दिल्ली दंगा: 167 प्राथमिकी दर्ज, 885 लोग हिरासत में

शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के चलते सात मार्च तक स्कूल बंद रहेंगे क्योंकि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है. सीबीएसई ने साफ किया कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं तय कार्यक्रम के मुताबिक दो मार्च से होंगी.

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शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के चलते सात मार्च तक स्कूल बंद रहेंगे क्योंकि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है. सीबीएसई ने साफ किया कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं तय कार्यक्रम के मुताबिक दो मार्च से होंगी.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस ने 167 प्राथमिकी दर्ज की है और 885 लोगों को गिरफ्तार किया है या हिरासत में लिया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि आयुध अधिनियम के तहत 36 मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट पर भड़काऊ पोस्ट लिखने के लिए 13 मामले दर्ज किए हैं.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अवैध और आपत्तिजनक सामग्री का प्रसार करने के लिए कई सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए गए हैं.

सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया को ऑनलाइन प्लेटफार्म का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने का परामर्श जारी किया गया है.

पुलिस ने कहा कि लोगों से भी अपील की गई है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें.

हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो गई है और 250 लोग घायल हो गए हैं.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाकों में शनिवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही. इन क्षेत्रों में अब जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है. सुरक्षाकर्मियों की व्यापक गश्त के बीच खुलीं कुछ दुकानों से किराने का सामान और दवाइयां खरीदने के लिए लोग अपने घरों से बाहर निकले.

स्थानीय निवासी इस सप्ताह की शुरुआत में इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगों में पहुंचे नुकसान से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांदबाग, मुस्तफाबाद, भजनपुरा, शिव विहार, यमुना विहार हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में शामिल हैं. हिंसा में 42 लोगों की मौत हुई है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. हिंसा के दौरान संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है. उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, पेट्रोल पंपों को फूंक दिया और स्थानीय लोगों तथा पुलिसकर्मियों पर पथराव किया.

सांप्रदायिक हिंसा में सबसे बुरी तरह प्रभावित इन इलाकों में पिछले पांच दिनों की तुलना में सड़कों पर अधिक वाहन और लोग दिखे.

कई इलाकों में आज सुबह से ही नगर निगम के कर्मचारियों को ईंटों, कांच के टुकड़े और जले हुए वाहनों को हटाते देखा गया. कुछ स्थानों पर, यहां तक कि बुलडोजर का भी इस्तेमाल किया गया क्योंकि मलबे को हाथ से हटाना मुश्किल था.

दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों ने लोगों को अपनी दुकानें खोलने के लिए प्रोत्साहित किया और शांति तथा सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की. सुरक्षाकर्मियों ने जाफराबाद में फ्लैग मार्च किया और मौजपुर तथा फिर नूर-ए-इलाही, यमुना विहार और भजनपुरा की संकरी गलियों में गए, जहाँ इस सप्ताह के शुरू में भीड़ ने दुकानों, मकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की और उनमें आग लगा दी थी.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्कूल अभी भी बंद हैं. हिंसा के मद्देनजर सात मार्च तक स्कूल बंद रहेंगे.

अधिकारियों के अनुसार हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है, इसलिए वार्षिक परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया गया है.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने हालांकि कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षाएं दो मार्च से तय कार्यक्रम के अनुसार आयोजित की जाएंगी.

एक शोरूम के मालिक, जिनकी संपत्ति पर दंगों के दौरान हमला हुआ था, ने कहा, ‘आज केवल छोटी दुकानें ही खुली हैं. बड़ी दुकानें और शोरूम अभी भी नहीं खुले हैं और उनके मालिक सतर्क हैं.’

नूर-ए-इलाही के रहने वाले शाकिब ने कहा कि ठेले पर सब्जियां बेचने वाले लोग कॉलोनियों के चक्कर लगाते हैं. उनमें से बहुत कम नजर आ रहे हैं, लेकिन कम से कम उन्होंने बिक्री फिर से शुरू कर दी है.

यमुना विहार के निवासी अमित तंवर ने कहा कि स्थिति में सुधार हुआ है और दिन में किराने की दुकानें और अन्य दुकानें खुलीं.

उन्होंने बताया कि हालांकि, रेस्तरां जैसे कुछ प्रतिष्ठान अभी भी नहीं खुले हैं क्योंकि उनके कर्मी काम पर नहीं आए हैं.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ उत्तर-पूर्वी जिलाधिकारी कार्यालय में राहत कार्यों की समीक्षा की.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं हर दिन संबंधित अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ले रहा हूं. इसके साथ ही हम जमीन पर उतरकर चौबीसों घंटे काम भी कर रहे हैं. अगर जरूरत पड़ी तो हम केंद्र सरकार से भी मदद मांगेंगे.’

कार्यवाहक दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने शनिवार को कहा कि उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीय राजधानी में शांति बहाल करना और सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करना है.

दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार संभालने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह शहर की परंपरा रही है कि हर वर्ग और धर्म के लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं और अच्छे व बुरे वक्त में एक-दूसरे की मदद करते हैं.

श्रीवास्तव 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पर लगाम लगाने के लिये इसी हफ्ते दिल्ली पुलिस का विशेष आयुक्त (कानून-व्यवस्था) नियुक्त किया गया था. अमूल्य पटनायक की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें दिल्ली पुलिस का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था जो रविवार से प्रभावी होगा.

शहर में सांप्रदायिक सद्भाव बरकरार रखने के लिये उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि उन्होंने लोगों तक पहुंचने के लिए व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है और वरिष्ठ अधिकारी लोगों के बीच विश्वास बहाली के लिये हर समुदाय के लोगों से मिलकर उनसे बात कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये जो अपराध किये गए हैं उनके तहत मामले दर्ज किए जाएंगे और हम इनमें शामिल लोगों की गिरफ्तारी के लिये प्रयास करेंगे, जिससे जल्द से जल्द विधिक कार्यवाही शुरू की जा सके.’

हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस ने 167 प्राथमिकी दर्ज की है और 885 लोगों को गिरफ्तार किया है या हिरासत में लिया है.

उन्होंने बताया कि आयुध अधिनियम के तहत 36 मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट पर भड़काऊ पोस्ट लिखने के लिए 13 मामले दर्ज किए हैं.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अवैध और आपत्तिजनक सामग्री का प्रसार करने के लिए कई सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए गए हैं. सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया को ऑनलाइन प्लेटफार्म का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने का परामर्श जारी किया गया है.

सुरक्षाकर्मी फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं और स्थानीय लोगों का डर खत्म करने के लिए रोज उनसे बातचीत कर रहे हैं. वे स्थानीय निवासियों से सोशल मीडिया पर अफवाहों पर ध्यान न देने तथा इस संबंध में पुलिस में शिकायत करने का अनुरोध कर रहे हैं.

इस बीच, सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार एक व्हाट्सएप नंबर जारी करने पर विचार कर रही है जिस पर लोग इस मैसेजिंग एप पर प्रसारित किए जा रहे घृणा संदेशों के बारे में शिकायत कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि सरकार लोगों से ऐसे संदेश आगे न भेजने की अपील करती है क्योंकि समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करने वाले ऐसे संदेशों को प्रसारित करना एक अपराध है. इस कदम का मकसद सोशल मीडिया पर अफवाहों से निपटना है.

इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों की जांच करने के लिए तथ्यान्वेषी दल का गठन किया है.

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपने कांस्टेबल मोहम्मद अनीस का घर फिर से बनवाएगा जिसे दंगों में जला दिया गया था. अर्द्धसैनिक बल इसे ‘विवाह के उपहार’ के तौर पर उन्हें सौंपेगा.

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 29 वर्षीय कांस्टेबल फिलहाल पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी के पास राधाबारी में पदस्थापित हैं और ‘बहुत जल्द’ उनका तबादला दिल्ली होगा ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सकें और अपनी शादी की तैयारियां कर सकें.

सांप्रदायिक दंगों में लापता लोगों के परिजन अपने प्रियजनों के बारे में कोई खबर नहीं मिलने से हताश हैं और हर गुजरते दिन के साथ उनका दुख बढ़ता जा रहा है. वे किसी अनहोनी की आशंका से मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे हैं. दंगा पीड़ितों के रिश्तेदार गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शवगृह के बाहर अपने परिजनों के शव मिलने के इंतजार में बैठे हैं.

अड़तालीस वर्षीय मदीना का बेटा मंगलवार से हिंसा के बाद से लापता है, जो यह पता लगाने के लिए पुलिस थानों की चक्कर लगा रही हैं कि उनका बेटा जिंदा है या नहीं.

बुधवार से जीटीबी अस्पताल का चक्कर लगा रहे बिजनौर के मोहम्मद कादिर अपने 18 वर्षीय भाई आफताब की तलाश कर रहे हैं.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सड़कों पर मंगलवार की रात उग्र भीड़ के सिर पर जहां खून सवार था, वहीं 29 वर्षीय प्रेमकांत बघेल ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने मुस्लिम पड़ोसी के जलते हुए घर में घुसकर वहां से परिवार के छह सदस्यों की जान बचाई.

शिव विहार के निवासी बघेल का गुरु तेग बहादुर अस्पताल में उपचार चल रहा है. उनके भाई सुमित बघेल ने बताया कि प्रेमकांत में ठीक होने के लक्षण दिखने लगे हैं.

सुमित ने कहा, ‘वह (प्रेमकांत) खतरे से बाहर है, लेकिन उनका चेहरा आंशिक रूप से जल गया है. वह तेजाब हमले के पीड़ित की तरह दिख रहे हैं लेकिन उन्हें इसका गर्व है कि उन्होंने कई लोगों की जिंदगी बचाई, जो किसी व्यक्ति के चेहरे से अधिक महत्वपूर्ण है.’

बेटे की तलाश कर रहे अफरोज (52) का कहना है कि वह अपने परिवार के सवालों के जवाब नहीं दे पा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘उसकी लाश नाले में ही मिले, कम से कम मुझे यह तो पता चल जाएगा की वह हमें छोड़कर चला गया है. मेरी बहू और पोती जब उसके बारे में पूछती हैं तो मेरे पास उनके सवालों का कोई जवाब नहीं होता है.’

दंगों के दौरान लापता हुए गुप्तचर ब्यूरो के कर्मी अंकित शर्मा का क्षत-विक्षत शव चांदबाग के नाले में पड़ा मिला था.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन सांप्रदायिक हिंसा में घायल हुए लोगों से मिलने के लिए शनिवार को जीटीबी अस्पताल पहुंचे.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों से पहले कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने को लेकर आलोचना का सामना कर रहे भाजपा नेता कपिल मिश्रा और हिंसा के शिकार कुछ पीड़ितों के परिवारों ने शनिवार को कनॉट प्लेस में ‘जिहादी आतंकवाद’ के खिलाफ शांति मार्च निकाला. इस दौरान कुछ लोगों ने ‘देश के गद्दारों को गोली मारो…’ के नारे लगाए.

एनजीओ ‘दिल्ली पीस फोरम’ ने इसका आयोजन किया था. जंतर-मंतर से संसद मार्ग थाने तक शनिवार को निकाले गए ‘शांति मार्च’ के दौरान मिश्रा ने न तो नारेबाजी की और न ही सभा को संबोधित किया.

जंतर-मंतर पर सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों के हाथ में तिरंगा था और वे ‘जय श्रीराम’, ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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