उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हंगलू वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर 2016 से निगरानी में थे. उन्हें यौन उत्पीड़न की शिकायतों को उपयुक्त ढंग से नहीं निपटाने और छात्राओं के लिए शिकायत निवारण प्रणाली की कमी को लेकर पिछले सप्ताह राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी तलब किया था.
नई दिल्ली: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हंगलू ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनके करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी. हालांकि, उन्होंने दबाव में इस्तीफा देने का दावा किया.
हंगलू वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर 2016 से निगरानी में थे. उन्हें यौन उत्पीड़न की शिकायतों को उपयुक्त ढंग से नहीं निपटाने और छात्राओं के लिए शिकायत निवारण प्रणाली की कमी को लेकर पिछले सप्ताह राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी तलब किया था. सूत्रों ने बताया कि हंगलू ने केंद्रीय मानव संसाधन (एचआरडी) मंत्रालय को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, एचआरडी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया, ‘पहले भी हंगलू की कार्यशैली के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई थीं. हालांकि, एक मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उसके बारे में एक ‘प्रतिकूल’ अवलोकन किया था.’
अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है.’एचआरडी
इस्तीफे की पुष्टि करते हुए हंगलू ने कहा, ‘यह सही है कि मैंने इस्तीफा दे दिया है. कारण यह था कि (मेरे खिलाफ) बार-बार आधारहीन पूछताछ शुरू की गई थी. कई मौकों पर यह साबित हुआ कि शिकायतों में कोई तथ्य नहीं था. मैंने ऐसा किया क्योंकि मैं पूरी तरह से तंग आ गया हूं.’
हंगलू ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाया है और दबाव और हस्तक्षेप के लिए खड़े हुए हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘1200 लोगों की नियुक्तियां की जानी हैं. अगर मैं वहां होता, तो मैं योग्यता के आधार पर करता. मैं सिफारिश के आधार पर नहीं करुंगा. मैं माफिया लोगों को नियुक्त नहीं करुंगा.’
अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती देते हुए हंगलू ने कहा, ‘इसे उन्हें (एनसीडब्ल्यू) सीबीआई के सामने साबित करने दें, उन्हें उच्च न्यायालय के समक्ष साबित करने दें. उन्होंने आगे विश्वविद्यालय में माफिया की सक्रिय उपस्थिति का भी आरोप लगाया.’
हंगलू ने कहा कि उन्होंने कानूनी सहारा लेने की योजना बनाई है. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति कार्यालय ने दो बार मेरे खिलाफ आरोपों के बारे में फाइल वापस कर दी क्योंकि उन्हें कोई तथ्य नहीं दिखा.’
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने दावा किया कि आयोग ने हाल ही में परिसर में एक टीम भेजी थी जिसमें गंभीर अनियमितताएं पाई गई थीं. आयोग की अध्यक्षा ने कहा, ‘टीम ने विश्वविद्यालय में महिलाओं से बात की और यौन उत्पीड़न के मामलों को गलत तरीके से संभालने की पुष्टि हुई.’
उन्होंने कहा, ’26 दिसंबर को, हंगलू आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और सभी आरोपों से इनकार किया. मैंने उन्हें हमारी टीम द्वारा इकट्ठे किए गए सबूतों को दिखाया. उनका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं था. हमने इन साक्ष्यों को संबंधित कार्यालयों को भेज दिया.’
उन्होंने कहा कि शिकायत निवारण की कोई व्यवस्था नहीं है और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निवारण नहीं किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)