नॉर्थ ईस्ट डायरी: पूर्वोत्तर के राज्यों से इस सप्ताह की प्रमुख ख़बरें

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मेघालय के प्रमुख समाचार.

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इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मेघालय के प्रमुख समाचार.

SS Khaplang Rajeev Bhattacharya
एसएस खापलांग. (फोटो: राजीव भट्टाचार्य)

पूर्वोत्तर में उग्रवाद की स्थिति बदल सकता है खापलांग का निधन

नेशनल सोशलिस्‍ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खपलांग) प्रमुख एसएस खापलांग का निधन कट्टरपंथी नगा विद्रोही समूह के साथ शांति वार्ता का रास्ता साफ कर सकता है जो पूर्वोत्तर में उग्रवाद की स्थिति में संभवत: बदलाव करेगा.

कई उग्रवादी समूहों के समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आॅफ वेस्टर्न साउथ ईस्ट एशिया (यूएनएलएफएल) का भी नेतृत्व कर चुके 77 वर्ष खापलांग ने हाल में सुरक्षा बलों के खिलाफ हमलों तथा हथियार गिरोह चलाने में अहम भूमिका निभाई थी. वे केंद्र के साथ शांति वार्ता के विरोधी थे.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि अगर एनएससीएन (के) हिंसा का रास्ता छोड़े तो उसके साथ शांति वार्ता संभव है.

उन्होंने समाचार एजेंसी भाषा से कहा कि खापलांग की पूर्वोत्तर में उग्रवाद को समर्थन देने तथा इसमें मदद में भूमिका अहम थी. वे म्यांमार के नागरिक थे और इसलिए समस्या थी. उनकी मौत का निश्चित रूप से क्षेत्र पर असर होगा.

रिजिजू ने यह भी कहा कि अगर वे हिंसा छोड़ें तो केंद्र सरकार नगा समूह के सभी भारतीय नागरिकों का पुनर्वास करेगी.  उन्होंने कहा, ‘हम एनएससीएन (के) में सभी भारतीय नगाओं से आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में वापस लौटने की अपील करते हैं. हम उनका पुनर्वास करेंगे.’

हालांकि रिजीजू ने कहा कि वह म्यांमार के नागरिकों के बारे में बात नहीं कर सकते जो एनएससीएन (के) का हिस्सा हैं. 

खापलांग म्यांमार के हेमी नगा से आते थे. गुवाहाटी स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड पीस स्टडीज के कार्यकारी निदेशक वासबीर हुसैन ने कहा कि खापलांग पूर्वोत्तर में उग्रवादी संघर्ष के मुख्य खिलाड़ी थे और उन्होंने दो साल पहले केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता से इनकार किया था.

वर्ष 2015 मणिपुर में सेना के 18 जवानों की हत्या सहित सुरक्षाबलों पर हमले की साजिश रचने वाले खापलांग की म्यांमार के काचिन प्रांत के तक्का में शुक्रवार को निधन हो गया. प्रदेश के सभी नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.

वहीं एनएससीएन (आईएम) महासचिव थुइंगालेंग मुइवाह ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हमने एसएस खापलांग को उनकी सभी राजनीतिक गलतियों और अपराधों के लिए माफ किया, चाहे वे कितने भी गंभीर हों.

केंद्र के साथ बातचीत करने के इच्छुक थे खापलांग : लेजित्सु

कोहिमा: नगालैंड के मुख्यमंत्री शुर्होजेली लेजित्सु का कहना है कि नगा राजनीतिक समस्या को तर्कपूर्ण परिणिती तक ले जाने से पहले ही एनएससीएन (के) प्रमुख एसएस खापलांग का निधन हो गया.

लेजित्सु ने कहा, यह जानना बहुत उत्साहवर्धक था कि कुछ महीने पहले ही खापलांग ने केंद्र के साथ वार्ता की इच्छा जताई थी बशर्ते ठोस मुद्दों पर बातचीत हो.

उन्होंने कहा, हालांकि, चीजें अपने तर्कपूर्ण अंत तक पहुंचती इससे पहले ही नगा नेता की मौत हो गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि एनएससीएन (के) ने 2015 में भारत सरकार के साथ संघर्ष विराम ख़त्म होने के बाद नगालैंड सरकार लगातार केंद्र की सलाह से अपने प्रतिनिधिमंडलों को एनएससीएन (के) नेतृत्व से बातचीत के लिए म्यांमार भेज रही है. इसका लक्ष्य विद्रोही संगठन को फिर से शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए मनाना और नगा राजनीतिक समस्या का जल्दी समाधान निकालना है.

खापलांग का नौ जून की रात म्यांमार के तक्का में दिल का दौरान पड़ने से निधन हो गया. मुख्यमंत्री ने खापलांग के निधन पर शोक भी जताया।

इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में खांपलांग के निधन पर शोक जताने को लेकर मुख्यमंत्री की आलोचना करने वाली मीडिया के एक धड़े की रविवार को नगालैंड के एक मंत्री ने निंदा की.

नगालैंड के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री मंत्री इमकोंग एल. इमचेन ने मुख्यमंत्री का समर्थन करते हुए राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर आश्चर्य जताया है.

उन्होंने सवाल किया, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस मुद्दे पर नगालैंड के मुख्यमंत्री के बयान के इतने खिलाफ क्यों है?

पूर्वोत्तर में बीफ पर पाबंदी का भाजपा सरकारों का कोई इरादा नहीं : हिमंत

पूर्वोत्तर में गोमांस के मुद्दे पर भाजपा नेताओं में असंतोष की स्थिति के बीच क्षेत्र के एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने 7 जून को कहा कि भाजपा की राज्य सरकारों का लोगों के खानपान पर कोई पाबंदी लागू करने का कोई इरादा नहीं है.

भाजपानीत नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा)  के संयोजक हिमंत विश्व शर्मा ने कहा, ‘हम असम में सत्ता में हैं और लोग वहां रोज़मर्रा के जीवन में बीफ खाते हैं. पाबंदी कहां है? राज्य सरकार का कोई पाबंदी लगाने का कोई इरादा नहीं है.’

उन्होंने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर दोनों ही जगह हम सत्ता में हैं पर हमने वहां भी ऐसा नहीं किया है .

नेडा पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा और कई क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का समूह है. असम सरकार में मंत्री शर्मा पार्टी के प्रमुख नेता हैं जिन्हें क्षेत्र में भाजपा का विस्तार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.

पशुवध के लिए मवेशियों की ख़रीद-फ़रोख्त पर रोक लगाने की केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा पर हमला किया था.

वहीं दूसरी ओर मेघालय में भाजपा के कुछ नेताओं ने बीफ पर पाबंदी लगाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी है. मेघालय में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इलाके में बीफ व्यापक रूप से खाया जाता है.

शर्मा ने दावा किया कि इस मुद्दे से जनता के बीच कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है और इन राज्यों से ज़्यादा इस विषय पर दिल्ली में बात हो रही है. ज्ञात हो कि यह अधिसूचना मवेशियों के कारोबार के नियमन से संबंधित है.

शर्मा ने एजेंसी से बात करते हुए कहा, ‘कुछ लोगों ने इस तरह का माहौल बना दिया है कि पूर्वोत्तर में केवल बीफ का मुद्दा है. ऐसा दिखाया जा रहा है कि यहां लोग सुबह से रात तक बीफ खाते हैं और बाकी कुछ नहीं है. लोग सड़क, रेल, नौकरियों की बात कर रहे हैं.’

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उसने इस मुद्दे को उठाकर क्षेत्र में बहुत नकारात्मक माहौल बना दिया है. विपक्षी पार्टी गोमांस के मुद्दे पर ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है.

असम: बाढ़ से एक लाख से अधिक लोग प्रभावित

Assam Flood PTI
फोटो: पीटीआई

असम के लखीमपुर और करीमगंज जिलों में बाढ़ के कारण एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं राज्य में चार नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की रिपोर्ट के अनुसार, दो जिलों के 1,01,809 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जहां 140 गांव जलमग्न हैं. इस आपदा से 385.67 हेक्टेयर भूमि की फसल को क्षति पहुंची है.

अधिकारियों ने राहत शिविर बनाया है, जहां करीब 113 लोगों ने आश्रय लिया है. वहीं तकरीबन 130 राहत वितरण केंद्र बनाए गए हैं.

अरुणाचल प्रदेश: चकमा, हाजोंग को नागरिकता देने के मुद्दे पर चर्चा करेंगी राज्य की सभी पार्टियां

AAPSU Photo by Telegraph
चकमा हाजोंग को नागरिकता देने के मुद्दे पर आपसू की एक हालिया बैठक. (फोटो साभार: द टेलीग्राफ/Damien Lepcha)

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के मुद्दे पर इटानगर में 19 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी गई है.

अधिकारियों ने बताया कि सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के बैठक में शरीक़ होने और चकमा एवं हाजोंग को नागरिकता का अधिकार देने से जुड़े सभी संबद्ध मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने और आमराय पर पहुंचने की उम्मीद है.

पिछले साल 24 अगस्त को हुई कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक करने का फैसला किया गया था.

वहीं बीते दिनों अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आपसू) ने धमकी दी थी कि यदि राज्य सरकार 10 जून तक बैठक बुलाने में नाकाम रहती है तो वह अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेगा. इसके बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है.

राज्य के शीर्ष छात्र संगठन आपसू ने 27 मई को संकल्प लिया था कि सभी 59 विधायक और राज्य के तीन सांसद इस बैठक में अवश्य मौजूद होने चाहिए. इस संगठन ने नागरिकता के मुद्दे पर 10 जून या इससे पहले बैठक बुलाने की मांग करते हुए 29 मई को मुख्यमंत्री पेमा खांडू को एक ज्ञापन सौंपा था.

गौरतलब है कि आपसू चकमा और हाजोंग शरणार्थियों के ख़िलाफ़ 1990 से आंदोलन कर रहा है क्योंकि इसे आशंका है कि शरणार्थियों को नागरिकता मिलने से मूल आदिवासी समुदाय अल्पसंख्यक हो जायेगा और उन्हें मिलने वाले अवसर कम हो जायेंगे .

वर्ष 2015 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को इन शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए तीन माह की की समय सीमा दी थी. तब अरुणाचल सरकार ने शीर्ष न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी लेकिन न्यायालय ने उसे स्वीकार नहीं किया .

हाल ही में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था.

अरुणाचल प्रदेश: तवांग विद्युत परियोजना के ख़िलाफ़ हैं ग्रामीण और विधायक

प्रदेश के तवांग जिले के 27 गांवों के निवासियों ने तवांग चू की पहली और दूसरी चरण की विद्युत परियोजनाओं का पुरजोर विरोध करते हुए राज्य सरकार से सीमावर्ती जिले से नेशनल हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) के संचालन को तत्काल बंद करने की मांग की है.

आधिकारिक सूत्रों ने 9 जून को कहा कि 27 गांवों के करीब 80 प्रतिशत निवासी दो विद्युत परियोजनाओं को विरोध कर रहे हैं और उन्होंने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर उसे एक ज्ञापन के साथ मुख्यमंत्री पेमा खांडू को सौंपा है.

सूत्रों ने बताया कि जिले के दो विधायकों जे ताशी (भाजपा) और टी ताशी (निर्दलीय) ने भी कथित तौर पर इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं.

मणिपुर: रोडरेज में मारे गये इरोम रॉजर के परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराएगी सरकार

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केंद्र ने 5 जून को राज्य उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि मणिपुर में 2011 में रोडरेज की घटना में मारे गये युवक इरोम रॉजर के परिवार को राज्य सरकार सुरक्षा उपलब्ध कराएगी.

गौरतलब है कि रोड रेज की इस घटना में रॉजर की मौत का मुख्य आरोपी मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का पुत्र अजय मेईतेई है.

राज्य सरकार ने न्यायालय को यह भी सूचित किया कि इरोम रॉजर के माता-पिता को उनके आवास पर 24 घंटे मणिपुर राइफल्स की सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी.

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने सूचित किया कि राज्य सरकार ने इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में यह भी कहा गया है कि रॉजर की मां इरोम चित्रा देवी और पिता इरोम लोकेन्द्र सिंह को 24 घंटे सुरक्षा प्रदान करने के बारे में आदेश जारी किये जा चुके हैं.

उन्होंने कहा कि दिवंगत रॉजर के माता-पिता की ओर से मणिपुर उच्च न्यायालय में मुकदमे की पैरवी कर रहे वकील उत्सव बैंस यदि इस मामले के सिलसिले में इंफाल जायेंगे तो उन्हें भी सुरक्षा मिलेगी. इस संबंध में तीन जून को ही पुलिस महानिरीक्षक को आदेश दे दिये गये हैं.

मणिपुर के मुख्य सचिव ओ.नबकिशोर सिंह ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में इस आरोप से भी इनकार किया कि मुख्यमंत्री के इशारे पर पुलिस और प्रशासन इरोम चित्रा के उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने में अड़ंगा लगा रही है.

मुख्यमंत्री के पुत्र अजय मेईतेई को 20 मार्च 2011 को रॉजर की गोली मारकर हत्या करने के जुर्म में ग़ैर-इरादतन हत्या के अपराध में पांच साल की सजा सुनाई गयी है. रॉजर ने कथित रूप से अजय की एसयूवी को ओवरटेक नहीं करने दिया था, जिससे नाराज़ होकर उसने फायरिंग की थी.

त्रिपुरा: सीमावर्ती बाज़ार के लिए स्थान चयनित

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त्रिपुरा का एक सीमावर्ती बाज़ार (फाइल फोटो: पीटीआई)

भारत और बांग्लादेश सरकार के संयुक्त दल ने त्रिपुरा के धलाई जिले में  सीमावर्ती बाज़ार लगाने के एक स्थान को चयनित कर लिया है.

धलाई के अतिरिक्त जिलाधिकारी डीके चकमा ने कहा, ‘भारत-बांग्लादेश का संयुक्त दल मौका मुआयना करने के बाद कमालपुर (कुर्माघाट) में सीमावर्ती बाज़ार स्थापित करने पर सहमत हो गया है.’ उन्होंने यह भी बताया कि स्थान के चयन के अलावा इस प्रस्तावित सीमावर्ती बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुओं को अंतिम मंज़ूरी दे दी गई है.

चकमा ने बताया, ‘सीमावर्ती प्रबंधन समिति की यह पहली बैठक थी और यह बहुत सफल रही. हम सीमावर्ती बाज़ार को जल्द से जल्द स्थापित करने के लिये नियमित रूप से बैठक करेंगे.’

हालांकि कमालपुर-कुर्माघाट में बाज़ार स्थापित करने में एक समस्या यह है कि यदि इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा की ज़ीरो लाइन के पास बनाया जाता है, तो इसके बीच में एक नहर आ जाएगी, जबकि दिशा-निर्देशों के मुताबिक सीमावर्ती बाज़ार को भारत-बांग्लादेश की ज़ीरो लाइन के पास स्थापित किया जाना चाहिये.

इस पर चकमा ने कहा कि औद्योगिक और वाणिज्यिक विभाग इस समस्या का हल तलाशने के लिये विशेषज्ञों का एक दल भेजेगा.

मेघालय: पशुवध संबंधी नए नियम के विरोध में पांच हज़ार भाजपाइयों ने पार्टी छोड़ी

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बूचड़खानों और पशुओं की ख़रीद फ़रोख़्त पर शिकंजा कसने वाली भारतीय जनता पार्टी पूर्वोत्तर में मुश्किल में पड़ती दिख रही है. मेघालय में बुधवार को भाजपा के 5000 कार्यकर्ताओं ने पार्टी पर आदिवासियों और मांसाहार करने वालों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है. इन पांच हज़ार कार्यकर्ताओं के अलावा, पांच मंडल इकाइयां भी भंग हो गई हैं.

पशुवध पर रोक लगाने संबंधी भाजपा की नीतियों का लगातार कई राज्यों में तीखा विरोध हो रहा है. पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय में भी भाजपा के लोग इस नये नियम का विरोध कर रहे हैं. इससे पहले पार्टी के दो बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी.

भाजपा से इस्तीफ़ा देने के बाद बाचू मरक ने कहा था, ‘मैं अपने लोगों की भावनाओं को लेकर समझौता नहीं कर सकता. बीफ़ खाना हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. हमें भाजपा की ग़ैरक़ानूनी विचारधारा स्वीकार नहीं है.’

द नॉर्थईस्ट टुडे की ख़बर के मुताबिक, ‘गारो हिल्स क्षेत्र में भाजपा को यह एक और झटका है. तूरा ज़िले में भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष विल्वर ग्रेहम डांगो समेत भाजपा के 5000 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. डांगो ने अपना इस्तीफ़ा राज्य के युवा मोर्चा अध्यक्ष को सौंपा है.’

ख़बर के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार द्वारा जारी नये नियमों के विरोध में यह इस्तीफ़ा दिया गया है, जिसके तहत गोवध पर प्रतिबंध लगाया गया है. मीडिया को जारी बयान में डांगो ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों और अन्य समुदाय जो गोमांस का सेवन करने हैं, उन्हें प्रताड़ित करने का प्रयास कर रही है. मोदी का ‘सबका साथ सबका विकास’ सही ढंग से काम नहीं कर रहा है. गोरक्षक गाय के लिए लोगों की हत्या कर रहे हैं.’

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक ख़बर के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार के पशुओं की ख़रीद फ़रोख़्त को रोकने संबंधी नये नियम के विरोध में मेघालय भाजपा के 5000 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है. पार्टी से इस्तीफ़ा देते हुए विल्वर ग्रेहम डांगो ने कहा कि यह भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के विरोध में है जो गोमांस का सेवन करने वाले आदिवासियों और दूसरे समुदायों को प्रताड़ित करने की कोशिश कर रही है.’

ख़बर के मुताबिक, ‘उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों की भावनाओं के साथ खेल नहीं सकते, जो हम पर विश्वास करते हैं कि हम राजनीति में धर्म की मिलावट नहीं करेंगे, जैसा कि भाजपा कर रही है. कोई पार्टी या कोई व्यक्ति जो हमारे लोगों की भावनाओं को आहत करेगा, वह हमारे ख़िलाफ़ होगा. हम अपनी आदिवासी सरज़मीं की रक्षा करेंगे.’

पिछले हफ़्ते भी राज्य के कुछ भाजपा नेताओं ने चेतावनी दी थी कि अगर पार्टी पशुओं की ख़रीद बिक्री पर रोक लगाने वाले नये नियम को वापस नहीं लेगी तो वे पार्टी से इस्तीफ़ा दे देंगे. मेघालय भाजपा के उपाध्यक्ष जॉन एंटोनियस लिंगदोह ने कहा कि ‘ज़्यादातर नेता नये नियम से ख़ुश नहीं है क्योंकि यह सीधा हमारे लोगों पर असर डालेगा.’

इसे भी देखें: मेघालय में अधिकांश भाजपाई गोमांस खाते हैं: भाजपा नेता

पिछले हफ़्ते पशुओं को काटने के लिए बाज़ार में बेचने पर केंद्र सरकार के प्रतिबंध को लेकर मेघालय के नॉर्थ गारो हिल्स ज़िले के भाजपा अध्यक्ष बाचू मरक ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था. बाचू के इस्तीफ़े के सप्ताह भर पहले वेस्ट गारो हिल्स के भाजपा जिला अध्यक्ष बर्नार्ड एन. मरक ने इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी थी.

इन दोनों नेताओं के पार्टी छोड़ देने के बाद भाजपा ने सफाई दी थी कि अगर वह मेघालय में सत्ता में आएगी तो गोमांस पर प्रतिबंध नहीं लगाएगी. लेकिन नये नियम वापस नहीं लिए जाने की वजह से नाराज़ पार्टी के नेता एक के बाद एक करके पार्टी छोड़ रहे हैं.

ग़ौरतलब है कि पूर्वोत्तर समेत देश के कई इलाक़ों में विभिन्न समुदायों के लोग गोमांस का सेवन करते हैं. केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें वध के लिए पशुओं की ख़रीद फ़रोख़्त पर प्रतिबंध लगा दिया था. गोमांस समेत पशुओं के मांस का सेवन करने वाले समुदायों के लोग इसे अपनी खानपान की आदतों में सीधा हस्तक्षेप मान रहे हैं.

मणिपुर: सरकार ने दिए चुनाव पूर्व हुईं नियुक्तियों पर जांच के आदेश

राज्य सरकार ने पांच विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, सरकार के 15 विभागों में इस साल मार्च में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई विवादित नियुक्तियों की जांच करेगा.

शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष वाई. खेमचंद ने घोषणा की कि राज्य सचिवालय में चुनावों से ऐन पहले हुई 200 से अधिक नियुक्तियों की जांच के लिए दो एसआईटी का गठन किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘इंफाल ईस्ट के जिलाधिकारी से तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष (थोकचोम लोकेश्वर) की पत्नी को उनके द्वारा जारी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र की पुष्टि करने के लिए कहा गया है. उनके पिता भी पूर्व निर्वाचित सदस्य थे, इसलिए यह सवाल उठता है कि वे ओबीसी के दर्जे की हक़दार हैं या नहीं.’

वहीं मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने भी इन जांच दलों के गठन पर स्पष्टीकरण देते हुए कि भाजपा की सरकार बदले की भावना से काम नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन निर्वाचन आयोग ने विवादित नियुक्तियों पर सवाल उठाए हैं, जिस पर एसआईटी जांच करेगी कि नियुक्तियों में धांधली हुई है या नहीं.’

ज्ञात हो कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. भाजपा सूत्रों के मुताबिक मणिपुर में पैसे के बल पर नौकरी मिलने की बात शायद ही किसी से छिपी हो. मणिपुर भाजपा प्रमुख के भबानंद पहले ही कह चुके थे कि राज्य में उनकी सरकार बनने के बाद सभी नियुक्तियों की जांच होगी.

चुनाव से पहले उन्होंने कहा था, ‘हम उच्च अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे ज़रूरी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें क्योंकि उनकी जांच होगी.’

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार इनमें से कई नियुक्तियां चुनाव की घोषणा और राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद हुई थीं. तब निर्वाचन आयोग ने कुछ विभागों को निर्देश भी दिया था कि वे नियुक्तियां न करें.

इसके अलावा नई सरकार ने की पिछली सरकार के समय हुए विभिन्न घोटालों की भी जांच शुरू की है.

( समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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