चेन्नई: कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले डॉक्टर का अंतिम संस्कार स्थानीय लोगों ने रोका

सोमवार को आंध्र प्रदेश के रहने वाले एक डॉक्टर की कोरोना वायरस के चलते मौत के बाद उनके शव को अंबत्तूर क्षेत्र के एक श्मशान घाट ले जाया गया था. यहां स्थानीय लोगों के विरोध के बाद शहर के अन्य इलाके में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

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सोमवार को आंध्र प्रदेश के रहने वाले एक डॉक्टर की कोरोना वायरस के चलते मौत के बाद उनके शव को अंबत्तूर क्षेत्र के एक श्मशान घाट ले जाया गया था. यहां स्थानीय लोगों के विरोध के बाद शहर के अन्य इलाके में उनका अंतिम संस्कार किया गया.

Ambattur Chennai Map

चेन्नई: तमिलनाडु के चेन्नई में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले आंध्र प्रदेश के एक डॉक्टर के अंतिम संस्कार का इलाके के निवासियों ने विरोध किया जिस कारण अधिकारियों को शव को किसी अन्य स्थान पर ले जाना पड़ा.

पुलिस ने मंगलवार को बताया कि एक निजी अस्पताल में सोमवार को 56 वर्षीय एक डॉक्टर की मौत हो गई थी. डॉक्टर के शव को अम्बत्तूर क्षेत्र में श्मशान घाट ले जाया गया जहां स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि इससे उनके क्षेत्र में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका है.

उन्होंने बताया कि इसके बाद आंध्र प्रदेश के नेल्लुर के रहने वाले व्यक्ति के शव को वापस अस्पताल के मुर्दाघर में ले जाया गया. सरकार के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार सोमवार की रात शहर के किसी अन्य क्षेत्र में किया गया.

द न्यूज़ मिनट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि श्मशान में सुरक्षा उपकरणों से लैस कर्मचारियों ने लोगों को शव से दूर रहने के लिए कहा.

इससे लोगों में शक पैदा हुआ क्योंकि अंबत्तूर में अभी तक संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया था इसलिए शव को वापस ले जाने की मांग की.

श्मशान में मौजूद कर्मचारी भी कथित तौर पर वहां से भाग गए क्योंकि उनके पास शव का दाह संस्कार करते समय पहनने के लिए सुरक्षा के उपकरण नहीं थे.

पुलिस ने बताया, ‘यह नगर निगम की नाकामी है. अंतिम सस्कार की प्रक्रिया को उसने तालमेल के साथ नहीं किया. अंतिम संस्कार का विरोध करने की अफरा-तफरी में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की ज़रूरत को भी भुला दिया.’

हालांकि चेन्नई नगर निगम ने कथित तौर पर अपनी जिम्मेदारी से यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि वनग्राम अस्पताल उनके दायरे में नहीं आता.

चेन्नई निगम के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कोरोनावायरस पीड़ितों के लिए तय दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया है.

अंतिम संस्कार का स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किए जाने के बारे में पूछे जाने पर राज्य की स्वास्थ्य सचिव बीला राजेश ने बताया कि इसके पीछे तालमेल की कमी एक कारण हो सकता है लेकिन उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी.

उन्होंने कहा, ‘यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. सरकार में हर किसी को उन दिशा-निर्देशों के बारे में पता है जिनका (एक शव) के अंतिम संस्कार के लिए पालन किया जाता है. हमने निजी अस्पतालों को भी दिशानिर्देश जारी किए हैं. पहले कभी इस तरह के मामले सामने नहीं आये है. समन्वय की थोड़ी कमी रही है.’

राजेश ने बताया कि सरकार ने पहले ही जिला कलेक्टरों को प्रक्रियाओं का पालन करने के बारे में सूचित कर दिया है.

मृतक डॉक्टर तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के संपर्क में आ गये थे. डॉक्टर को पहले यहां से लगभग 175 किलोमीटर दूर नेल्लुर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसके बाद उन्हें छह अप्रैल को कॉर्पोरेट अस्पताल स्थानांतरित किया गया. वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप के पीड़ित थे.

तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सोमवार तक संक्रमित लोगों की कुल संख्या 1,173 थी.

इस बीच लगभग 100 लोगों के खून के नमूनों को जांच के लिए ले जाया गया है. ये लोग शहर के उस आरएस पुरम क्षेत्र के निवासी हैं जहां कुछ दिन पहले चार लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)