राज्य में नागरिकता क़ानून को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के बीच अखिल गोगोई को बीते गुरुवार को गिरफ़्तार किया गया था. शनिवार को दायर एफआईआर में एनआईए ने नए यूएपीए क़ानून के तहत मामला दर्ज करते हुए भाकपा माओवादी से संबद्ध बताया है.
असम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में मुखर रहे कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गोगोई पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने उन पर कथित तौर पर भाकपा (माओवादी) का कार्यकर्ता बताते हुए राष्ट्रद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया है. असम में नागरिकता कानून को लेकर हो रहे प्रदर्शनों में मुखर रूप से विरोध कर रहे संगठनों में केएमएसएस भी शामिल है.
इन प्रदर्शनों के बीच गुरुवार को अखिल गोगोई को जोरहाट से ऐहतियातन गिरफ्तार किया गया था. उस समय पुलिस का कहना था कि जिले के साथ-साथ राज्य के अन्य क्षेत्रों में किसी भी “अप्रिय घटना” से बचने के लिये गोगोई को गिरफ्तार किया गया है।
शुक्रवार को असम पुलिस ने उन पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया और शनिवार को मामला एनआईए के पास पहुंचा। शनिवार को दायर एफआईआर में एजेंसी ने आरोप लगाया है कि ‘गोगोई और अन्यों ने प्रकट रूप से… सरकार के खिलाफ नफरत और असहमति भड़काई है.’
एफआईआर में उन्हें ‘आतंकी गतिविधियों’ में लिप्त बताते हुए आरोप लगाया गया है कि ‘गोगोई और अन्यों ने संसद में पेश हुए नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के एक पैराग्राफ का इस्तेमाल विभिन्न समूहों को धर्म, जन्मस्थान, भाषा, निवास आदि के आधार पर भड़काने के लिए किया है, जो राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता को लेकर खतरा पैदा करता है.’
बताया जा रहा है कि गोगोई पर नए संशोधित यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज हुआ है और वे संभवतः आंतकवादी के रूप में मुकदमे का सामना करने वाले पहले व्यक्ति होंगे.
संशोधित यूएपीए में सरकार को किसी ऐसे व्यक्ति को ‘आतंकवादी’ करार देने का अधिकार है जिसने कोई आतंकवादी कृत्य किया हो या ऐसे कृत्य की योजना बनाते, बढ़ावा देते या उसमें शामिल पाया गया हो. इस तरह आतंकवादी घोषित किए जाने से पहले संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देने की अनिवार्यता नहीं है.
एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि गोगोई ने 2009 में केएमएसएस का विलय रेवोल्यूशनरी कम्युनिस्ट सेंटर (आरसीसी) में कर दिया था. बाद में आरसीसी का विलय भाकपा (माओवादी) में हो गया.
सूत्रों के अनुसार एफआईआर में कहा गया है कि गोगोई इस संगठन की गतिविधियों से जुड़े हुए हैं और असम में अमिताव बागची के साथ भाकपा (माओवादी) का प्रभार संभालते हैं.
आरोप यह भी है कि गोगोई ने 2009 से अब तक भाकपा (माओवादी) के कैडर और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बैठकों की व्यवस्था की है और ‘इस संगठन की गतिविधियों के लिए’ देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है.
एफआईआर में गोगोई के साथ तीन अन्य लोगों की पहचान- धिरज्या कुंवर, मानस कुंवर और बिट्टू सोनोवाल के रूप में की गई है. एफआईआर में कहा गया है कि ये सभी ‘माओवादी षड्यंत्र’ का हिस्सा हैं और उन्होंने ‘जानबूझकर साजिशन आतंकी गतिविधियों को योजना बनाकरभड़काया।’
इससे पहले गोगोई की अगुवाई में केएमएसएस भूमि मुद्दों और असम में कई बड़ी बांध परियोजनाओं के खिलाफ प्रदर्शन कर चुका है. बीते कुछ सालों में गोगोई पर असम पुलिस द्वारा दो बार राष्ट्रद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राज्य सरकारों के कार्यकाल के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया है.
गोगोई नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ आवाज उठाने वालों में भी शामिल रहे हैं. जनवरी महीने में सीएबी के खिलाफ बोलने को लेकर को लेकर कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के साथ उन पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.