दिल्ली की शकूरबस्ती में प्रदूषण: सीमेंट कंपनियों ने श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच नहीं कराई

एनजीटी में दाख़िल एक याचिका में दावा किया गया है कि सीमेंट के अवैज्ञानिक तरीके से चढ़ाने और उतारने के चलते नई दिल्ली के शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण है. इससे सीमेंट ढोने वाले मज़दूरों के अलावा यहां रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.

(फोटो: रॉयटर्स)

एनजीटी में दाख़िल एक याचिका में दावा किया गया है कि सीमेंट के अवैज्ञानिक तरीके से चढ़ाने और उतारने के चलते नई दिल्ली के शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण है. इससे सीमेंट ढोने वाले मज़दूरों के अलावा यहां रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: ‘अल्ट्राटेक’ और ‘अंबुजा’ सहित सीमेंट की दिग्गज कंपनियों ने नई दिल्ली के शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के पास सीमेंट की बोरियों के लदान और उसे उतारने में शामिल श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच नहीं कराई. ये श्रमिक सांस लेने और त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं.

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) को यह जानकारी दी गई है. एनजीटी को एक समिति ने बताया है कि पांच सीमेंट कंपनियों- एसीसी सीमेंट, वंडर सीमेंट, मंगलम सीमेंट, अंबुजा सीमेंट और अल्ट्राटेक सीमेंट में से एसीसी को छोड़कर चार कंपनियों ने श्रमिकों की कोई स्वास्थ्य जांच नहीं कराई.

एनजीटी शहर के निवासी अनुभव कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में दावा किया गया है कि सीमेंट के अवैज्ञानिक तरीके से चढ़ाने और उतारने के चलते शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के पास रानी बाग, शकूरबस्ती, राजा पार्क, पंजाबी बाग और मादीपुर में तथा इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण है.

समिति के सदस्यों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गार्गव, आईआईटी दिल्ली के प्रो. मुकेश खरे और आईआईटी कानपुर के प्रो. मुकेश शर्मा और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव शामिल हैं.

समिति द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि स्वास्थ्य सर्वेक्षण में ज्यादातर निवासियों ने अपने घरों में धूल भरने, सांस लेने और त्वचा में खुजली होने संबंधी स्वास्थ्य शिकायतें की.

रिपोर्ट में कहा गया है इस कार्य में शामिल कुछ श्रमिकों ने सांस लेने में समस्या और त्वचा से जुड़ी समस्याओं का जिक्र किया. वहीं दिहाड़ी मजदूरों में कइयों ने सांस और त्वचा की समस्याओं का जिक्र किया. स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अलावा 15 श्रमिकों का एक्स-रे भी कराया गया ताकि उनके स्वास्थ्य पर पड़े प्रभाव की पुष्टि की जा सके.

इसमें कहा गया है कि एक्स-रे जांच में श्रमिकों ने इस बात का खुलासा किया है कि सीमेंट की धूल के प्रभाव में आने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, लेकिन सीमेंट कंपनियों ने जागरूक करने के लिए सीमेंट की बोरियां ढोने के कार्य में लगे श्रमिकों की सुरक्षा के लिए किसी व्यवस्थित योजना को लागू नहीं किया है.

समिति ने कहा कि श्रमिकों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए कोई उपाय नहीं किया गया. उनमें से ज्यादातर लोग अस्थायी रूप से नियुक्त थे.

समिति ने एनजीटी को यह भी बताया कि सभी कंपनियों ने मास्क बांटे जाने के बारे में जानकारी दी, जबकि अंबुजा सीमेंट ने इस बारे में दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए. एनजीटी ने रिपोर्ट को संज्ञान में लिया और कहा कि उत्तर रेलवे के फौरन एक गोदाम बनाने की समिति की सिफारिश पर काम करने की जरूरत है.

समिति की रिपोर्ट में बताया गया है, ‘23 अक्टूबर 2019 को घटनास्थल की जांच में पता चला था कि सीमेंट को ढोने वाले किसी भी मजदूर को मास्क और दस्ताने पहने नजर नहीं आया था. सीमेंट की पांचों कंपनियों में से सिर्फ अंबुजा सीमेंट ही इन मजदूरों को शिक्षित करने के दस्तावेजी साक्ष्य मुहैया कराया.’

मालूम हो कि शकूरबस्ती उत्तर दिल्ली जिले का एक छोटा सा स्टेशन है. यह दिल्ली उपनगर रेलवे का हिस्सा है. यहां शकूर बस्ती डीजल शेड, रेलवे स्टोर हाउस, सीमेंट रखने का भवन और कुछ अन्य इमारतें हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)