मामला महाराष्ट्र के जलगांव का है. तेज़ बुखार से जूझ रहे डॉक्टर को अस्पतालों द्वारा समय पर भर्ती न किए जाने से उनकी तबियत बिगड़ गई और अब वे एक सरकारी अस्पाल में वेंटिलेटर पर हैं.
मुंबईः महाराष्ट्र के जलगांव में तेज बुखार और सांस संबंधी समस्या से जूझ रहे एक डॉक्टर को चार निजी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा कि कहीं वह कोरोना वायरस से संक्रमित तो नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कई घंटों बाद जलगांव के गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज में उन्हें भर्ती किया गया, लेकिन इस देरी की वजह से वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं.
जिला स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर डर और जानकारी के अभाव ने निजी अस्पतालों और डॉक्टरों में भी डर बढ़ा दिया है इसलिए वे कोरोना वायरस से मिलते-जुलते लक्षणों वाले मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं.
बुखार पीड़ित डॉक्टर की बात करें तो वह न तो विदेश गए थे और न ही ऐसी कोई जानकारी है कि वह किसी ऐसे आदमी के संपर्क में रहे, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो.
यह डॉक्टर पिछले सप्ताह ही अपने गृहनगर भुसावल से कोल्हापुर लौटे थे और उन्हें बुखार हो गया था.
बुधवार को बुखार तेज हुआ और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. इसके बाद उनके परिवार ने पूरी रात उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की मशक्कत की.
पीड़ित डॉक्टर के एक संबंधी ने बताया, ‘हम पहले उन्हें जनरल डॉक्टर के पास ले गए लेकिन वह मिले नहीं. इसके बाद हम उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना चाहते थे लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें (पीड़ित) कोरोना हो सकता है और उन्हें भर्ती करने से यह संक्रमण पूरे अस्पताल में फैल सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद हम उन्हें तीन और अस्पताल ले गए लेकिन हर अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया. अस्पताल वालों ने कहा कि क्या होगा अगर उन्हें कोरोना हुआ तो. हमने उन्हें बताया कि वह विदेश से नहीं आए हैं लेकिन किसी से नहीं सुनी. हम पूरी रात एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागते रहे.’
इसके बाद गुरुवार सात बजे उन्हें गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया लेकिन बाद में अस्पताल ने उनके परिवार से कहा कि वे पीड़ित को कहीं और ले जाएं.
एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिभा शिंदे ने कहा, ‘इसके बाद हमने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर से संपर्क किया. उन्होंने गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज से उन्हें भर्ती करने का आदेश दिया.’
अस्पताल के डीन डॉ. भास्कर खैर ने कहा कि इलाज में देरी की वजह से बीते कुछ घंटों में पीड़ित की हालत बहुत खराब हो गई थी.
उन्होंने कहा, ‘हमने उनका ब्लड टेस्ट किया. हालांकि, वो विदेश से नहीं आए थे इसलिए कोरोना वायरस टेस्ट की जरूरत नहीं थी. हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. उनकी हालत अभी भी गंभीर हैं और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है.’
मालूम हो कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 195 हो गई है.
गुजरात में कोरोना के दो मामले सामने आए हैं, जिसके बाद अब भारत के बीस राज्यों में कोरोना पहुंच गया है. संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में हैं. इसके बाद केरल और उत्तर प्रदेश है.
कोरोना वायरस से अब तक देश में चार लोगों की मौत हो गई है.