राजकोट के सिविल अस्पताल में बीते तीन महीनों में 269 बच्चों की मौत हुई, जिसमें सबसे अधिक जानें दिसंबर में गईं. अधिकारियों के मुताबिक इन बच्चों की मौत की वजह अस्पतालों में बच्चों के इलाज की उचित व्यवस्था न होना है.
अहमदाबादः राजस्थान के कोटा स्थित एक सरकारी अस्पताल में 100 से अधिक बच्चों की मौत की खबरें आने के बाद गुजरात के राजकोट से भी इसी तरह की खबर आयी है.
आंकड़ों से पता चला है कि गुजरात के राजकोट जिले में गत वर्ष दिसंबर में 111 शिशुओं की मौत हो गई. साथ ही आंकड़ों के अनुसार अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में पिछले महीने 88 शिशुओं की मौत हो गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, राजकोट के सिविल अस्पताल में बीते तीन महीने में 269 बच्चों की मौत हुई, जिसमें सबसे अधिक जानें दिसंबर में गईं. अधिकारियों के मुताबिक इन बच्चों की मौत की वजह अस्पतालों में बच्चों के इलाज की उचित व्यवस्था न होना है.
संवाददाताओं ने वडोदरा में जब मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से इस मुद्दे पर सवाल किए तो वह कोई जवाब दिए बिना चले गए.
#WATCH: Gujarat Chief Minister Vijay Rupani walks away when asked about reports of deaths of infants in hospitals in Rajkot and Ahmedabad. pic.twitter.com/pzDUAI231Z
— ANI (@ANI) January 5, 2020
अहमदाबाद में स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने यह चौंकाने वाले आंकड़े साझा किए. उन्होंने कहा कि दिसंबर में ठंड का मौसम अधिक संख्या में मौतों के कारणों में शामिल है.
उन्होंने साथ ही कहा कि गुजरात में समग्र शिशु मृत्यु दर कम हुई है. पिछले वर्ष दिसंबर में राजकोट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सामान्य अस्पताल में भर्ती हुए 388 शिशुओं में 111 या 28 प्रतिशत की मृत्यु हो गई.
वहीं आंकड़ों से यह पता चलता है कि गत वर्ष अक्टूबर और नवंबर में क्रमश: 87 और 71 शिशुओं की मौत हुई. इसके हिसाब से अस्पताल के ‘सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट’ (एसएनसीयू) में भर्ती शिशुओं में से क्रमश: 19.3 और 15.5 प्रतिशत शिशुओं की मौत हो गई.
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में दिसंबर में 88 शिशुओं की मौत हो गई जो भर्ती किए गए 415 शिशुओं का 21.2 प्रतिशत है. अस्पताल में अक्टूबर और नवंबर में क्रमश: 91 और 74 शिशुओं की मौत हो गई जो भर्ती हुए शिशुओं की कुल संख्या का क्रमश: 18.4 और 16.4 प्रतिशत है.
पटेल ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि दिसंबर में अधिक संख्या में शिशुओं की मौत हुई है लेकिन राज्य में शिशु मृत्यु दर में पिछले दो दशकों में कमी आयी है. यह 1997 में प्रति 1000 पर 62 से घटकर 2017 में 30 हो गई. साथ ही 2018 और 2019 में इसमें और कमी आयी है.
Manish Mehta, Dean, Rajkot Civil Hospital: 111 children died in the month of December at Rajkot Civil Hospital. #Gujarat pic.twitter.com/mPQxHolBAG
— ANI (@ANI) January 5, 2020
उन्होंने कहा कि केंद्र के 2017 के आंकड़े के अनुसार पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड और तेलंगाना में शिशु मृत्यु दर गुजरात से अधिक है.
मंत्री ने कहा, ‘शिशु मृत्यु दर चिंता का विषय है. दिसंबर में मौतों की संख्या ठंड के मौसम के चलते बढ़ी. जागरुकता की कमी, माताओं में कुपोषण और प्रसव पूर्व जटिलताएं अन्य कारण थे.’
उन्होंने कहा, ‘हमने 41 एसएनसीयू स्थापित किए हैं और मेडिकल शिक्षा के लिए सीटें और कालेजों की संख्या बढ़ा दी हैं क्योंकि चिकित्सकों की कमी देशभर में समस्या बनी हुई है. सरकार दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित निजी बच्चों के अस्पतालों को आर्थिक प्रोत्साहन मुहैया कराती है जहां कोई एसएनसीयू नहीं हैं.’
उन्होंने विपक्षी कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘वे राजस्थान से ध्यान बंटाने का प्रयास कर रहे हैं. मैं राजस्थान और मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकारों से पूछना चाहता हूं कि इन पड़ोसी राज्यों से मरीज इलाज के लिए गुजरात के अस्पतालों में क्यों आते हैं?’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा ने सवाल किया कि शिशुओं की मौत की संख्या से क्या सरकार को चिंतित नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘राजकोट और अहमदबाद के दो सरकारी अस्पतालों में 219 शिशुओं की मौत हुई है और यदि पूरे राज्य के अस्पतालों को संज्ञान में लिया जाए तो यह संख्या हजारों में हो सकती है.’
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या सरकार को इस बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, विशेष तौर पर जब प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री दोनों गुजरात से हैं?’
बता दें कि, राजस्थान के कोटा जिले के सरकारी जेके लोन अस्पताल में 23-24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर 10 शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था. हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि यहां 2018 में 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम 963 शिशुओं की मौत हुई.
इस बीच, राजस्थान के जोधपुर के एक अस्पताल में दिसंबर महीने में एक महीने में 146 नवजातों की मौत का मामला भी सामने आया था.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में परोक्ष रूप से अपनी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा था कि हमें और संवेदनशील होना चाहिए था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)