विरोध प्रदर्शन करने वाले 24 घंटे पहले आयोजन की सूचना दें: दिल्ली विश्वविद्यालय

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर द्वारा जारी किए गए एक नोटिस के अनुसार, विरोध प्रदर्शन करने वाले आयोजकों को कार्यक्रम की जानकारी, वक्ताओं की सूची, प्रतिभागियों की अपेक्षित संख्या जैसी अन्य जानकारियां प्रस्तुत करनी होगी.

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दिल्ली यूनिवर्सिटी. (फोटो: विकीमीडिया)

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर द्वारा जारी किए गए एक नोटिस के अनुसार, विरोध प्रदर्शन करने वाले आयोजकों को कार्यक्रम की जानकारी, वक्ताओं की सूची, प्रतिभागियों की अपेक्षित संख्या जैसी अन्य जानकारियां प्रस्तुत करनी होगी.

दिल्ली यूनिवर्सिटी (फोटो: विकिमीडिया)
दिल्ली यूनिवर्सिटी (फोटो: विकिमीडिया)

नई दिल्ली: देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर कहा है कि कला संकाय के बाहर या आसपास किसी भी ‘विरोध प्रदर्शन’ या ‘जमावड़े’ की उसे अग्रिम सूचना दी जानी चाहिए.

इस संबंध में प्रॉक्टर नीता सहगल द्वारा 27 दिसंबर को जारी किए गए एक नोटिस के अनुसार, आयोजक को कार्यक्रम की जानकारी, वक्ताओं की सूची, प्रतिभागियों की अपेक्षित संख्या जैसी अन्य जानकारियां प्रस्तुत करनी होगी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में सीएए और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद यह नोटिस जारी किया गया, जिसमें लेखक अरुंधति रॉय और अभिनेता जीशान अयूब सहित कई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था.

नोटिस के अनुसार, ‘कला संकाय गेट और आसपास के क्षेत्र के बाहर एकत्रित होने और विरोध प्रदर्शन की पूर्व सूचना देना अनिवार्य है. आयोजकों द्वारा 24 घंटे पहले प्रॉक्टर कार्यालय को कार्यक्रम की पूरी जानकारी देना अनिवार्य है.’

नोटिस में कहा गया है कि आयोजक प्रॉक्टर कार्यालय को कॉलेज का नाम, कार्यक्रम का उद्देश्य, ईमेल आईडी, फोन नंबर, किस प्रकार का कार्यक्रम है, सभा या विरोध, कार्यक्रम या विरोध की अवधि और वक्ताओं की सूची जैसे विवरण देने को कहा है.

साथ ही यह भी बताने के लिए कहा गया है कि कार्यक्रम के दौरान किस प्रकार के लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल किया जाएगा और अन्य कौन से उपकरणों के इस्तेमाल की संभावना है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में स्थित कला संकाय के मुख्य द्वार के बाहर आमतौर पर सभाएं और विरोध सभाएं आयोजित की जाती हैं.

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) इस कदम की निंदा करते हुए इसे ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया और कहा कि यह नागरिकों के विरोध करने के संवैधानिक अधिकार का हनन है. आइसा की दिल्ली विश्वविद्यालय की इकाई ने कहा कि प्रशासन उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने की कोशिश कर रहा है. विरोध नागरिकों और छात्रों का संवैधानिक अधिकार है और यह किसी भी तरह की कागजी कार्रवाई से मुक्त होना चाहिए.

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डुसू) के अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य अक्षत दहिया ने कहा, ‘हमें इसमें कोई दिक्कत नहीं है अगर प्रशासन किसी विरोध प्रदर्शन या सभा की पूर्व सूचना देने के लिए कह रहा है लेकिन प्रशासन अगर कैंपस में प्रदर्शन रोकने की कोशिश करेगा तो हम इसका समर्थन नहीं करेंगे.’

विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद के सदस्य राजेश झा ने कहा, ‘हमें इससे पहले कभी डीयू में ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला था. यह नोटिस कैंपस में बढ़ते प्रतिरोध और विरोध का नियमन के लिए जारी किया गया है. जबकि इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ने के लिए सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी नीतियां हैं. कैंपस की लोकतांत्रिक प्रकृति को बचाए रखने के लिए इस नोटिस को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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