केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी स्कूल फीस भुगतान तथा शिक्षकों के वेतन के मुद्दे पर संवेदनशीलता एवं समग्रता से विचार करने की सलाह दी. इसके साथ ही दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल सरकारों ने भी निजी स्कूलों से फीस ना बढ़ाने की अपील की.
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नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को सभी निजी स्कूलों से अपील की कि वे कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन के दौरान सालाना स्कूल फीस वृद्धि और तीन महीने की फीस एक साथ लेने के निर्णय पर पुनर्विचार करें.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूल फीस भुगतान तथा शिक्षकों के वेतन के मुद्दे पर संवेदनशीलता एवं समग्रता के साथ सभी पक्षकारों के हितों को ध्यान में रखकर विचार करने की सलाह दी.
देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लागू लॉकडाउन को केंद्र सरकार ने 3 मई तक बढ़ा दिया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी निजी स्कूल को कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान शुल्क बढ़ाने की अनुमति नहीं है और स्कूल खुलने तक सिर्फ ट्यूशन शुल्क ही वसूला जाए.
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि अगर स्कूल शुल्क मांगते हैं तो अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत कर सकते हैं.
वहीं, गुजरात सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि निजी स्कूल एक साल तक शुल्क वृद्धि नहीं करेंगे. पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूलों से शुल्क नहीं बढ़ाने की अपील की है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब देश के विभिन्न हिस्सों में अभिभावकों द्वारा बंद के दौरान कई स्कूलों द्वारा फीस में वृद्धि और तीन महीने के फीस एक साथ देने की मांग पर चिंता व्यक्त की जा रही है.
फेसबुक और ट्विटर पर अपने पोस्ट में मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि देशभर से कई अभिभावकों द्वारा उनके संज्ञान में यह बात लाई गई है कि इस संकट के समय में भी कई स्कूल अपनी सालाना फीस में वृद्धि और तीन महीने की वर्तमान फीस एक साथ ले रहे हैं.
देश भर से कई अभिभावकों द्वारा मेरे संज्ञान में यह बात लाई गई है कि इस संकट के समय में भी कई स्कूल अपनी सालाना फीस में वृद्धि और तीन महीने की वर्तमान फीस एक साथ ले रहें हैं।#IndiaFightsCoronavirus @PMOIndia @HMOIndia @PIB_India @MIB_India @DDNewslive @HRDMinistry @mygovindia
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 17, 2020
केंद्रीय मंत्री निशंक ने ट्वीट कर कहा, ‘इस वैश्विक आपदा के समय मेरा सभी स्कूलों से निवेदन है कि सालाना स्कूल फीस वृद्धि और तीन महीने की फीस एक साथ नहीं लेने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें.’
इस वैश्विक आपदा के समय मेरा सभी स्कूलों से निवेदन है की सालाना स्कूल फीस वृद्धि और तीन महीने की फीस एक साथ ना लेने पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें। #IndiaFightsCoronavirus@PMOIndia @HMOIndia @HRDMinistry @PIB_India @MIB_India @DDNewslive @mygovindia @transformIndia
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 17, 2020
उन्होंने कहा, ‘मैं सभी राज्यों के शिक्षा विभागों से यह आशा करता हूं कि वे संतोषजनक तरीके से अभिभावकों और स्कूलों के हितों के संरक्षण की दिशा में बेहतर सामंजस्य स्थापित कर रहे होंगे.’
निशंक ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस महामारी के समय मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है. इस परिप्रेक्ष्य में आशा है कि सभी स्कूल अपने शिक्षकों और पूरे स्टाफ को समय पर वेतन उपलब्ध कराने की चिंता कर रहे होंगे.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मुझे खुशी है कुछ राज्यों ने इस पर सकारात्मक कदम उठाए हैं. मैं उनकी इस पहल की सराहना करता हूं एवं आशा करता हूं कि सभी राज्य उपरोक्त अनुरोध पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेंगे.’
सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा, ‘देशव्यापी लॉकडाउन के कारण वर्तमान स्थिति एवं स्कूली शिक्षा व्यवस्था से जुड़े सभी पक्षकारों को पेश आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य सरकारें स्कूल फीस के एकमुश्त भुगतान और शिक्षकों के वेतन के मुद्दे पर संवेदनशीलता और समग्रता के साथ सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए विचार करें.’
उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश स्कूल फीस के भुगतान की समयावधि और शिक्षकों एवं अन्य संबद्ध कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के बारे में उपयुक्त निर्देश जारी कर सकते हैं जो महामारी की अवधि के दौरान लागू होंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)