पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करने के बाद से प्रशासन ने संचार की सभी लाइनों- लैंडलाइन टेलीफोन सेवा, मोबाइल फोन सेवा और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था.
![Srinagar: Security personnel keep vigil at Lal Chowk after bifurcation of the Jammu and Kashmir state came into existence, in Srinagar, Thursday, Oct. 31, 2019. (PTI Photo/S. Irfan) (PTI10_31_2019_000132B)](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2019/11/Jammu-Kashmir-PTI10_31_2019_000132B.jpg)
जम्मू: जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के पांच महीने यानी करीब 150 दिन बाद बीते 31 दिसंबर की रात 12 बजे से कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा और सभी मोबाइल फोन पर एसएमएस सेवा शुरू कर दी गई.
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया था. फैसले के तहत जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र की अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा.
#JammuAndKashmir: SMS services restored in Kashmir valley from today. pic.twitter.com/A228Dzg5Jn
— ANI (@ANI) January 1, 2020
इस फैसले की घोषणा के कुछ घंटे पहले ही कानून और व्यवस्था बनाए रखने के हवाला देकर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने संचार की सभी लाइनों- लैंडलाइन टेलीफोन सेवा, मोबाइल फोन सेवा और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था.
इससे पहले बीते 14 अक्टूबर को मोबाइल पोस्टपेड सेवा शुरू कर दी गई थी. इसके अलावा बीते 27 दिसंबर को लद्दाख के कारगिल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल की गई थीं.
बता दें कि कश्मीर के कुछ सरकारी दफ्तरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को छोड़कर समूची घाटी में इंटरनेट सेवाएं बीते पांच अगस्त से लगातार बंद चल रही हैं. इसके बाद पहले लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएं धीरे-धीरे बहाल की गईं. बाद में पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं बहाल हुईं. हालांकि मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अब भी शुरू नहीं की गई हैं.
मोबाइल और इंटरनेट सेवा बंद करने के अलावा जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के बड़े नेताओं के साथ बड़ी संख्या में राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था.
मुख्यधारा के कई नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में अब भी रखे गए हैं. बीते दिनों जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और तीन बार मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला की हिरासत अवधि तीन महीने के लिए बढ़ा दी थी. फारूक अब्दुल्ला के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी बीते पांच अगस्त से हिरासत में हैं.