स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा विभिन्न एयरलाइन्स द्वारा उन पर प्रतिबंध लगाए जाने के ख़िलाफ़ अदालत पहुंचे थे. अदालत ने उनकी याचिका सुनने से मना करते हुए कहा कि वे अपनी शिकायत के साथ ‘उचित प्राधिकरण’ से संपर्क करें.
![कुणाल कामरा. (फोटो साभार: फेसबुक/@kunalkamra88)](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2020/03/Kunal-Kamra-FB-Page.jpg)
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने विमान में यात्रा के दौरान पत्रकार अर्णब गोस्वामी से दुर्व्यवहार करने के कारण इंडिगो, विस्तारा और अन्य एयरलाइनों द्वारा स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा पर विमान में यात्रा करने पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
लाइव लॉ के अनुसार अदालत ने कामरा को कहा कि वे अपनी शिकायत के साथ ‘उचित प्राधिकरण’ से संपर्क करें. इसके बाद कामरा ने वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए अपनी याचिका वापस ले ली.
ज्ञात हो कि इंडिगो की आतंरिक समिति द्वारा 27 फरवरी 2020 को जारी आदेश में कुणाल को तीन महीने के लिए ‘नो फ्लाइंग लिस्ट’ में डाला था, साथ ही तीन महीने के लिए उन्हें इंडिगो एयरलाइन्स में सफर करने पर पाबन्दी लगा दी थी.
इसके बाद 13 मार्च को विस्तारा द्वारा भी कामरा को 27 अप्रैल 2020 तक प्रतिबंधित कर दिया गया था.
शुक्रवार को इसके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में कामरा के वकीलों ने कहा कि बेअदब यात्री और बेअदबी करने में फर्क होता है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ख़राब व्यवहार के मामले में विमानन नियामक डीजीसीए सिविल एविएशन नियमों के अनुसार मौखिक और लिखित चेतावनी दी जाती है, जिसके बाद रेड कार्ड नोटिस दिया जाता है, जो स्पष्ट रूप से इस मामले में नहीं हुआ.
इंडिगो, विस्तारा और डीजीसीए के वकीलों द्वारा इसका विरोध करते हुए कहा गया कि डीजीसीए सिविल एविएशन में एक अपीलीय प्रधिकरण है, जिसका अभी तक उपयोग नहीं हुआ है.
इससे पहले जस्टिस नवीन चावला ने कामरा के व्यवहार के प्रति असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि विमान में इस तरह के आचरण की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
अदालत ने कामरा को किसी भी एयरलाइन से यात्रा करने की मंजूरी देने के लिए अंतरिम निर्देश देने का मौखिक अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया.
अदालत ने कहा कि वह मामले पर सुनवाई नहीं करेगी क्योंकि इसमें कार्रवाई के कई मुद्दों को उठाया गया है.
अदालत द्वारा सुनवाई से इनकार किए जाने के बाद कामरा के वकीलों ने याचिका वापस लेने और इंडिगो द्वारा लगाए प्रतिबंध के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण का रुख करने की अनुमति मांगी.
बता दें कि इससे पहले फरवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने डीजीसीए को फटकारते हुए कहा था कि विमानन नियामक डीजीसीए को इंडिगो के अलावा अन्य एयरलाइंस की कार्रवाई को प्रमाणित नहीं करना चाहिए था.
कामरा ने अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा था कि इंडिगो ने आंतरिक समिति के किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले ही उन पर छह महीने का प्रतिबंध लगा दिया जबकि अन्य एयरलाइंस- एअर इंडिया, स्पाइसजेट और गोएयर ने भी उन पर इस तरह का प्रतिबंध लगा दिया.
कुणाल कामरा ने इंडिगो एयरलाइंस को कानूनी नोटिस भी भेजा था. नोटिस में उन्होंने उन पर लगे छह महीने के यात्रा प्रतिबंध को हटाने, बिना शर्त माफी मांगने और 25 लाख रुपये के हर्जाने की मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)