कश्मीर प्रेस क्लब ने मीडिया के लिए इंटरनेट सेवाओं को तुरंत बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार ने जानबूझकर ऐसी रोक लगाई है, ताकि सूचना के प्रवाह पर रोक लगाई जा सके.
श्रीनगर: कश्मीर प्रेस क्लब ने मंगलवार को मांग की कि घाटी में मीडिया के लिए इंटरनेट सेवाओं की बहाली तुरंत की जाए क्योंकि इंटरनेट पर पाबंदी से मीडिया के काम पर बुरा असर पड़ा है.
इसने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कश्मीर प्रेस क्लब की बैठक में सभी संपादक इकाइयों और पत्रकार संघों ने एकमत से मांग की कि घाटी में मीडिया के लिए इंटरनेट सेवा अविलंब बहाल की जानी चाहिए.
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘यह देखा गया है कि इंटरनेट पर पाबंदी से घाटी में मीडिया का काम बुरी तरह बाधित हुआ है. बैठक में भाग लेने वालों का मत था कि सरकार ने जानबूझकर ऐसी रोक लगाई है, ताकि सूचना के प्रवाह पर रोक लगाई जा सके.’
विभिन्न मीडिया संगठनों ने ‘लंबे और अभूतपूर्व’ इंटरनेट शटडाउन के बारे में चर्चा की, जिसे लगभग पांच महीने हो चुके हैं.
प्रेस क्लब के बयान में आगे कहा गया है, ‘यह देखा गया कि इंटरनेट प्रतिबंध ने घाटी में मीडिया के कामकाज को बुरी तरह प्रभावित किया है. मीडिया कर्मियों का मानना है कि सरकार ने जानबूझकर सूचनाओं का प्रवाह रोकने के लिए प्रेस का मुंह बंद किया है, जिससे पाठक भी प्रभावित हैं जिन्हें तथ्य जानने का अधिकार है. इस प्रतिबंध से जमीनी रिपोर्टिंग और और समाचार इकठ्ठा करने की गतिविधियों पर बहुत बुरा असर डाला है.’
क्लब ने कहा कि मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के लिए अस्थायी रूप से सूचना विभाग में बनाए गए मीडिया सुविधा केंद्र से काम करना अब मुनासिब नहीं है क्योंकि ये 200 से ज्यादा प्रकाशनों और ब्यूरो के रिपोर्टर, संपादक, फोटो जर्नलिस्ट और वीडियो जर्नलिस्ट के काम करने के लिए नाकाफ़ी हैं.
प्रेस क्लब ने मांग की है कि सरकार संचार पाबंदियां हटाए और मुक्त और बिना किसी शर्त के इंटरनेट सेवा मुहैया कराए.
संगठन ने कहा कि सभी पत्रकार सरकार को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए आजादी सुनिश्चित कराने में उसकी भूमिका याद दिलाना चाहते हैं और वे सभी कदम उठाने की मांग करते हैं, जिससे बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित की जा सके.
प्रेस क्लब ने यह भी कहा कि यह निर्णय भी लिया गया है कि घाटी में पत्रकारों की दुर्दशा बताने और इंटरनेट की बहाली के लिए दबाव बनाने के लिए सेमिनार, मूक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जाएंगे, साथ ही कुछ प्रकाशन भी रोका जायेगा.
बता दें कि कश्मीर के कुछ सरकारी दफ्तरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को छोड़कर समूची घाटी में इंटरनेट सेवाएं बीते पांच अगस्त से लगातार बंद चल रही हैं. इसके बाद पहले लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएं धीरे-धीरे बहाल की गईं.
बाद में पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं बहाल हुईं. हालांकि मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अब भी शुरू नहीं की गई हैं. राज्य का विशेष दर्जा समाप्त होने के पांच महीने यानी करीब 150 दिन बाद मंगलवार 31 दिसंबर की रात 12 बजे से कश्मीर में मोबाइल एसएमएस सेवा शुरू कर दी गई है.
सरकारी प्रवक्ता रोहित कंसल ने बताया कि घाटी में सभी सरकारी अस्पतालों में इंटरनेट सेवाएं 31 दिसंबर की मध्यरात्रि से बहाल की गई हैं.
इससे पहले बीते 14 अक्टूबर को मोबाइल पोस्टपेड सेवा शुरू कर दी गई थी. इसके अलावा बीते 27 दिसंबर को लद्दाख के कारगिल जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल की गई थीं.
बता दें कि घाटी में लगे प्रतिबंधों के खिलाफ ‘कश्मीर टाइम्स’ की संपादक अनुराधा भसीन ने मीडिया पर लगी पाबंदियां हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
बीते 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद कहा था कि इस मामले में फैसला बाद में सुनाया जाएगा.
इससे पहले सितंबर महीने में भी कश्मीर प्रेस क्लब ने घाटी में ‘अप्रत्याशित संचार पाबंदी’ को लेकर गंभीर चिंता प्रकट की थी, साथ ही कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से सरकारी आवास खाली करने के लिए कहे जाने पर प्रशासन की आलोचना की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)