जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा कि कुलपति एम. जगदीश कुमार को इस्तीफा देना चाहिए. कैंपस में हुई हिंसा के लिए वह ज़िम्मेदार हैं. शिक्षा मंत्री को उन्हें पद से हटा देना चाहिए. आईशी का कहना है कि हिंसा के दौरान उन्हें ख़ासतौर पर निशाना बनाया गया.
नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने सोमवार को कहा कि परिसर में शांति मार्च के दौरान उन्हें विशेष तौर पर निशाना बनाया गया. विश्वविद्यालय परिसर में रविवार रात हुए हमले में घोष घायल हो गई थीं.
घोष ने कहा कि रविवार को 20 से 25 नकाबपोश लोग शांति मार्च में घुस आए और उन पर लोहे के सरियों से हमला किया.
इस हमले में घोष के सिर में चोट आई और उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया. घोष को सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
जेएनयूएसयू की अध्यक्ष ने बताया, ‘विश्वविद्यालय परिसर में रविवार को शांति मार्च के दौरान मुझे विशेष तौर पर निशाना बनाया गया. 20 से 25 नकाबपोश लोग शांति मार्च में घुस आए और उन्होंने मुझ पर सरियों से हमला किया.’
घोष ने आरोप लगाया कि शनिवार को जेएनयूएसयू द्वारा सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन के बहिष्कार का जायजा लेने वह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईएस) गई थीं, तब एक प्रोफेसर ने उन्हें सबक सिखाने की धमकी दी थी.
छात्र संघ ने एक जनवरी से पांच जनवरी तक चलने वाली सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के बहिष्कार का आह्वान किया था.
आईशी घोष ने जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की.
एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘रविवार दोपहर ढाई बजे हमने पुलिस को बताया था, वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे क्योंकि कैंपस में अज्ञात लोगों जुट रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.’
उन्होंने बताया, ‘हम फीस वृद्धि के विरोध में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन में शामिल हो रहे थे. इसके कुछ देर बाद नकाबपोश बदमाश ने साबरमती हॉस्टल के पास हमारे ऊपर हमला कर दिया. मुझ पर लोहे की रॉड से हमला किया गया.’
आईशी ने कहा, ‘मुझे नकाबपोश गुंडों ने बुरी तरह से हमला किया और पीटा. खून बहने लगा. इसके बाद छात्र एंबुलेंस बुलाकर मुझे हॉस्पिटल ले गए.’
सोमवार को आईशी घोष को एम्स से छुट्टी मिल गई. एनडीटीवी से बातचीत में आईशी ने कहा, ‘कुलपति को इस्तीफा देना चाहिए. उनकी वजह से कैंपस में हिंसा हुई. शिक्षा मंत्री को उन्हें पद से हटा देना चाहिए.’
मालूम हो कि जेएनयू परिसर में बीते पांच जनवरी को उस वक्त हिंसा भड़क गई थी जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था, जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा था.
बड़ी संख्या में चेहरा ढके और हाथों में डंडे लिए युवक और युवतियां लोगों को पीटते और वाहनों को तोड़ते दिखे. साबरमती हॉस्टल समेत कई बिल्डिंग में जमकर तोड़फोड़ की गई. हमलावरों ने टीचरों को भी नहीं छोड़ा.
इस मारपीट में छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष को काफी चोटें आई हैं और कम से कम 30 लोग घायल हुए हैं जिन्हें नई दिल्ली के एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था. हालांकि सभी 34 छात्रों को सोमवार सुबह अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
मारपीट में प्रोफेसर सुचरिता सेन के सिर पर भी गंभीर चोट लगी हैं.
वाम नियंत्रित जेएनयूएसयू और आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी इस हिंसा के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जेएनयूएसयू का दावा है कि उनकी अध्यक्ष आइशी घोष और कई अन्य स्टूडेंट्स को एबीवीपी के सदस्यों ने पीटा है. वहीं, एबीवीपी ने वाम छात्र संगठनों एसएफआई, आइसा और डीएसएफ पर हमले का आरोप लगाया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)