मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के वीरसिंहपुर क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र में भी सोमवार को टीकाकरण के बाद एक माह से कम उम्र के दो नवजात बच्चों की मौत हुई है. शहडोल में सभी छह बच्चों की मौत 13 और 14 जनवरी की दरमियानी रात हुई. शिशुओं की आयु एक दिन से ढाई माह के बीच थी.
शहडोल: मध्य प्रदेश के शहडोल स्थित शासकीय कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल में पिछले 12 घंटों के दौरान छह आदिवासी नवजात बच्चों की मौत हो गई. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश पांडे ने मंगलवार को बताया कि खरेला गांव की निवासी चेत कुमारी पाव और भटगंवा गांव की निवासी फूलमती के नवजात बच्चों और श्याम नारायण कोल, सूरज बैगा, अंजलि बैगा, और सुभाष बैगा को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
सभी छह बच्चों की 13 और 14 जनवरी की दरमियानी रात मौत हो गई. उन्होंने बताया कि शिशुओं की आयु एक दिन से ढाई माह के बीच थी.
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में बच्चों की मौत के लिए विभिन्न कारण सामने आए हैं. मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं.
इस बीच प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल बच्चों की मौत की जानकारी लगने पर अस्पताल पहुंचे और अस्पताल के निरीक्षण के साथ ही बच्चों के परिजन से मुलाकात की.
उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जा रही है. पटेल ने कहा कि इसमें जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, सतना के एक अस्पताल में भी दो बच्चों की मौत बीते सोमवार को हो गई. स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने शहडोल और सतना जिले में बच्चों की मौत की घटनाओं की जांच के आदेश दे दिए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, शहडोल में बच्चों की मौत की वजह निमोनिया बताई जा रही है.
उधर, सतना जिले के वीरसिंहपुर क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र में सोमवार को टीकाकरण के बाद एक माह से कम उम्र के दो नवजात बच्चों की मौत हो गई थी. साथ ही पांच अन्य बच्चों के गंभीर रूप से बीमार हो गए थे.
मालूम हो कि इससे पहले राजस्थान के कोटा शहर स्थित जेके लोन अस्पताल में सिर्फ दिसंबर महीने में 104 बच्चों की मौत अलग अलग कारणों से होने की वजह से काफी विवाद हुआ था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)