राजस्थान और यूपी सरकार के इस निर्णय के बाद शुक्रवार को 102 बसें झांसी और 150 बसें आगरा से कोटा गई थीं और रात में ही छात्र और कुछ अभिभावक अपने घरों के लिए रवाना हो गए. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह लॉकडाउन के नियम के साथ नाइंसाफी है.
लॉकडाउन को बढ़ने की घोषणा के बाद राजस्थान के कोटा में पढ़ रहे कोचिंग के छात्रों ने उनके घर वापस भेजने की मदद मांगने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रों को लाने के लिए बसें भेजने का फैसला लिया है.
दैनिक भास्कर के अनुसार, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने 252 बसें कोटा भेजी हैं. बता दें कि कोचिंग हब माने जाने वाले इस शहर में 35 हजार के करीब छात्र-छात्राएं फंसे हैं, जिनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं.
एक अनुमान के अनुसार करीब साढ़े सात हजार छात्र यूपी से हैं. राजस्थान और यूपी सरकार ने गुरुवार को यह फैसला लिया था.
छात्रों के लिए शुक्रवार को 102 बसें झांसी और 150 बसें आगरा से कोटा गई थीं और रात में ही छात्र और कुछ अभिभावक बसों से अपने घरों के लिए रवाना हो गए.
बताया गया है कि उत्तर प्रदेश से सभी बसों को सैनेटाइज करके कोटा शहर भेजा गया है, साथ ही बसों में छात्रों लिए मास्क और सैनेटाइजर भी भेजे गए हैं. सोशल डिस्टैन्सिंग का ध्यान रखते हुए एक बस में 30 लोगों को ही बैठाया जाएगा.
कोटा प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया, ‘यूपी सरकार की बसें कम पड़ने के चलते कोटा प्रशसन की ओर से सौ बसों का इंतजाम किया गया है.’
एलन करिअर इंस्टिट्यूट के नीतेश शर्मा ने बताया कि बसों में बच्चों को जिलावार बैठाया जायेगा, साथ ही मास्क, सेनेटाइजर और खाने के पैकेट दिए जायेंगे.’
ज्ञात हो कि 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से ट्विटर पर #SendUsBackHome (हमें वापस घर भेजें) हैशटैग के साथ विभिन्न अधिकारियों को टैग करते हुए करीब 50 हज़ार ट्वीट किये थे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूपी सरकार के इस कदम के बाद अन्य राज्यों से भी इस बारे में सोचने को कहा है.
गहलोत ने कहा कि यूपी सरकार के छात्रों को वापस बुलाने के कदम के बाद अन्य राज्यों द्वारा भी ऐसा किया जा सकता है. राज्यों सरकारों की सहमति के बाद कोटा में रह रहे छात्रों को उनके गृह राज्य वापस भेजा जा सकता है, जिससे ये युवा बच्चे घबराये नहीं और डिप्रेशन में न आएं.
As the UP govt called back students of UP living in #Kota #Rajasthan, it can also be done for students from other states. Students in Kota can be sent to their home states on the consent of the concerned state govt so that these young boys & girls do not panic or feel depressed.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 17, 2020
हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस कदम पर पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि यह लॉकडाउन के नियम के साथ नाइंसाफी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार मुख्यमंत्री के एक करीबी सूत्र के अनुसार, नीतीश कुमार का मानना है कि ऐसी स्थिति में सरकारें पक्षपाती नहीं हो सकतीं.
उन्होंने बताया, ‘संकट के दौरान लोगों तक पहुंचने के मामले में सरकारें भेद नहीं कर सकतीं. अगर प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन के दौरान वे जहां हैं, वहां रुकने को कहा जा रहा है, तो बाकियों को भी यही निर्देश दिए जाने चाहिए… जरा-सी गलती भी भारी पड़ सकती है.’
हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर छात्र कोटा रहने की भी मांग करते हैं तो उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा के साथ उन्हें हर तरह की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी.
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार पिछले लॉकडाउन के दौरान कई छात्रों को उनके घर लौटने के लिए पास जारी किए, लेकिन बिहार सहित दूसरे राज्यों द्वारा उन्हें प्रदेश की सीमा में दाखिल होने की अनुमति न देने के चलते इस पर रोक लगा दी गई है.
बिहार सरकार ने राजस्थान सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए केंद्र को पत्र भी लिखा, जिसके बाद ये प्रक्रिया बंद कर दी गई थी.
13 अप्रैल को बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को लिखते हुए कोटा के जिलाधिकारी को छात्रों को पास देकर गृह मंत्रालय के बाहर न निकलने के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के बारे में चेताया था.
पत्र में कहा गया था, ‘कोटा के जिलाधिकारी द्वारा लोगों को बिहार पहुंचाने के लिए प्राइवेट गाड़ियों के पास जारी किए जा रहे हैं. यह जानना जरूरी है कि कोटा में अब तक कोरोना 40 कंफर्म मामले सामने आ चुके हैं और ऐसे में वहां से आना-जाना उचित नहीं है. बिहा लौट रहे छात्रों और उनके साथ आये अभिभावकों का मेडिकल परीक्षण किया जा रहा है, उन्हें खुद को क्वारंटाइन करने का परामर्श भी दिया गया है. इस अभूतपूर्व स्थिति को आसानी से टाला जा सकता था, अगर कोटा में लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया गया होता.’
कोटा में अब तक 92 संक्रमित मिल चुके हैं, जिनमें से शुक्रवार को संक्रमण के छह नए मामले सामने आए. इनमें कोटा में रहकर तैयारी करने वाला एक छात्र भरतपुर में संक्रमित मिला है.
यह छात्र कोटा की एक कोचिंग में मेडिकल की तैयारी कर रहे थे और 13 अप्रैल को अपने घर भरतपुर पहुंचे थे. कोटा में जिस हॉस्टल में वह रहते थे, उसे सील करते हुए वहां के अन्य सभी बच्चों को आइसोलेट कर दिया गया है.
कोटा के मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि छात्र की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री का पता लगाया जा रहा है.
अधिकारियों के अनुसार यूपी सरकार मध्य प्रदेश में फंसे छात्रों को भी घर वापस लाने के लिए बातचीत कर रही है.