सूरत की वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी छात्राओं का कहना है कि विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टल में घटिया खाना दिया जा रहा है और वे लोग इसके विरोध में भूख हड़ताल पर हैं. उनका आरोप है कि प्रबंधन यही खाना खाने के लिए जबरन दबाव बना रहा है, न खाने पर हॉस्टल से निकल जाने को कहा जा रहा है.
सूरत की वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी के गर्ल्स हॉस्टल में घटिया खाना देने का मामला सामने आया है. छात्राओं का आरोप है कि खाने में कीड़े मिल रहे हैं और इसका विरोध करने के बावजूद हॉस्टल प्रबंधन जबरन छात्राओं को खाना खाने के लिए मजबूर कर रहा है.
दैनिक भास्कर के मुताबिक छात्राओं ने बताया कि दस दिन से हॉस्टल में घटिया खाने की शिकायत की जा रही है, लेकिन अधिकारी सुन नहीं रहे हैं. कई बार विरोध करने पर भी जब बात नहीं मानी गई तो उन्हें भूख हड़ताल करनी पड़ी.
खाने में कीड़े मिलने के बाद गुरुवार रात को 150 छात्राओं ने अपने कमरों से बाहर आकर विरोध करना शुरू कर दिया. छात्राओं ने आरोप लगाया कि हॉस्टल प्रबंधन घटिया खाना खाने के लिए जबरन दबाव बना रहा है. खाना न खाने पर हॉस्टल से निकल जाने को कहा जा रहा है.
छात्राओं के अनुसार, हॉस्टल प्रबंधन ने उसी रात लगभग 11 बजे आदेश दिया कि अब कोई भी छात्रा बाहर का खाना नहीं खाएगी, सबको हॉस्टल में ही खाना पड़ेगा. प्रबंधन के इस फरमान के बाद छात्राएं भड़क गईं. छात्राओं ने कई घंटों तक इसका विरोध किया.
छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल के खाने में कीड़े-मकोड़े मिलते हैं. शिकायत करने पर भी कोई नहीं सुनता. कई बार मेस वाले कैलाश भाई (शिवानी केटरर्स) को घटिया खाने की जानकारी दी गई, लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, जो है वही खाना पड़ेगा. रोज-रोज बहाना नहीं चलेगा. जो है वह अच्छा है, इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
छात्राओं का कहना है कि खाने में अक्सर कीड़े मिलते हैं और अब इसकी कीमत भी बढ़ाने की बात कही जा रही है. वे हाॅस्टल का घटिया खाना खाकर बीमार नहीं पड़ना चाहती हैं इसलिए खाने का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. प्रबंधन की तरफ से जब तक कोई आश्वासन नहीं मिलता, वे विरोध से पीछे नहीं हटेंगी.
शुक्रवार को भी 20 से ज्यादा छात्राओं ने खाना नहीं खाया. हॉस्टल प्रबंधन ने छात्राओं के हंगामे के बाद कहा कि हॉस्टल में खाने के लिए अच्छी व्यवस्था की जा रही है, लेकिन हॉस्टल की वार्डन यशोधरा में इस तरह की को शिकायत मिलने से इनकार किया है.
उन्होंने बताया कि गुरुवार की रात छात्राओं ने मात्र अपना गुस्सा जाहिर किया था. इसके अलावा ज्यादा हंगामा नहीं हुआ. घटिया खाने के बारे में उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि उन्होंने गुरुवार को छात्राओं के सामने ही मेस वाले से बात की और उससे कहा कि खाने की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
उन्होंने आगे जोड़ा कि अब इस मामले को ज्यादा तूल देना ठीक नहीं है. इसके साथ छात्राओं का ये भी आरोप है कि घटिया खाना देने के लिए मेस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय छात्राओं पर ही पाबंदियां लगा दी गई हैं.
यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के खाने को लेकर छात्राओं की ओर से विरोध पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी इस यूनिवर्सिटी के समरस छात्रावास में घटिया खाना देने खबर आयी थी और इसकी शिकायत करने पर छात्राओं पर कार्रवाई करने की खबर आई थी.
बताया गया था कि खाने में कीड़े और हॉस्टल में पानी न आने की शिकायत करने पर समरस हॉस्टल प्रशासन ने अक्टूबर 2019 में दो छात्राओं पर कार्रवाई करते हुए उन्हें हॉस्टल से बाहर कर दिया था.
बता दें कि दूर-दराज से पढ़ने आने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए समरस हॉस्टल योजना बनाई गई है. इस हॉस्टल का संचालन राज्य सरकार की ओर से किया जाता है. इस यूनिवर्सिटी परिसर में भी समरस हॉस्टल हैं, जहां से लॉ कर रही दो छात्राओं निकाला गया था.
प्रशासन ने दोनों छात्राओं को हॉस्टल के अन्य विद्यार्थियों को भड़काने का आरोप लगाया था और दोनों की ओर से की गई शिकायत को झूठा बताया गया था.
छात्राओं को दिए गए नोटिस में कहा गया था कि शिकायत कर दोनों ने हॉस्टल की छवि खराब करने का प्रयास किया है इसलिए उन्हें हॉस्टल से निकाला जा रहा है.