सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें ये कहा गया था कि प्राइवेट लैब्स कोरोना जांच के लिए 4500 रुपये तक वसूल सकते हैं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में निर्देश किया कि सभी सरकारी और प्राइवेट प्रयोगशालाओं में कोविड-19 का टेस्ट फ्री में होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार इस संबंध में तत्काल दिशानिर्देश जारी करे.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने ये निर्देश जारी किए हैं.
शशांक देओ सुधी ने एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें ये कहा गया था कि प्राइवेट लैब्स कोरोना जांच के लिए 4500 रुपये तक वसूल सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सभी सरकारी और प्राइवेट लैब्स में कोरोना की जांच फ्री में होनी चाहिए.
IMPORTANT UPDATE :
SC orders that COVID-19 test in approved private laboratories shall be free of cost.Tests related to COVID-19 must be carried out in NABL accredited Labs or agencies approved by WHO or ICMR.#Covid_19india #COVID pic.twitter.com/lhLdLWSkEY
— Live Law (@LiveLawIndia) April 8, 2020
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की ये दलील प्रथम दृष्टया उचित है कि इस महामारी के समय देश एक बहुत बड़ी जनसंख्या कोरोना की जांच के लिए 4500 रुपये देने में सक्षम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि 4500 रुपये का भुगतान न कर पाने वाले देश के किसी भी शख्स को कोरोना जांच से वंचित नहीं रखा जा सकता है.
न्यायालय को बताया गया था कि सरकारी प्रयोगशालाओं में फ्री में जांच हो रही है.
लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘इस राष्ट्रीय आपदा के समय महामारी को रोकने में प्राइवेट अस्पताल और लैब्स पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है. इस प्रकार हम संतुष्ट हैं कि याचिकाकर्ता ने कोरोना की फ्री जांच के लिए सरकार द्वारा प्राइवेट लैब्स को निर्देश जारी करने की बात को स्थापित किया है.’
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस जांच को लेकर प्राइवेट लैब्स पर आने वाला खर्चा सरकार द्वारा चुकाया जाएगा या नहीं, इस मामले पर बाद में विचार किया जाएगा.