पीड़िता और उसका परिवार सड़क हादसे का शिकार हो गया.

वह 28 जुलाई को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुए सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई थी. पीड़िता की कार को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दिया था, जिसमें उसके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी और उनका वकील गंभीर रूप से घायल हो गया था.

हादसे के समय पीड़िता की सुरक्षा में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस का कोई सुरक्षा कर्मी उसके साथ नहीं था. इन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

हादसे के दो दिन बाद सीबीआई ने 30 जुलाई को सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के दामाद अरुण सिंह और सात अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. पीड़िता के साथ हुए हादसे में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और 10 अन्य को आरोपी बनाया गया है.

इसके बाद लखनऊ के एक अस्पताल से दिल्ली के एम्स में भर्ती कराई गई पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए एम्स में एक विशेष अदालत लगाई गई थी.

इससे पहले पीड़िता के पिता की कथित तौर पर पिटाई की गई थी और अवैध हथियार रखने का मामला दर्ज किया गया था. न्यायिक हिरासत के दौरान 29 अप्रैल 2018 को उनकी मौत हो गई थी. इस आरोप में अदालत ने सेंगर और 10 अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे.

पीड़िता ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि वह सेंगर की धमकियों का सामना कर रही है. उसके बाद मामले को उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्नाव बलात्कार मामले से जुड़े सभी पांच मामले दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर किए गए.