पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत भी मामला दर्ज किया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किया जा चुका है.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर पुलिस उन लोगों के खिलाफ कठोर यूएपीए कानून का इस्तेमाल कर रही है जो कथित तौर पर सोशल मीडिया वेबसाइट इस्तेमाल करने के लिए वीपीएन या प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल कर रहे हैं.
द वायर ने पहले ही रिपोर्ट कर बताया था कि घाटी में इंटरनेट को आंशिक तौर पर बहाल किया गया है और सिर्फ करीब 350 वेबसाइट्स को ही इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. सभी सोशल मीडिया साइट्स को बैन कर दिया गया है और यह पहला ऐसा मौका है जब प्रतिबंध तोड़ने के चलते एफआईआर दर्ज किया गया है.
पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद सरकार ने इंटनेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. बाद में 3जी और 4जी प्रतिबंधों को 24 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया था. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 2जी इंटरनेट सेवा बहाल की गई है.
हालांकि अब वीपीएन सर्वर का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया साइट्स पर वीडियो अपलोड करने के संबंध में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने का मामला सामने आया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी का वीडियो अपलोड करने के बाद पुलिस ने वीपीएन सर्वर का इस्तेमाल करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया है.
पुलिस ने कहा, ‘सोशल मीडिया के दुरुपयोग को गंभीरता से लेते हुए साइबर पुलिस स्टेशन, कश्मीर जोन, श्रीनगर ने विभिन्न सोशल मीडिया यूजर्स के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिन्होंने सरकारी आदेशों की अवहेलना की और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का दुरुपयोग किया.’
पुलिस के बयान में आगे कहा गया, ‘उपद्रवियों द्वारा सोशल मीडिया साइटों का दुरुपयोग कर अलगाववादी विचारधारा का प्रचार करने और गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने की खबरे मिलती रही हैं. सोशल मीडिया इनका एक पसंदीदा माध्यम बना हुआ है जो काफी हद तक यूजर्स को गुमनाम रखता है और उनकी पहुंच को भी बढ़ाता है.’
पुलिस ने कहा कि विभिन्न वीपीएन के उपयोग से उपद्रवियों द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने का संज्ञान लेते हुए एफआईआर दायर की गई है. पुलिस ने कहा कि ये पोस्ट ‘कश्मीर घाटी के वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य के संबंध में अफवाहों का प्रचार कर रहे हैं, अलगाववादी विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं और आतंकी कृत्यों/आतंकवादियों का महिमामंडन कर रहे हैं.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एफआईआर यूएपीए की धारा 13, भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 505 तथा आईटी एक्ट की 66-ए (बी) के तहत दर्ज की गई है. एक तरफ यूएपीए का इस्तेमाल करना सवालों के घेरे में तो है ही, अन्य धाराओं पर भी विवाद है. अगर यह सही है, तो इसका मतलब है कि पुलिस ने एक बार फिर उस आईटी एक्ट की धारा 66 ए का इस्तेमाल करते हुए मामला दर्ज किया है, जिसे पहले ही खत्म किया जा चुका है.
सर्वोच्च न्यायालय ने 24 मार्च, 2015 को आईटी एक्ट की धारा 66ए को रद्द कर दिया था. हालांकि देश भर की पुलिस को यह समझ में नहीं आया और इस धारा के तहत लोगों को गिरफ्तार करना जारी रखा. पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि उनकी पुलिस इस धारा के तहत मामला दर्ज नहीं करेगी.