जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में लिए जाने के ख़िलाफ़ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है. पिछले साल अगस्त में राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से ही उमर नज़रबंद हैं.
![Srinagar: Former chief minister and National Conference vice-president Omar Abdullah addresses a press conference after an all-party meeting, in Srinagar, Thursday, Sept 13, 2018. (PTI Photo) (PTI9_13_2018_000100B)](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2018/09/Omar-Abdullah-PTI9_13_2018_000100B.jpg)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया. उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लेने को उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने चुनौती दी है.
एनडीटीवी के मुताबिक जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट उमर अब्दुल्ला की हिरासत की वैधता का परीक्षण करेगा और सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है.
Sara Abdullah Pilot: We were hopeful that,as this is a habeas corpus case, that the relief would be sooner. But we have full faith in the justice system. We're here because we want that all Kashmiris should have the same rights as all citizen of India & we're waiting for that day https://t.co/F8vFTjx9dd pic.twitter.com/mWXDgqryEl
— ANI (@ANI) February 14, 2020
सारा ने कहा, ‘क्योंकि यह हीबियस कॉर्प्स याचिका थी तो हमें उम्मीद थी कि हमें जल्द ही राहत मिलेगी. लेकिन हमें न्यायिक व्यवस्था में पूरा भरोसा है. हम इसलिए यहां हैं क्योंकि हमें लगता है कि सभी कश्मीरियों को वही अधिकार मिलने चाहिए जो सभी भारतीयों को हैं और हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं. ‘
इस मामले की अगली सुनवाई दो मार्च को होगी. हालांकि, कोर्ट ने सारा अब्दुल्ला की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल के उस अनुरोध को ठुकरा दिया था, जिसमें उन्होंने अगले हफ्ते ही इस मामले की सुनवाई करने की अपील की थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी. सुनवाई शुरु होते ही तीन न्यायाधीशों की पीठ में शामिल जस्टिस मोहन शांतानागौदर ने खुद को इसकी सुनवाई से अलग कर लिया था.
मालूम हो कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों – उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया. पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही ये दोनों नेता नजरबंद हैं.
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए के तहत तब मामला दर्ज किया गया जब उन्हें छह महीने एहतियातन हिरासत में लिए जाने की अवधि समाप्त हो रही थी. इसके साथ ही दो अन्य नेताओं पर भी पीएसए लगाया गया, जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के नेता सरताज मदनी शामिल हैं.
सारा ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों से असहमति लोकतंत्र में एक नागरिक का कानूनी अधिकार है, विशेष रूप से विपक्ष के सदस्य का.
उन्होंने कहा कि उमर के खिलाफ आरोपों का कोई आधार नहीं है, न ही सोशल मीडिया पोस्ट या किसी अन्य तरीके से. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गई याचिका में कहा गया कि उमर अब्दुल्ला ने हमेशा से ही लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा कि उमर को पीएसए के तहत हिरासत के आदेश के साथ सौंपे गए डोजियर में झूठे और हास्यास्पद आरोप लगाए गए हैं.