देश के हालात ठीक नहीं, युवा सड़कों पर हैंः सुनील गावस्कर

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि देशभर में विरोध प्रदर्शन से बने मौजूदा मुश्किल हालात से भारत उबर जाएगा, जैसे अतीत में वह संकट की कई स्थितियों से निपटने में सफल रहा है.

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि देशभर में विरोध प्रदर्शन से बने मौजूदा मुश्किल हालात से भारत उबर जाएगा, जैसे अतीत में वह संकट की कई स्थितियों से निपटने में सफल रहा है.

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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर (फोटोः ट्विटर)

नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने देश के मौजूदा हालातों पर चिंता जताई है.

गावस्कर ने शनिवार को 26वें लाल बहादुर शास्त्री स्मृति व्याख्यान के दौरान कहा, ‘देश मुश्किल में है. हमारे कुछ युवा सड़कों पर उतरे हुए हैं जबकि उन्हें अपनी कक्षाओं में होना चाहिए. सड़कों पर उतरने के लिए उनमें से कुछ को अस्पताल जाना पड़ा.’

उन्होंने कहा कि हालांकि हम उस भारत में विश्वास रखते हैं जहां के लोग संकट के इस समय से उबर जाएंगे.

गावस्कर ने कहा, ‘भारत देशभर के विरोध प्रदर्शन से बने मौजूदा मुश्किल हालात से उबर जाएगा, जैसे अतीत में वह कई संकट की स्थितियों से निपटने में सफल रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘हम अपना भविष्य बनाने और भारत को आगे ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. एक देश के रूप में हम तभी आगे बढ़ सकते हैं जब हम सभी एकजुट हों, जब हम सभी सामान्य भारतीय होंगे. खेल ने हमें यही सिखाया है.’

उन्होंने कहा, ‘देश केवल तभी एकजुट रह सकता है, जब हम खुद को सबसे पहले भारतीय समझे.’

गावस्कर ने कहा, ‘जब तभी जीतेंगे, जब हम एक साथ होंगे. भारत पहले भी इसी तरह के मुश्किल संकट के दौर से उबर है और इस बार में और मजबूत होकर उबरेगा.’

उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा, ‘हमारा दिमाग ऐसे ही एक बड़े संकट की तरफ जाता है, जब 1965 में हमारी पड़ोसियों ने हम पर हमला किया था और हम उसका मुंहतोड़ जवाब दिया था.’

इस दौरान गावस्कर ने छात्रों से सड़कों की बजाए अपनी कक्षाओं में लौटने की अपील करते हुए कहा, ‘मैं उन्हें सिर्फ इतना कहूंगा कि अपनी कक्षाओं में लौट जाएं. ये उनका मुख्य कर्तव्य है. वे यूनवर्सिटी पढ़ने गए हैं इसलिए कृपया पढ़े.’

मालूम हो कि पिछले कुछ सप्ताह से देशभर के छात्र सड़कों पर हैं. नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ सबसे पहले जामिया मिलिया इस्लामिया में विरोध देखने को मिला जबकि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोश लोगों ने हिंसा फैलाई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)