उत्तर पूर्व में भारी बारिश की वजह से कई राज्यों में बाढ़ जैसी स्थितियां बन गई हैं. बांग्लादेश की सीमा से लगे मिज़ोरम के लंगलेई ज़िले में जनजीवन अस्त-व्यस्त.
आइजोल: मिज़ोरम के बांग्लादेश से लगे लंगलेई ज़िले के तलाबुंग में भारी बारिश की वजह से बाढ़ के हालात बन गए हैं. बाढ़ की वजह से अब तक 10 लोगों के मारे जाने की सूचना है, जबकि छह अन्य लोग लापता हैं.
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि असम को राज्य से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 54 लंगलेई, सियाहा, लांगतलाई, सेरछिप और चंफई ज़िलों में भू-स्खलन की वजह से कई स्थानों से कट गया है. बाढ़ और भू-स्खलन से तकरीबन 450 घर तबाह हो गए है.
इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि बाढ़ में बहने की वजह से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों की संख्या बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है.
बीते सोमवार सुबह बंगाल की खाड़ी में बने दबाव की वजह से मानसून ने पूर्वोत्तर में ज़ोरदार तरीके से दस्तक दी है और जान माल को नुकसान पहुंचाया है. मानसून की वजह से राज्य में लगातार बारिश हो रही है जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में बाढ़ आ गई है.
आइजोल शहर में भी भारी बारिश की वजह से तकरीबन छह जगहों पर भू-स्खलन हुआ है. यहां रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की कवायद जारी है.
आइजोल से 40 किलोमीटर दूर सैरांग में कम से कम 15 घर क्षतिग्रस्त हो गए है. अधिकारियों के अनुसार 60 परिवारों को यहां से सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है.
राज्य के शहरी विकास और गरीबी उन्मूलन मंत्री जोडिंतलुआंगा ने मंगलवार को कहा कि लंगलेई ज़िले के दक्षिण मरपारा और फैरुंअंगकाई गांवों में आठ लोग मारे गए हैं. छह अन्य लापता हैं.
खावथलांगतुईपुई नदी के पानी से तलाबुंग कस्बे में बाढ़ आ गई है जिससे 74 इमारतें डूब गई हैं. लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इलाके से 84 परिवारों को बचाया गया है.
उधर, बांग्लादेश में भारी बारिश से हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 146 हो गई. ज़्यादातर लोगों की मौत भारत की सीमा से लगते सुदूर पहाड़ी ज़िले में हुईं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मिज़ोरम के स्वास्थ्य मंत्री लाल थंज़ारा ने बताया कि लुंगलेई के अलावा आइजोल और सेरछिप ज़िलों में तकरीबन 450 घर डूबे हुए हैं या फिर बाढ़ और भू-स्खलन की वजह से तबाह हो गए हैं. आइजोल में 50 परिवार भू-स्खलन की चपेट में आए हैं.
मानसून की वजह से नॉर्थ ईस्ट के सातों राज्य भारी बारिश की चपेट में हैं. साथ ही कई राज्यों में बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं.
नॉर्थ ईस्ट टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, असम की राजनाधी गुवाहाटी में बारिश की वजह से अनिल नगर, तरुण नगर, वीआईपी रोड, राजगढ़, भेटापारा, जोराबत, आरजी बरुआ रोड क्षेत्र और जीएस रोड इलाकों में जलजमाव की समस्या खड़ी हो गई है. इन इलाकों में पानी तमाम घरों में प्रवेश कर चुका है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर में आई बाढ़ की स्थितियों पर नज़र रखे हुए है. गृह मंत्रालय अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और दूसरे राज्यों की स्थितियों पर नजर बनाए हुए है ताकि हरसंभव मदद की जा सके.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुवाहाटी के ज़ू रोड क्षेत्र में एक रिक्शा बिजली के तार की चपेट में आ गया. इस वजह से रिक्शाचालक और उस पर बैठे कक्षा आठ के एक छात्र की मौत हो गई.
गुवाहाटी के उप ज़िलाधिकारी ए. अंगामुथु ने बताया कि इस मामले की जांच की ज़िम्मेदारी एडिशनल डिप्टी कमिश्नर पलाश प्रतिम बोरा को दे दी गई है. साथ ही पीड़ितों के परिवारों को चार लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा कर दी गई है.
उन्होंने कहा कि गुवाहाटी के सभी स्कूलों और कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई. असम जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों का जलस्तर ख़रतनाक स्तर की ओर बढ़ रहा है. आॅल इंडिया रेडियो के अनुसार, असम के कामरूप, दरांग, लखीमपुर और हैलाखंडी ज़िलों में बाढ़ और भू स्खलन से तबरीबन 13 हज़ार लोग प्रभावित हुए हैं.
इससे पहले समाचार एजेंसी भाषा की छह जून को जारी रिपोर्ट के अनुसार, असम के लखीमपुर और करीमगंज ज़िलों में बाढ़ के कारण एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं राज्य में चार नदियां ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की रिपोर्ट के अनुसार, दो ज़िलों के 1,01,809 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जहां 140 गांव जलमग्न हैं. इस आपदा से 385.67 हेक्टेयर भूमि की फसल को क्षति पहुंची है.
अधिकारियों ने राहत शिविर बनाया है, जहां करीब 113 लोगों ने आश्रय लिया है. वहीं तकरीबन 130 राहत वितरण केंद्र बनाए गए हैं.
#WATCH: Flooding in residential areas of Guwahati following heavy rains (Assam) pic.twitter.com/Uaztx7O7kF
— ANI (@ANI) June 13, 2017
असम के अलावा मणिपुर और मेघालय में भी बाढ़ और भू-स्खलन से तमाम घर और सड़कें तबाह हो गए है. मणिपुर की इंफाल घाटी और कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में राहत शिविर बनाए गए थे.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मणिपुर में इंफाल नदी का जलस्तर 70 मीटर तक पहुंच चुका है. इस वजह से तकरीबन 200 घरों के डूबने और 1500 एकड़ खेतों के जलमग्न होने का ख़तरा उत्पन्न हो गया है.
बांग्लादेश में भू-स्खलन से मरने वालों की संख्या 146 पहुंची
ढाका: बांग्लादेश में भारी बारिश से हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 146 हो गई. खोज और बचाव अभियान तेज़ किया गया. ज़्यादातर लोगों की मौत भारत की सीमा से लगते सुदूर पहाड़ी ज़िले में हुईं.
मिज़ोरम और त्रिपुरा की सीमाओं से सटे दक्षिणपूर्वी रांगामाटी हिल ज़िला सर्वाधिक प्रभावित है. यहां भू-स्खलन की कम से कम 20 घटनाएं हुई हैं जहां बचाव अभियानों में लगे सेना के चार जवानों सहित कुल 105 लोगों की जानें गईं हैं.
इसके अलावा बंदरबन और चटगांव इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि अभी भी बड़ी संख्या में लोग लापता हैं.
अधिकारियों ने कुल 129 लोगों की मौत की पुष्टि की है लेकिन मीडिया रिपोर्टों में मृतक संख्या 146 बताई जा रही है. बंगाल की खाड़ी में दबाव का क्षेत्र बनने के कारण पिछले तीन दिन से तेज़ बारिश हो रही है और इसके कारण सोमवार से तीन ज़िलों में अनेक स्थानों पर भू-स्खलन हुआ है.
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले रांगामाटी में ही 105 लोगों की मौत हुई है. इनमें सेना के कई अधिकारी और सैनिक शामिल हैं.
आपदा प्रबंधन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बेघर हो गए 4,000 लोगों को 18 सरकारी आश्रय स्थलों पर भेजा गया है. बचाव कार्यों में लगे सेना के कई जवान भी मारे गए हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा कि भू-स्खलन से चार जवानों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि ढाका में एक सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि सेना के एक मेजर एवं एक कैप्टन सहित चार कर्मयिों की मौत हो गई.
बंदरगाह शहर चटगांव से कम से कम 33 मौतों की ख़बर है. इस शहर में पांच बार भू-स्खलन हुआ जबकि पड़ोसी बंदरबन ज़िले में मूसलाधार बारिश से तीन बार भू-स्खलन हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)