सत्तारूढ़ कांग्रेस ने विधानसभा में इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून असंवैधानिक है और इसे ख़त्म किया जाना चाहिए. संसद में इसके पक्ष में मतदान करने वाले शिरोमणि अकाली दल ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन में पारित कर दिया गया.
इस प्रस्ताव में नागरिकता संशोधन कानून को असंवैधानिक बताया गया है. कांग्रेस ने मांग की है कि इस कानून को खत्म किया जाए. मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने दो दिवसीय विधानसभा सत्र के दूसरे दिन इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था.
Resolution moved by Punjab government against #CitizenshipAmendmentAct has been passed in the state assembly. https://t.co/QZHb7mIIIf
— ANI (@ANI) January 17, 2020
मोहिंद्रा ने इस प्रस्ताव को पढ़ते हुए कहा, ‘संसद की ओर से पारित नागरिकता कानून से देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और इससे लोगों में काफी गुस्सा है और सामाजिक अशांति पैदा हुई है. इस कानून के खिलाफ पंजाब में भी विरोध प्रदर्शन हुआ जो शांतिपूर्ण था और इसमें समाज के सभी तबके के लोगों ने हिस्सा लिया था.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद में नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में मतदान करने वाले शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने विधानसभा में राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए इस प्रस्ताव का समर्थन किया.
एसएडी के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा, ‘अगर लोगों को एक पंक्ति में खड़े होना हो और इस बात की पुष्टि करनी हो कि वे कहां पैदा हुए थे तो हम इस तरह के किसी भी कानून के खिलाफ हैं.’
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा, ‘भारत का धर्मनिरपेक्षता का ताना-बाना हमेशा से ही मजबूत रहा है. इसे अलग-थलग करने का प्रयास किसी ने भी किया तो उसका इस देश की जनता के साथ-साथ कांग्रेस के द्वारा भी विरोध किया जाएगा.’
उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार विभाजनकारी नागरिकता कानून को लागू नहीं करने देगी. वह और कांग्रेस धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनका विरोध नागरिकता संशोधन कानून में मुस्लिमों समेत कुछ अन्य धार्मिक समुदायों के प्रति किए गए भेदभाव को लेकर है.
बता दें कि इससे पहले केरल सरकार भी इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव ला चुकी है. इसके साथ ही केरल सरकार ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
नागरिकता संशोधन कानून और अन्य नियमों को चुनौती देते हुए केरल ने कहा था, ‘यह कानून अनुच्छेद 14, 21 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और यह कानून अनुचित और तर्कहीन है.’
नए नारिकता कानून के खिलाफ पहले से ही कई याचिकाएं दायर की गई हैं और केरल की याचिका में भी करीब-करीब वैसी ही दलीलें दी गईं हैं. राज्य ने कहा कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है.
इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2015 के पहले भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)