मालूम हो कि निर्भया मामले में चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है.

गौरतलब है कि साल 2012 में 16 दिसंबर की रात राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था. दो हफ्ते बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी.

इस घटना के विरोध में देशभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बलात्कार के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग उठी थी. लोगों के रोष के देखते हुए सरकार ने बलात्कार के खिलाफ नया कानून लागू किया था.

राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को हुए इस अपराध के लिए निचली अदालत (फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने 13 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों दोषियों को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौन हिंसा और हत्या और निर्भया के दोस्त की हत्या के प्रयास समेत 13 अपराधों में दोषी ठहराया था.

इस अपराध में एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि छठा आरोपी एक किशोर था. उसे एक बाल सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की कैद की सजा दी गई. दिसंबर 2015 में उसे रिहा कर दिया गया था.

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ जुलाई को मामले के तीन दोषियों- मुकेश (31), पवन गुप्ता (24) और विनय शर्मा (25) की याचिकाएं खारिज कर दी थीं. उन्होंने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था, जिसके तहत दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में निचली अदालत में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी अक्षय सिंह की भी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2014 को दोषियों को मृत्युदंड देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी. इसके बाद दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी.