साल 2018 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में यौन शोषण का मामला सामने आया था. यह बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के संगठन की ओर से चलाया जाता था. मामले के सभी दोषियों को 28 जनवरी को सज़ा सुनाई जाएगी.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में सोमवार को मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 19 लोगों को दोषी करार दिया है जबकि एक को बरी कर दिया है.
अदालत ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में बृजेश ठाकुर और 18 अन्य को कई लड़कियों के यौन एवं शारीरिक उत्पीड़न का दोषी करार दिया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर को बच्चों का यौन अपराध से संरक्षण (पॉक्सो) एक्ट के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया है.
अदालत ने मामले के आरोपियों में से एक को आरोपमुक्त कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बृजेश ठाकुर और 18 अन्य दोषियों को 28 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी.
Muzaffarpur shelter home case: A Delhi Court convicts 19 accused including NGO owner Brajesh Thakur in connection with sexual & physical assault of girls at a shelter home in Bihar's Muzaffarpur district. One accused acquitted. pic.twitter.com/n8ysX2D994
— ANI (@ANI) January 20, 2020
इस मामले में जनवरी महीने में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आश्रय गृह में किसी भी बच्ची की हत्या के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, जैसा कि पहले कहा गया था.
सीबीआई ने कहा कि 35 लड़कियों का पता लगाया गया है और वे सभी जीवित हैं.
सीबीआई की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, ‘जहां बच्चियों को दफनाया गया था, जब सीबीआई वहां जांच के लिए पहुंची तो वहां से दो नरकंकाल बरामद हुए. फॉरेंसिक जांच से पता चला है कि इनमें से एक महिला और एक पुरुष का है जबकि किसी नाबालिग की हत्या की संभावना नहीं है.’
उन्होंने कहा कि जब नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (एनआईएमएचएएएस) ने दोबारा लड़कियों से बात की तो नाबालिगों की हत्या के आरोप झूठे पाए गए.
बिहार की एक स्थानीय निवासी निवेदिता झा की जनहित याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही थी.
याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश वकील शोएब आलम ने कहा, ‘सिर्फ इस वजह से कि सभी लड़कियां जीवित पाई गई हैं, ऐसे में किसी की भी हत्या नहीं हुई, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. सीबीआई को इन आरोपों की जांच करनी चाहिए.’
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रजेश ठाकुर के अलावा बालिका गृह की अधीक्षक इंदु कुमारी, मीनू देवी, चंदा देवी, काउंसलर मंजू देवी, नर्स नेहा कुमारी, केस वर्कर हेमा मसीह, सहायक किरण कुमारी, तत्कालीन सीपीओ रवि कुमार, सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष दिलीप कुमार, सीडब्ल्यूसी के सदस्य विकास कुमार, ब्रजेश ठाकुर का ड्राइवर विजय तिवारी, कर्मचारी गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, रामानुज ठाकुर, रमाशंकर सिंह, बालिका गृह के डॉक्टर अश्विनी, साइस्ता परवीन उर्फ मधु को अदालत ने दोषी करार दिया गया है.
बता दें कि यह आश्रय गृह ठाकुर द्वारा चलाया जा रहा था. ब्रजेश ठाकुर ने 2000 में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपा) के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हार गया था.
बता दें कि साल 2018 में बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में 31मई को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. मामला तब सामने आया जब इस साल के शुरू में मुंबई के एक संस्थान टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी समाज लेखा रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.
मुज़फ़्फ़रपुर के साहू रोड स्थित इस बालिका गृह को सेवा संकल्प एवं विकास समिति की ओर से संचालित किया जाता था, जो कि ब्रजेश ठाकुर का संगठन था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)