हिंसा अदालत को सोचने से रोक रही है, लेकिन हिंसा हो कैसे रही है?

हिंसा के सबसे ज्यादा, सबसे ताकतवर और कारगर हथियार किसके पास हैं? किसके पास एक संगठित शक्ति है जो हिंसा कर सकती है? उत्तर प्रदेश में किसने आम शहरियों के घर-घर घुसकर तबाही की? किसने कैमरे तोड़कर चेहरे ढंककर लोगों को मारा? गोलियां कहां से चलीं? अदालत से यह कौन पूछे और कैसे? जब उसके पास ये सवाल लेकर जाते हैं तो वह हिंसा से रूठ जाती है.

/
(फोटो: रॉयटर्स)

हिंसा के सबसे ज्यादा, सबसे ताकतवर और कारगर हथियार किसके पास हैं? किसके पास एक संगठित शक्ति है जो हिंसा कर सकती है? उत्तर प्रदेश में किसने आम शहरियों के घर-घर घुसकर तबाही की? किसने कैमरे तोड़कर चेहरे ढंककर लोगों को मारा? गोलियां कहां से चलीं? अदालत से यह कौन पूछे और कैसे? जब उसके पास ये सवाल लेकर जाते हैं तो वह हिंसा से रूठ जाती है.

A signboard is seen outside the premises of Supreme Court in New Delhi, India, September 28, 2018. REUTERS/Anushree Fadnavis/File Photo
फोटो: पीटीआई

‘मुल्क बड़ी मुश्किल घड़ी से गुज़र रहा है.’ सुप्रीम कोर्ट ने फिर फिक्र ज़ाहिर की है. वह अपने वतन में चल रही उथल-पुथल से हैरान है. क्या आप नहीं हैं ?

जो बात हम खुद महसूस करते हैं और एक दूसरे से बोलते रहते हैं, वह अगर बड़े लोगों की जुबान से निकले तो तसल्ली होती है. हां! मुल्क के हालात कुछ ठीक नहीं! इसका मतलब हमारा दिमाग शायद ठीक ही काम कर रहा है, हमारी निगाहें भी जो देख रही हैं, वह कोई जिन्नात का तमाशा नहीं.

अदालतें शायरी में वक्त बर्बाद नहीं करतीं. जो जितना है, वे उसे उतना ही देखती और बताती हैं. बातूनीपन राजनीति की ख़ासियत है, कानून की जुबान सटीक होती है. यही तक वे नहीं रुके, इसके बाद सबसे बड़े जज ने नाराज़गी ज़ाहिर की: इतनी हिंसा!

फिर इस हिंसा के आलम से खफा होकर कहा, जब तक यह हिंसा नहीं रुकती, हम नागरिकता के नए कानून पर ऐतराज वाली कोई अर्जी नहीं सुनेंगे. यह गनीमत है कि सबसे बड़े जज के ऐसा कहने के बाद सरकार ने कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्हें डांट नहीं लगाई है.

आखिर इसी मुल्क के प्रधानमंत्री अभी कुछ वक्त पहले ही दुनिया की सबसे ताकतवर जम्हूरियत अमेरिका में बस रहे हिंदुस्तानियों को तसल्ली दे नहीं आए थे कि पीछे ‘सब कुछ ठीक है.’ फिक्र की कोई वजह नहीं.

यह सारी खबरें कि देश की आर्थिक दशा बुरी है, गांवों में किसान खून के आंसू के घूंट भर रहे हैं, नौजवान रोज़गार को मोहताज है, कारोबार ठप पड़ गए हैं, खबर नहीं, देश के नए निजाम में हासिल की गई तरक्की और खुशहाली से जलने वालों की उड़ाई अफवाह हैं.

वे सबके सब देश के दुश्मन हैं, कांग्रेस के हाथों बिके या खरीद लिए गए लोग हैं. उन पर कान देने की सरकार को फुर्सत नहीं. वह मुल्क को बदलने और नया भारतीय उत्पादित करने में जुती या जुटी है.

हमने बीते एक महीने में लेकिन जल्दी ही दो बार अदालत को हिंसा से झल्लाते देखा. अभी पिछले महीने जब जामिया मिलिया इस्लामिया के भीतर घुसकर पुलिस ने जब छात्रों के हाथ-पांव तोड़ दिए, एक की एक आंख की रोशनी खत्म कर दी, तब अदालत के ही दो बड़े और तजुर्बेकार अफसरान ने, जो वकील होते हैं, अदालत से दरख्वास्त की कि जामिया में जो पुलिस ने जो हिंसा की, जिसके शिकार इतने छात्र हुए, उसकी जांच करवाई जाए और पुलिसकर्मी को जरा पाबंद किया जाए तो अदालत ने हिंसा पर नाराज़गी जताई.

साथ ही यह कह दिया कि आप जब सड़क से हट जाएं तभी हमारे दरवाज़े खटखटाएं! जब तक हिंसा बंद नहीं होती, अर्जी सुनी नहीं जाएगी.

यह बड़ी जायज मांग है. अगर आपके चारों ओर शोर हो, आग लगी हो तो आप क्या अपना दिमाग ठिकाने कैसे रखें! और अदालत को तो हमसे आपसे ज्यादा बारीकी से सोचना पड़ता है. हिंसा, उथल-पुथल के बीच वह सोचे कैसे?

अदालत ने यह भोला सवाल भी किया कि जब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा हो तो क्या पुलिस कुछ न करे? और पुलिस ने इस सवाल का जवाब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिया. हॉस्टलों में घुसकर छात्रों को मारा, ग्रेनेड से उन पर हमला किया. एक छात्र का हाथ उड़ गया. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा की यह कीमत कम थी!

जरा और पीछे चले जाएं. कश्मीर की छाती पर जब भारतीय सत्ता चढ़ बैठी और उसके बाशिंदों की ओर से उनके आजादी के हक की गुहार लगाई गई तो अदालत ने कहा कि हालात गैर मामूली हैं, अभी इंसानी आजादी पर सोचने का वक्त नहीं.

अदालत हालात के सामान्य होने का इंतजार करने को कह रही थी, उधर सरकार फिरंगी सियासतदानों को कश्मीर की सैर करवा रही थी यह बताने को कि कश्मीर में सब कुछ ठीक है. सरकार के एक आला अफसर सड़क किनारे आम कश्मीरियों से ठिठोली करते घूम रहे थे.

सरकार कहती है कि कश्मीर में कोई गड़बड़ी नहीं, सब कुछ काबू में है, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पुलिस वहां के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर इल्जाम लगाती है कि वे कश्मीर से पत्थरबाज बुलवा रहे हैं! अगर सारे पत्थरबाजों पर काबू पा लिया गया था तो चोरी-चोरी उन्हें उत्तर प्रदेश कैसे स्मगल किया गया?

अदालत के रंज को हम समझना चाहते हैं. हिंसा उसे सोचने से रोक रही है, लेकिन हिंसा हो कैसे रही है? कौन उसका शिकार है? हिंसा हो जाती है या की जाती है?

Lucknow: Police personnel deployed outside the historic Tiley Wali Masjid ahead of Friday prayers in view of protests against CAA and NRC, in Lucknow, Friday, Dec. 27, 2019. (PTI Photo/Nand Kumar)(PTI12_27_2019_000100B)
फोटो: पीटीआई

हिंसा के सबसे ज्यादा, सबसे ताकतवर और कारगर हथियार किसके पास हैं? किसके पास एक संगठित शक्ति है जो कानूनी हिंसा कर सकती है? किसने उत्तर प्रदेश में आम शहरियों के घर-घर घुसकर तबाही की? किसने कैमरे तोड़कर चेहरे ढंककर लोगों को मारा? गोलियां कहां से चलीं? 21 हिंदुस्तानियों की जान किसने ली?

अदालत से आखिर यह कौन पूछे और कैसे? आप जब उसके पास ये सवाल लेकर जाते हैं तो वह हिंसा से रूठ जाती है, ‘जाओ, हम कुछ नहीं सुनते , बहुत हिंसा हो रही है.’

जी हुजूर! बहुत हिंसा हो रही है. जब मुल्क का गृह मंत्री अपने विरोधियों के कान के पर्दे फाड़ देने को कह रहा हो, जब हुकूमत करनेवाली पार्टी के कार्यकर्ता उसके आलोचकों को गोली मार देने के नारे लगा रहे हों, तब यह पता करना मुश्किल नहीं है कि हिंसा का का स्रोत कौन है या कहां है.

पिछले छह साल से हिंसा रोज़ाना आयोजित की जा रही है हुजूर! असम में एनआरसी एक बड़ी हिंसा थी, जिससे असम के लाखों लोग अब तक उबर नहीं पाए हैं. डिटेंशन कैंप हिंसा है. गृह मंत्री की मुल्क में घूम-घूमकर घुसपैठियों को बीन-बीनकर बाहर फेंक देने की धमकी हिंसा है.

अभी हाल में जो प्रधानमंत्री ने दिल्ली में सभा की और जमा भीड़ को पूरे विपक्ष और बुद्धिजीवियों के खिलाफ भड़काया, वह हिंसा का खुला उकसावा था. उस भीड़ से उठ रही चीख, ‘मोदी जी आदेश करो, हम तुम्हारे साथ हैं’ में छिपी खून की प्यास कितनी पहचानी है!

आप उन गिरोहों के वीडियो देखें हुजूर जिनमें नारे लग रहे हैं, ‘मोदी जी लट्ठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं.’ प्रधानमंत्री लट्ठ बजाए? किस पर? उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री ने शान बघारी कि विरोध करने वालों के होश ठिकाने लगा दिए गए हैं, वे सन्नाटे में हैं!

ये क्या जनतंत्र है श्रीमान, अगर उसमें जिसे गलत समझूं, उसके खिलाफ आवाज़ न उठा सकूं? क्या इसके चलते मेरी जुबान तराश ली जाएगी? फिर भारत और चीन में क्या फर्क है?

अभी जेएनयू में खुलेआम हथियारबंद गिरोह ने जो सिर फोड़े और तबाही मचाई, वह हिंसा थी. वह जो पटना के फुलवारी शरीफ़ में 18 साल के अमीर हांजला का अपहरण करके उसे तड़पा-तड़पाकर मार डाला गया, उसे सिर्फ हिंसा कहना भी जुर्म है.

‘इतनी ज्यादा हिंसा!,’आपने यही कहा न? हम सब यह पिछले छह बरस से कह रहे हैं.

लेकिन हम आसमान की तरफ इशारा करके नहीं कह रहे कि हिंसा की बारिश बंद हो. हिंसा कोई दैवीय कोप नहीं है, यह पूरी तरह से इस सरकार की ओर से नियोजित और संगठित, फिर कार्यान्वित की जा रही है.

इसमें पुलिस के साथ गुंडों के गिरोह शामिल हैं. वे गिरोह स्वैच्छिक नहीं हैं. उन्हें बनाया जा रहा है. हिंसा है, बहुत है और लगातार है. वह कानून की शक्ल में की जाने वाली मनोवैज्ञानिक हिंसा है और सड़क पर पुलिस और गुंडों के द्वारा की जाने वाली शारीरिक हिंसा है.

वह किसी की तरफ से है, किसी के खिलाफ है. अभी भारत में वह मुसलमानों के खिलाफ है. आपने कल कहा कि किसी भी कानून की संवैधानिकता तो पहले से मानकर चला जाता है. इस तर्ज़ पर यह न कहा जाने लगे कि सरकार की हिंसा तो हिंसा का निवारण है!

राज्य हमेशा से हिंसा का स्रोत रहा है. पहली बार भारत में वह अपनी मदद के लिए समाज में हिंसक गिरोह बना रहा है. हम अपने जज साहब की इस हिंसा से होने वाली उलझन को समझें और उनसे हमदर्दी जताएं!

हम, जिनके माथे पर पट्टी बंधी है, जिनके ज़ख्मों से खून अभी भी रिस रहा है, जिनके मन में सरकार के द्वारा किए जा रहे रोजाना अपमान का घाव अब नासूर बनता जा रहा है!

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं.)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq pkv games pkv games slot gacor slot thailand pkv games bandarqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq pkv games bandarqq dominoqq judi bola judi parlay pkv games bandarqq dominoqq pkv games pkv games pkv games bandarqq pkv games bandarqq dominoqq bandarqq slot gacor slot thailand slot gacor pkv games bandarqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq slot gacor slot gacor bonus new member bonus new member bandarqq domoniqq slot gacor slot telkomsel slot77 slot77 bandarqq pkv games bandarqq pkv games pkv games rtpbet bandarqq pkv games dominoqq pokerqq bandarqq pkv games dominoqq pokerqq pkv games bandarqq dominoqq pokerqq bandarqq pkv games rtpbet bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq pkv games bandarqq pkv games dominoqq slot bca slot bni bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games dominoqq pkv games bandarqq dominoqq slot bca slot telkomsel slot77 slot pulsa slot thailand bocoran admin jarwo depo 50 bonus 50 slot bca slot telkomsel slot77 slot pulsa slot thailand bocoran admin jarwo depo 50 bonus 50 slot bri slot mandiri slot telkomsel slot xl depo 50 bonus 50 depo 25 bonus 25 slot gacor slot thailand sbobet pkv games bandarqq dominoqq slot77 slot telkomsel slot zeus judi bola slot thailand slot pulsa slot demo depo 50 bonus 50 slot bca slot telkomsel slot mahjong slot bonanza slot x500 pkv games slot telkomsel slot bca slot77 bocoran admin jarwo pkv games slot thailand bandarqq pkv games dominoqq bandarqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq pkv games bandarqq dominoqq bandarqq pkv games bandarqq bandarqq pkv games pkv games pkv games bandarqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq pkv games dominoqq bandarqq