निर्भया मामला: फांसी की सजा रोकने की मांग लेकर तीन दोषी अंतरराष्ट्रीय अदालत पहुंचे

निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘गैरकानूनी फांसी की सजा’ रोकने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि ‘दोषपूर्ण’ जांच के जरिये उन्हें दोषी करार दिया गया और उन्हें प्रयोग का माध्यम बनाया गया है.

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निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता (बाएं से दाएं). (फोटो: पीटीआई)

निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘गैरकानूनी फांसी की सजा’ रोकने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि ‘दोषपूर्ण’ जांच के जरिये उन्हें दोषी करार दिया गया और उन्हें प्रयोग का माध्यम बनाया गया है.

निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता (बाएं से दाएं). (फोटो: पीटीआई)
निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता (बाएं से दाएं). (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या कांड मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘गैरकानूनी फांसी की सजा’ रोकने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि ‘दोषपूर्ण’ जांच के जरिये उन्हें दोषी करार दिया गया और उन्हें प्रयोग का माध्यम (गिनी पिग) बनाया गया है.

दोषी के वकील एपी सिंह के माध्यम से दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि चारों दोषियों… विनय शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, अक्षय सिंह और मुकेश सिंह ने अभी तक अपने सभी कानूनी उपचारों का उपयोग नहीं किया है.

याचिका में कहा गया है कि यह सूचित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि ‘मौत की सजा पाए इन दोषियों के कानूनी उपचार/मुकदमे भारत में विभिन्न अदालतों/संवैधानिक संस्थाओं के समक्ष लंबित हैं, लेकिन बेहद आश्चर्यजनक और दुर्भायपूर्ण है कि भारत में, केन्द्रीय तिहाड़ जेल ने योजना तैयार कर ली है और उन्हें 20 मार्च को फांसी देने वाली है.’

याचिका में आरोप लगाया गया है कि निर्भया मामले में दोषियों ने जांच के दौरान कई बार पॉलीग्राफ, लाइ डिटेक्टर और ब्रेन मैपिंग कराने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसे सभी अनुरोधों को बिना किसी तर्क के खारिज कर दिया गया.

याचिका में आईसीजे से अनुरोध किया गया है कि वह मामले के एकमात्र चश्मदीद, पीड़िता के मित्र, की गवाही झूठ होने की संभावनाओं की ‘तत्काल जांच करें.’

उसमें दावा किया गया है कि दोषियों के साथ ‘गिनी पिग’ की भांती व्यवहार किया गया और उन्हें इस मामले में झूठ फंसाया गया है. आईसीजे से अनुरोध है कि वह मामले के तत्काल जांच का आदेश दे.

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि दिल्ली की अदालत की ओर से इस महीने के शुरुआत में जारी आदेश के मुताबिक चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा(26) और अक्षय कुमार सिंह (31)- को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे एक साथ फांसी दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन ने नया मौत वारंट जारी होने के बाद परिवारों को पत्र लिखा है. बता दें कि तीन बार उनकी फांसी टल चुकी है.

अधिकारियों ने बताया कि मुकेश, पवन और विनय अपने-अपने परिवारों से आमने-सामने की मुलाकात कर चुके हैं जबकि अक्षय का परिवार उससे मिलने अबतक नहीं आया है.

जेल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोषी को परिवार से आमने-सामने मुलाकात करने का मौका दिया जाता है ताकि न केवल वह उनके साथ बातचीत कर सके बल्कि गले आदि भी लगा सके.

उन्होंने बताया, ‘तिहाड़ जेल की नियमावली के तहत यह जेल प्रशासन के लिए बाध्यकारी है कि वह कैदियों को फांसी से पहले परिवार और दोस्तों से मुलाकात की सुविधा दे.’

अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने अक्षय कुमार सिंह को पत्र लिखकर फांसी से पहले अंतिम मुलाकात की तारीख पूछी थी. जेल अधिकारियों ने बताया कि अक्षय की पत्नी ने उससे फरवरी में मुलाकात की थी. हालांकि, उसने फोन पर पत्नी से बात की थी और एक-दो दिन में उसका परिवार मुलाकात करने जेल आ सकता है.

जेल प्रशासन ने बताया कि फांसी देने वाला पवन जल्लाद फांसी की तारीख से तीन दिन पहले मंगलवार शाम को तिहाड़ जेल पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि दोषियों का स्वास्थ्य परीक्षण रोजाना एक बार किया जाता है और उन्हें नियमित तौर पर परामर्श भी दिया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा निर्भया से 16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म के साथ क्रूरता की थी. चारों आरोपियों और एक नाबालिग समेत छह लोगों को दोषी ठहराया गया था. छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई के शुरुआत में ही तिहाड़ जेल में कथित रूप से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. नाबालिग को तीन साल सुधार गृह में रहने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)