जेएनयू की हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी पर छात्रों के प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित समिति का सुझाव है कि फंडिंग के लिए अन्य वैकल्पिक स्रोत खोजे जाने चाहिए.
नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी को लेकर मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय द्वारा गठित की गई समिति ने मंत्रालय को बताया है कि शैक्षणिक सत्र के बीच में फीस बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति का सुझाव है कि फंडिंग के लिए अन्य वैकल्पिक स्रोतों को खोजा जाना चाहिए.
इस तीन सदस्यीय समिति का गठन 17 नवंबर को किया गया था और समिति ने 24 नवंबर को यह रिपोर्ट मंत्रालय कौ सौंपी.
जेएनयू की हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के बाद छात्रों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए प्रदर्शन के बाद एचआरडी मंत्रालय ने इस समिति का गठन किया था.
इस समिति में यूजीसी के पूर्व चेयरपर्सन वीएस चौहान, एआईसीटीई के चेयरपर्सन अनिल सहस्रबुद्धे और यूजीसी के सचिव रजनीश जैन हैं.
हॉस्टल की फीस बढ़ोतरी में पहली बार मेंटेनेंस के लिए सर्विस चार्ज, मेस वर्कर्स शुल्क, भोजन और सफाई शुल्क, बिजली और पानी की खपत पर शुल्क लगाए गए.
इस दौरान सिंगल रूम का किराया 20 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति महीना और डबल शेयरिंग रूम के लिए 10 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह कर दिया गया.
यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर और बाहर कई दिनों तक हुए प्रदर्शन के बाद बैरिकेड तोड़ने और संसद और राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने का प्रयास करने के लिए छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
यूनिवर्सिटी द्वारा गठित की गई उच्चस्तरीय समिति ने सभी छात्रों को 50 फीसदी और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के छात्रों को 75 फीसदी रियायत देने का फैसला किया था.
तीन सदस्यीय समिति के सिफारिशों पर अभी विचार नहीं किया गया है.
अन्य सुझावों में कहा गया है कि हॉस्टल मैनुअल में किसी भी तरह के बदलाव को सभी सदस्योंं के साथ उचित चर्चा के बाद ही पूरा किया जा सकता है और फीस में संशोधन को अगले शैक्षणिक सत्र तक स्थगित किया जाना चाहिए.
जेएनयू छात्रों का कहना है कि हॉस्टल की फीस बढ़ाने को लेकर हुई चर्चा में उन्हें शामिल नहीं किया गया.
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि पैसे की कमी की स्थिति में मानव संसाधन मंत्रालय या यूजीसी धनराशि का बंदोबस्त करे, जिस वजह स जेएनयू प्रशासन को हॉस्टल फीस में संशोधन करना पड़ा.
इसके बाद यूजीसी संस्थान (जेएनयू) की मदद के लिए 6.41 करोड़ रुपये का ग्रांट जारी करने पर सहमत हो गई थी, इसके तीन दिन बाद रिपोर्ट जमा की गई.
समिति ने ये सुझाव तैयार करने से पहले प्रशासन, छात्रों और शिक्षकों से मुलाकात की थी.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू में सामान्य कामकाज बहाल करने और छात्रों एवं प्रशासन के बीच मध्यस्थता करने के तरीकों को तलाश करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था.