जब पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी चल रही है, योग सूत्र और महाभाष्य के प्रणेता महर्षि पतंजति की जन्मभूमि को कोई पूछने वाला नहीं है. उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के कोंडर गांव में स्थित पतंजलि की जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है.
जब पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी में जुटा है, योग सूत्र और महाभाष्य के प्रणेता महर्षि पतंजति की जन्मभूमि को कोई पूछने वाला नहीं है. उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के कोंडर गांव में स्थित पतंजलि की जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है.
योग ऋषि की जन्मभूमि को संरक्षित करके विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए क़रीब दो दशक से संघर्ष कर रहा श्री पतंजलि जन्मभूमि न्यास केंद्र राज्य सरकार के साथ-साथ यूनेस्को को भी कई पत्र लिख चुका है, लेकिन योग के मामले में भारत को विश्वगुरु बनाने की नींव रखने वाले महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली का कोई पुरसाहाल नहीं है.
न्यास के अध्यक्ष भगवदाचार्य का कहना है कि क़रीब 2200 साल पहले जन्मे महर्षि पतंजलि ने स्वयं व्याकरण महाभाष्य में अपनी जन्मस्थली का ज़िक्र किया है. पतंजलि ने स्वयं को बार-बार गोनार्दीय कहा है. प्राचीन अयोध्या तथा श्रावस्ती के बीच स्थित भू-भाग को गोनार्द क्षेत्र माना जाता है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है, और जहां भारत समेत पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारियों में जोर-शोर से जुटी है, वहीं योग की प्रेरणा देने वाले महर्षि पतंजलि को सभी भूल चुके हैं. ज़रूरी तो यह है कि पतंजलि की जन्मभूमि को संरक्षित करके इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिलाया जाए.
भगवदाचार्य ने कहा कि राजधानी लखनऊ से क़रीब 150 किलोमीटर दूर स्थिति पतंजलि की जन्मभूमि पर दूरदराज से आने वाले आगंतुकों के लिए ना कोई आश्रम या धर्मशाला है और ना ही पेयजल, विद्युत, आवागमन तथा स्वास्थ्य इत्यादि की सुविधाएं हैं.
उन्होंने बताया कि निवर्तमान जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने पतंजलि की जन्मस्थली के विकास के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया था, जिसे तीन माह में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, किंतु इस समिति के द्वारा अब तक कोई रिपोर्ट नहीं दी गई है.
भगवदाचार्य ने बताया कि राज्य में बदले निज़ाम के बाद शासन के निर्देश पर इस बार जनपद, तहसील और विकास खंड स्तर पर तो योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है, किंतु कोंडर ग्राम में इस बार भी कोई सरकारी आयोजन नहीं हो रहा है.