राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु दूसरे, पश्चिम बंगाल तीसरे, मध्य प्रदेश चौथे और कर्नाटक पांचवें स्थान पर है. इन पांच राज्यों में ही किसान आत्महत्या के करीब 51 फीसदी मामले दर्ज किए गए.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 10,349 लोगों ने आत्महत्या की. यह देश में इस अवधि में हुए खुदकुशी के मामलों का सात फीसदी है. वर्ष 2018 में कुल 1,34,516 लोगों ने आत्महत्या की.
देश में अपराध के आंकड़ों का संकलन कर विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार एजेंसी के मुताबिक 2016 के मुकाबले 2018 में किसानों की खुदकुशी के मामलों में कमी आई है. वर्ष 2016 में 11,379 किसानों ने आत्महत्या की थी. इससे पहले साल 2014 में 12,360 और 2015 में 12,602 किसानों ने आत्महत्या की थी.
कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों, खेतिहर और कृषि मजदूरों की खुदकुशी के मामले शून्य रहे.
एनसीआरबी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुदुचेरी ऐसे राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश रहे जहां पर कृषि क्षेत्र में कार्यरत किसी भी व्यक्ति की खुदकुशी की घटना दर्ज नहीं की गई.
एनसीआरबी की ओर से बीते आठ जनवरी को जारी रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या करने वाले किसानों में अधिकतर पुरुष हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘वर्ष 2018 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,349 लोगों ने खुदकुशी की. इनमें भी 5,763 किसान हैं जबकि शेष 4,586 खेतिहर मजदूर हैं. यह आंकड़ा देश में कुल आत्महत्या के मामलों का 7.7 प्रतिशत है.’
एनसीआरबी के अनुसार, 2018 में आत्महत्या करने वाले 5,763 किसानों में 5,457 पुरुष और 306 महिलाएं हैं. इसी प्रकार आत्महत्या करने वाले 4,586 खेतिहर मजदूरों में 4,071 पुरुष और 515 महिलाएं शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में कुल 1,34,516 लोगों ने खुदकुशी की जो 2017 के 1,29,887 आत्महत्या के मामलों के मुकाबले 3.6 प्रतिशत अधिक है.
आत्महत्या के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (17,972) में दर्ज किए गए. दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: तमिलनाडु (13,896), पश्चिम बंगाल (13,255), मध्य प्रदेश (11,775) और कर्नाटक (11,561) है. इन पांच राज्यों में ही 50.9 फीसदी खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 में कुल 10,655 किसानों ने आत्महत्या की. इस साल भी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की थी. आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में 3701, कर्नाटक में 2160, मध्य प्रदेश में 955, तेलंगाना में 851, आंध्र प्रदेश में 816 और छत्तीसगढ़ में 502 किसानों ने आत्महत्या की थी.
मालूम हो कि किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर बना हुआ है. साल 2016 में इस राज्य में सर्वाधिक 3,661 किसानों ने आत्महत्या की. इससे पहले 2014 में यहां 4,004 और 2015 में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की थी.
सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश जहां देश की 16.9 प्रतिशत आबादी रहती है, वहां कुल खुदकुशी में से केवल 3.6 प्रतिशत मामले ही दर्ज किए. केंद्र शासित प्रदेश के मामले में सबसे अधिक दिल्ली में 2,526 खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए. 500 आत्महत्या के मामलों के साथ पुदुचेरी दूसरे स्थान पर रहा.
बता दें कि एनसीआरबी केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन एक संस्था है. इस संस्था ने साल 2016 में किसान आत्महत्या के मामले पिछले साल नवंबर महीने में तकरीबन तीन साल की देरी से जारी किए थे.
नवंबर 2018 से पहले एनसीआरबी ने भारत में आकस्मिक मौतों और आत्महत्याओं की अंतिम रिपोर्ट इससे पहले 2015 में ये रिपोर्ट जारी की थी. एनसीआरबी साल 1995 से किसान आत्महत्या के आंकड़ों का प्रकाशन कर रहा है और तब से लेकर 2016 तक में कुल 3,33,407 किसानों ने आत्महत्या की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)