नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आज देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली में लाल किला के पास धारा 144 लगा दी गई है.
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रख्यात इतिहासकार रामचंद्र गुहा को बेंगलुरु पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
Karnataka: Police has detained historian Ramachandra Guha during protest at Town Hall in Bengaluru. (file pic) #CitizenshipAct pic.twitter.com/iW7HkllXc3
— ANI (@ANI) December 19, 2019
एनडीटीवी के मुताबिक, गुहा के अलावा 30 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है. मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आज (गुरुवार) को देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. दिल्ली में लाल किला के पास धारा 144 लगा दी गई है. प्रदर्शन कर रहे दर्जनों लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है, इसमें स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव भी शामिल हैं.
Delhi Police PRO MS Randhawa, at Red Fort where Section 144 is imposed: We request protest organizers to hold protests at designated places only. I appeal to all to cooperate with the police. #Delhi #CitizenshipAct pic.twitter.com/7Fnf5aItlB
— ANI (@ANI) December 19, 2019
दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा, ‘हम प्रदर्शनकारियों से गुजारिश करते हैं कि विरोध प्रदर्शन के लिए चिन्हित जगहों पर ही प्रदर्शन करें. मैं सभी लोगों से सहयोग की अपील करता हूं.’
विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून, 2019 को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
#WATCH Large number of protesters in Delhi's Red Fort area where Section 144 has been imposed. #CitizenshipAct pic.twitter.com/tH5j4dJjTZ
— ANI (@ANI) December 19, 2019
इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. नागरिकता संशोधन विधेयक में उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं.
Karnataka: Left parties hold protest in Bengaluru against the amended #CitizenshipAct & #NRC. Visuals from Mysore Bank Circle area. Section 144 is imposed in the city. pic.twitter.com/f3LIjzqOHu
— ANI (@ANI) December 19, 2019
इस प्रकार भेदभावपूर्ण होने के कारण इसकी आलोचना की जा रही है और इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बदलने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है. अभी तक किसी को उनके धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता देने से मना नहीं किया गया था.