जामिया समन्वय समिति ने केंद्र सरकार से एनपीआर की प्रक्रिया को तुरंत बंद करने की अपील की. इसके साथ ही शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों से भी अपना आंदोलन स्थगित करने का आग्रह किया गया.
नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ बीते दिसंबर महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन को जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने अस्थाई तौर पर स्थगित कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘भारी दिल लेकिन बड़ी उम्मीदों के साथ हम जामिया के गेट नंबर सात पर 24 घंटे हो रहे धरना प्रदर्शन को अस्थाई तौर पर स्थगित करते हैं और सभी प्रदर्शनकारियों से मौजूदा स्थिति को गंभीरता से लेने और खुद को एवं दूसरों को भी इस घातक वायरस से बचाए रखने की अपील करते हैं.’
जामिया समन्वय समिति ने केंद्र सरकार से एनपीआर की प्रक्रिया को तुरंत बंद करने की भी अपील की.
https://twitter.com/Jamia_JCC/status/1241381861701480451
विश्वविद्यालय ने तत्काल प्रभाव से सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने, विदेशी ट्रिब्यूनल संशोधन आदेश 2019 को वापस लेने, डिटेंशन कैंपों बनाए जाने के सभी निर्देशों को वापस लेने और कोरोना वायरस की जांच के बाद इन कैंपों में रह रहे लोगों को रिहा करने समेत अपनी मांगों की एक सूची तैयार की है.
जेसीसी ने कहा, ‘सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ हमारी लड़ाई के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.’
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जेसीसी ने केंद्र सरकार से उचित मौद्रिक और नीतिगत कदम उठाने को कहा है. इसके साथ ही सेफ्टी गियर और टेस्टिंग किट सहित डॉक्टरों को उचित मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने को भी कहा है.
इसके साथ ही जेसीसी ने कोरोना वायरस के मद्देनजर शाहीन बाग में सीएए, एनसीआर और एनपीआर के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को भी स्थगित करने की अपील की है.
जेसीसी में जामिया मिलिया के छात्र और शिक्षक शामिल होते हैं और इसका गठन बीते साल पंद्रह दिसंबर को जामिया कैंपस में दिल्ली पुलिस की छात्रों पर बर्बर कार्रवाई के बाद किया गया था.