नागरिकता कानून के तहत नागरिकता पाने के लिए धार्मिक उत्पीड़न शर्त नहींः हिमंता बिस्वा शर्मा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में चर्चा के दौरान कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदुओं, जैनों, बौद्धों, पारसियों, सिखों और इसाइयों को नागरिकता दी जाएगी.

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हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक/Himanta Biswa Sarma)

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में चर्चा के दौरान कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदुओं, जैनों, बौद्धों, पारसियों, सिखों और इसाइयों को नागरिकता दी जाएगी.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक/Himanta Biswa Sarma)
हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक/Himanta Biswa Sarma)

गुवाहाटीः असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा का कहना है कि नागिरकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नागरिकता पाने के लिए धार्मिक उत्पीड़न कोई आधार नहीं है.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति यह कैसे प्रमाणित कर सकता है कि उसके साथ धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ है. धार्मिक प्रताड़ना की अवधारणा को साबित करना संभव ही नहीं है.

शर्मा ने कहा कि नागरिकता कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के तीन मापदंड हैं,  इनमें से पहला है कि आवेदक हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, सिख या बौद्ध हो. दूसरा, आवेदक मूल रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का रहने वाला हो और तीसरा यह कि उसके पास 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत में रहने का प्रमाण हो.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा धार्मिक उत्पीड़न नागरिकता के लिए कोई मापदंड नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट  के मुताबिक,  शर्मा ने कहा, ‘धार्मिक प्रताड़ना के लिए किसी तरह के प्रमाणों की जरूरत है? क्या उनके पास प्रताड़ना के दौरान हुए घावों को दिखाने के लिए तस्वीरें हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कोई अपीलकर्ता यह कैसे साबित करेगा कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुआ है या वह कैसे साबित करेगा कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आया है?

उन्होंने कहा, ‘यह किसी भी इंसान के लिए संभव नहीं है कि वो बांग्लादेश जाए और धार्मिक प्रताड़ना के खिलाफ थाने में दर्ज कराई गई शिकायत का प्रमाण लेकर आए. अगर किसी इंसान को साबित करना है तो वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुआ है तो उसे थाने में दर्ज कराई गई शिकायत की कॉपी लाने के लिए बांग्लादेश जाना होगा. क्या बांग्लादेश का वो पुलिस स्टेशन उसे एफआईआर की कॉपी देगा? इसलिए मैंने कहा कि नागरिकता कानून के तहत किसी के लिए यह साबित करना नामुमकिन होगा कि वो धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुआ है.’

मालूम हो कि नागरिकता कानून 10 जनवरी से देशभर में प्रभावी हो गया. इसके तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस कानून पर सदन में चर्चा के दौरान कहा था कि नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदुओं, जैनों, बौद्धों, पारसियों, सिखों और इसाइयों को नागरिकता दी जाएगी.

गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि चूंकि पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में भारी संख्या में अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हैं, इसकी वजह से नागरिकता संशोधन विधेयक लाया गया है. इससे लाखों लोग लाभान्वित होंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि यह कानून इन तीनों देशों में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार हुए लोगों की मदद के लिए जरूरी है.