आईएमएफ के ताजा अनुमान के अनुसार 2019-20 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रहेगी. जबकि 2020 में इसमें थोड़ा सुधार आयेगा और यह 3.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. उसके बाद 2021 में 3.4 प्रतिशत रहेगी.
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में गिरावट के लिए भारत मुख्य रूप से जिम्मेदार है.
स्विटजरलैंड के दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूइएफ) की 50वीं वार्षिक बैठक के दौरान गोपीनाथ ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में ये बात कही. बीते सोमवार को आईएमएफ ने भारत समेत कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक सुस्ती की वजह से वैश्विक वृद्धि का अनुमान काफी घटा दिया है.
आईएमएफ ने कहा है कि 2019 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि की दर 2.9 प्रतिशत रह सकती है. विश्व आर्थिक मंच के सालाना शिखर सम्मेलन के उद्घाटन से पहले ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य पर जानकारी देते हुए मुद्राकोष ने भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2019-20 के लिए कम कर 4.8 प्रतिशत किया है.
आईएमएफ के ताजा अनुमान के अनुसार 2019-20 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रहेगी. जबकि 2020 में इसमें थोड़ा सुधार आयेगा और यह 3.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. उसके बाद 2021 में 3.4 प्रतिशत रहेगी.
इससे पहले आईएमएफ ने पिछले साल अक्टूबर में वैश्विक वृद्धि का अनुमान जारी किया था. उसके मुकाबले 2019 और 2020 के लिये उसके ताजा अनुमान में 0.1 प्रतिशत कमी आई है जबकि 2021 के वृद्धि अनुमान में 0.2 प्रतिशत अंक की कमी आई है.
भारत में जन्मीं आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान कम हुआ है.
#IndiaTodayAtDavos20
Global growth down at 2.9%, says IMF Chief Economist Gita Gopinath as she speaks #exclusively to @rahulkanwal#Newstrack with @rahulkanwal LIVE https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/tligoqo36W— IndiaToday (@IndiaToday) January 20, 2020
गीता गोपीनाथ ने कहा, ‘हमने 2019 के लिए 2.9 फीसदी और 2020 के लिए 3.3 फीसदी वैश्विक वृद्धि दर होने का अनुमान लगाया है. इस गिरावट का प्रमुख जिम्मेदार भारत है जो कि दोनों सालों के लिए महत्वपूर्ण है.’
ये पूछे जाने पर कि वैश्विक गिरावट के लिए किस हद तक भारत जिम्मेदार है, गोपीनाथ ने कहा, ‘सरल गणना कहती है कि ये 80 प्रतिशत से अधिक होगा.’
भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त के अनुमान को घटाने के बारे में गोपीनाथ ने कहा कि भारत की पहली दो तिमाही हमारे अनुमानों से कम थी. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी से काफी प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘हमने क्रेडिट ग्रोथ में तेज गिरावट और कमजोर कारोबारी धारणा को देखा है. इन सब के कारण वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है.’
भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की राह के बारे में बात करते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा, ‘हम भारत की अर्थव्यवस्था को ठीक होते हुए देखते हैं. अगले वित्तीय वर्ष में महत्वपूर्ण रिकवरी होने की संभावना है. सिस्टम में मौद्रिक प्रोत्साहन की उचित मात्रा है, कॉर्पोरेट टैक्स में भी कटौती है. इनसे ग्रोथ में रिकवरी में मदद मिलनी चाहिए.’
आईएमएफ प्रमुख ने कहा है कि सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिना और एनपीए बढ़े वृद्धि दर को ठीक करना है.