असम में नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ बीते 11 दिसंबर से प्रदर्शन जारी है. इस दौरान हिंसा में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. डिब्रूगढ़ और मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में मंगलवार को कर्फ्यू में ढील दी गई.
गुवाहाटी/शिलॉन्ग: असम के विभिन्न शहरों और मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में मंगलवार को भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहा. असम की राजधानी गुवाहाटी में इस कानून के खिलाफ महिलाओं, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों ने कई स्थानों पर ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) द्वारा आयोजित ‘जन सत्याग्रह’ जुलूस में भाग लिया.
इस बीच अधिकांश स्थानों पर स्थिति शांतिपूर्ण रही.
इस बीच विवादित कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर 11 दिसंबर से गुवाहाटी में लगा कर्फ्यू आज मंगलवार को हटा लिया गया.
अधिकारियों ने बताया कि शहर में दुकानें और व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुले हैं. बस, कार और दोपहिया वाहन सड़कों पर नजर आ रहे हैं.
कानून एवं व्यवस्था की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा सोमवार को बुलाई गई एक बैठक में गुवाहाटी से कर्फ्यू हटाने का निर्णय लिया गया.
आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘गुवाहाटी में कल (मंगलवार को) सुबह छह बजे से पूरी तरह कर्फ्यू हटाने का निर्णय लिया गया है.’
बयान में हालांकि मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के बारे में कोई जिक्र नहीं है.
उन्होंने बताया कि डिब्रूगढ़ में मंगलवार को सुबह छह बजे से 14 घंटे तक कर्फ्यू में ढील दी जाएगी.
असम में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के बाद प्रदर्शनकारियों ने तीन रेलवे स्टेशन, एक पोस्ट ऑफिस, एक बैंक, एक बस टर्मिनस, कई दुकानें, वाहनों और कई अन्य सार्वजनिक संपत्तियों को आग लगा दी थी या उनमें तोड़-फोड़ की थी.
प्रदर्शनों में बुधवार तक पांच लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
मालूम हो कि बीते 11 दिसंबर को संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से असम एवं उत्तर-पूर्व के कई हिस्सों में बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बीते 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही ये विधेयक अब कानून बन गया है.
इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. नागरिकता संशोधन विधेयक में उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं.
पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों को डर है कि इन लोगों के प्रवेश से उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ सकती है. वहीं असम में रहने वाले लोगों का कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे, जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है.
आसू नेताओं ने दूसरे दिन दी गिरफ्तारी, रिहा किया गया
ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) द्वारा आयोजित ‘जन सत्याग्रह’ जुलूस के दौरान संस्था के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा, ‘हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि वह लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ न करे. प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह अहिंसक विरोध प्रदर्शनकारियों का सम्मान करते हैं लेकिन सरकार यहां हमारा दमन करना और दबाना चाहती है.’
आसू के महासचिव ल्युरिन ज्योति गोगोई ने प्रधानमंत्री के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने विरोध करने वालों को उनके कपड़ों से पहचान के बारे में टिप्पणी की थी.
गोगोई ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री हमारे परिधान को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और मजाक उड़ा रहे हैं. हम प्रतिदिन अपने पारंपरिक परिधान पहनकर एकत्रित होंगे.’
गोगोई ने आगे कहा कि लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने अनिवासी भारतीयों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन को ‘पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित’ प्रदर्शन कहना असम के लोगों और देश का अपमान है.
फेसबुक पर सक्रिय समूह ‘असमीज इन यूके’ ने शनिवार को लंदन में विरोध प्रदर्शन आयोजित कराया था, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों और पेशेवर व्यक्तियों ने भाग लिया था.
गोगोई ने राज्य के वित्तमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के सोमवार को दिए उस बयान को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की बात कही थी.
गोगोई ने कहा कि सरकार से कोई बातचीत नहीं होगी, सरकार को कानून वापस लेना चाहिए.
ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के नेता समुज्ज्वल भट्टाचार्य और लुरिन ज्योति गोगोई ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ ‘जन सत्याग्रह’ के लगातार दूसरे दिन मंगलवार को अभिनेत्री वर्षा रानी बिसाया तथा सैकड़ों अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ गिरफ्तारी दी.
गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि आसू कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारियां दीं लेकिन उन्हें हिरासत में नहीं रखा गया.
उन्होंने कहा, ‘वे अपने सत्याग्रह कार्यक्रम के तहत ऐसा कर रहे हैं. हमने बाद में उन्हें रिहा कर दिया और अब वे सब अपने घर जा रहे हैं.’
प्रदर्शनकारियों ने कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले के उपायुक्त कार्यालय के सामने गिरफ्तारियां दीं. उन्हें दीघलीपुखुरी टैंक परिसर के अंदर बनी अस्थायी जेल में ले जाया गया.
समुज्ज्वल भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र को या तो संशोधित नागरिकता कानून निरस्त करना होगा या फिर हर रोज वह उन्हें गिरफ्तार करता रहे.
आसू महासचिव गोगोई ने कहा, ‘सरकार हिंदुत्व कार्ड खेल रही है. लेकिन असम उसके सांप्रदायिक एजेंडे का शिकार नहीं बनेगा.’
मेघालय: शिलॉन्ग में सुबह छह बजे से शाम सात बजे तक कर्फ्यू में छूट
मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में मंगलवार को कर्फ्यू में 13 घंटे की छूट दी गई है. हालांकि यहां अब भी मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित रहेगी. ईस्ट खासी हिल्स जिला प्रशासन ने बताया कि लुमडियेन्गजरी पुलिस थाना क्षेत्र और सदर पुलिस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू में सुबह छह बजे से ढील दी गई है.
यहां बैंक और मुख्य बाजार खुले हुए हैं और वाहन सड़कों पर चल रहे हैं. विद्यालयों में सालाना परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद ज्यादातर संस्थानों में शीतकालीन छुट्टियां हो गई हैं.
गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मोबाइल इंटरनेट सेवा बीते 16 दिसंबर को शाम पांच बजे से 48 घंटों के लिए बंद है. वहीं मोबाइल संदेश सेवा में छूट दी गई है और प्रत्येक नंबर से पांच संदेश भेजे जा सकते हैं जिसमें ओटीपी सेवा भी शामिल है.
अधिकारी ने बताया कि सोमवार से हिंसा की कोई खबर नहीं है.
सभी सामाजिक संगठनों और दबाव बनाने वाले समूहों की शीर्ष इकाई मेघालय सामाजिक परिसंघ (सीओएमएसओ) ने राज्य सरकार द्वारा इनर लाइन परमिट के कार्यान्वयन की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित करने का स्वागत किया है.
बहरहाल, सीओएमएसओ के सदस्य संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में धरना दे कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच मेघालय के नवनियुक्त राज्यपाल आरएन रवि मंगलवार को राज भवन में शपथ लेंगे.
राष्ट्रपति भवन ने सोमवार को एक बयान में कहा कि नगालैंड के राज्यपाल रवि को सोमवार को मेघालय का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
असम में इंटरनेट आधारित व्यावसायिक गतिविधियां बाधित
असम में इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहने का प्रभाव ऑनलाइन लेन-देन और मोबाइल एप्लीकेशन आधारित ई-कॉमर्स क्षेत्र जैसे बैंकिंग, कैब सेवाएं, खाद्य आपूर्ति आदि पर पड़ा है.
नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बाद असम में 11 दिसंबर से इंटरनेट सेवाएं स्थगित हैं.
ब्रॉडबैंड सेवाएं मंगलवार को बहाल हो गईं लेकिन मोबाइल इंटरनेट बंद है, जिससे मोबाइल ऐप और अन्य ऑनलाइन सेवाओं पर निर्भर लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
बैंकों के कई ग्राहकों ने बताया कि लोगों को ऑनलाइन रुपये निकालने या स्थानांतरित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और चूंकि इंटरनेट नहीं है इसलिए ऑनलाइन लेन-देन में डेबिट और क्रेडिट कार्ड का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
26 वर्षीय व्यवसायी मोहित जैन ने कहा, ‘हम अपने अधिकतर बैंकिंग लेन-देन ऑनलाइन करते हैं या डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से करते हैं लेकिन पिछले छह दिनों से हम नकदी पर निर्भर हो गए हैं.’
बैंक अधिकारियों ने कहा कि उनके पास अपनी इंटरनेट लाइन हैं जो काम कर रही हैं लेकिन मोबाइल नेटवर्क पर निर्भर अधिकतर ग्राहक लेन-देन नहीं कर पा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन लेन-देन रुक जाने से लोग नकदी पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं जिससे एटीएम खाली होने लगे हैं.
नगर के चांदमारी इलाके के दुकानदार हेमंत कलिता ने कहा कि बैंक नियमित रूप से एटीएम में नकदी भर रहे हैं और कुछ इलाकों में मोबाइल एटीएम भी लगाए गए हैं लेकिन स्थिति को ठीक करने के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं.
अदालत ने असम सरकार को इंटरनेट सेवा की बहाली पर विचार करने का निर्देश दिया
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार को मंगलवार दोपहर तीन बजे से इंटरनेट सेवाएं बहाल करने पर विचार करने का निर्देश दिया.
चार जनहित याचिकाओं और लोगों के सामने आ रही मुश्किलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मंगलवार को आदेश पारित कर राज्य सरकार को इंटरनेट सेवाएं बहाल करने पर विचार करने का निर्देश दिया.
आदेश में कहा गया कि सेवाएं बहाल करते वक्त अधिकारियों को मौजूदा स्थिति को भी ध्यान में रखना चाहिए.
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 19 दिसंबर तय की.
ये जनहित याचिकाएं पत्रकार अजित कुमार भुइयां, अधिवक्ता बोनोश्री गोगोई और अन्य ने दायर की हैं.
मानस राइनो पैसेंजर समेत पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की 11 ट्रेनें बहाल
मानस राइनो पैसेंजर समेत पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की 11 ट्रेनें मंगलवार को बहाल कर दी गईं, जिसे असम और उसके कुछ पड़ोसी राज्यों के लिए एक बहुत बड़ी राहत माना जा रहा है.
संशोधित नागरिकता कानून पर वर्तमान प्रदर्शन को लेकर असम की स्थिति के मद्देनजर 12 दिसंबर को एनएफआर की सभी पैसेंजर और इंटरसिटी सेवाएं रद्द कर दी गई थीं और उनकी सेवाएं अस्थायी रूप से सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी थी.
एनएफआर के प्रवक्ता ने कहा, ‘कुछ इंटरसिटी सेवाओं समेत 11 ट्रेन सेवाएं मंगलवार को बहाल कर दी गईं क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था में क्रमिक सुधार आया है.’
एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुभानन चंदा ने कहा, ‘बहाल ट्रेनों में मानस राइनो पैसेंजर सेवा शामिल है जो बोंगाईगांव जिले के न्यू बोंगाईगांव को गुवाहाटी से जोड़ती हैं. इन ट्रेनों के बहाल होने से खासकर कार्यालय जाने वालों को फायदा होगा.’
उन्होंने बताया कि इसके अलावा गुवाहाटी-जोरहाट टाऊन जनशताब्दी एक्सप्रेस और गुवाहाटी लेडो इंटरसिटी एक्सप्रेस भी मंगलवार को बहाल कर दी गयीं.
उन्होंने कहा कि एनएफआर क्षेत्र से पूर्वी रेलवे क्षेत्र की ट्रेन सेवाएं मंगलवार को पूरी तरह निलंबित रहीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)