वध के लिए मवेशियों की ख़रीद-फरोख़्त पर प्रतिबंध को लेकर केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

Supreme Court PTI
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मवेशी बाजारों में वध के लिए पशुओं की ख़रीद-फरोख़्त पर प्रतिबंध लगाने वाली केंद्र की विवादित अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने सरकार से जवाब तलब किया है.

न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एसके कौल की अवकाश पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख़ 11 जुलाई की तय की है.

केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने पीठ को बताया कि यह अधिसूचना जारी करने के पीछे मंशा देशभर के मवेशी बाज़ारों के लिए नियमन प्रणाली लाने की थी.

उन्होंने न्यायालय से कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय ने अधिसूचना पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया है.

न्यायालय में अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं में से एक में दावा किया गया है कि अधिसूचना के प्रावधान असंवैधानिक हैं क्योंकि वह अंतरात्मा की स्वतंत्रता, धर्म और आजीविका की स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

इसमें से एक याचिका हैदराबाद के मोहम्मद अब्दुल फ़हीम कुरैशी ने दाखिल की है. उन्होंने इस अधिसूचना को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताया है.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि भोजन के लिए पशुओं के वध पर प्रतिबंध लगाना संविधान में एक नागरिक को दिए गए भोजन के अधिकार, निजता के अधिकार और निजी स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करता है.

Cattle Market Wikimedia Commans
(फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स)

याचिका में ये भी तर्क दिया गया कि इस प्रतिबंध का प्रभाव किसानों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा. याचिका में दावा किया गया है कि केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने इस अधिसूचना को लागू नहीं करने की बात कही है क्यों इससे इस राज्य के लोगों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा.

केंद्र ने 26 मई को एक अधिसूचना जारी कर देशभर के मवेशी बाज़ारों में वध के लिए पशुओं का क्रय-विक्रय किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

इस विवादित अधिनियम का देश के तमाम राज्यों में विरोध हो रहा है. बीते दिनों नॉर्थ ईस्ट की यात्रा पर गए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रतिबंध के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों के एक विरोध प्रदर्शन से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि लोगों के खान-पान की पसंद पर केंद्र सरकार किसी तरह की रोक नहीं लगाएगी.

वहीं मेघालय विधानसभा ने 12 जून को पशु बाज़ार में वध के लिए मवेशियों की ख़रीद-बिक्री संबंधी केंद्र की अधिसूचना के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है. सरकार का तर्क था कि केंद्र की इस अधिसूचना से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के खान-पान की संस्कृति प्रभावित होगी.

इससे पहले 30 मई को मद्रास उच्च न्यायालय ने वध के लिए पशुओं की ख़रीद-बिक्री पर पाबंदी संंबंधी केंद्र की अधिसूचना पर चार हफ्तों के लिए रोक लगा चुकी है.

इसके अलावा मेघालय, केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी की राज्य सरकारें और कई ग़ैर भाजपा पार्टियां केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रही हैं.

मेघालय में इस अधिनियम का विरोध काफी ज़ोर-शोर से चल रहा है. इस मुद्दे को लेकर राज्य के नॉर्थ गारो हिल्स ज़िले के भाजपा अध्यक्ष बाचू मरक और वेस्ट गारो हिल्स के भाजपा जिलाध्यक्ष बर्नार्ड एन. मरक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. साथ ही राज्य में पांच हज़ार भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है और पांच मंडल इकाइयां भी भंग की जा चुकी हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)