केंद्र सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों के ख़िलाफ़ हिंसा को ख़त्म करने के लिए अध्यादेश लेकर आई है. यह अध्यादेश स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी कर्मचारियों- जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामैडिकल और आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने देशभर में स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों के मद्देनजर बुधवार को एक अध्यादेश जारी किया, जिसके तहत अब दोषियों को सात साल तक की सजा हो सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि आज कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश पेश किया, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले के दोषियों को अधिकतम सात साल की सजा और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
#Cabinet approves promulgation of Ordinance to amend the Epidemic Diseases Act, 1897 making such acts of violence as cognizable and non-bailable offences and to provide compensation for injury to healthcare service personnel or for causing damage or loss to the property pic.twitter.com/ullrPXvRKA
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) April 22, 2020
जावड़ेकर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर दुर्भाग्यवश हमले किए जा रहे हैं. उन पर किसी तरह की हिंसा और प्रताड़ना को सहन नहीं किया जाएगा. इस संबंध में एक अध्यादेश लाया गया है, जो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभावी हो जाएगा.’
महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा. डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला गैर जमानती होगा.
जावड़ेकर ने कहा, ‘इस अध्यादेश के तहत 30 दिनों के भीतर जांच पूरी होगी और एक साल के भीतर अंतिम फैसला आ जाएगा. इसमें हल्के और छोटे मामलों में तीन महीने से पांच साल की सजा और 50 हजार से दो लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है, जबकि गंभीर मामलों में छह महीने से सात साल की जेल और एक लाख से पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह अध्यादेश स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी कर्मचारियों- जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामैडिकल और आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
Safety and dignity of our doctors at their work place is non-negotiable. It is our collective responsibility to ensure conducive atmosphere for them at all times.
I have assured doctors that Modi govt is committed to their cause and appealed to reconsider their proposed protest. pic.twitter.com/AJcxghGRkx
— Amit Shah (@AmitShah) April 22, 2020
इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के डॉक्टरों और वरिष्ठ प्रतिनिधियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी.
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने केंद्र सरकार से मांग की थी कि कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे चिकित्साकर्मियों पर हो रहे हमले रोकने के लिए तत्काल कानून लाएं.
आईएमए ने देश के डॉक्टरों और अस्पतालों से कहा है कि वह इस तरह के हमलों के खिलाफ विरोधस्वरूप अपने-अपने स्थानों पर मोमबत्ती जलाने को भी कहा था.
डॉक्टरों की इस इकाई ने कहा कि अगर सरकार ने इस तरफ कोई कदम नहीं उठाए तो वे 23 अप्रैल को काला दिवस मनाएंगे.
आईएमए ने कहा था कि अगर काले दिवस के बाद भी सरकार कोई उचित कदम नहीं उठाती है तो आगे की रणनीति पर फैसला करना होगा.
इस पत्र में कहा गया था, ‘आईएमए ने अत्यधिक उकसावे की स्थिति में भी बहुत धैर्य रखा है. डॉक्टरों को पीटा गया, प्रताड़ित किया गया, उन्हें किराए के मकानों से निकाला गया लेकिन चिकित्साकर्मियों के अंतिम संस्कार के विरोध आईएमए सहन नहीं कर सकता.’
पत्र में कहा गया, ‘अगर मृत्यु के समय भी चिकित्साकर्मियों को सम्मान नहीं मिल रहा है तो हमारा धैर्य और संयम अब समाप्त हो रहा है.’
मालूम हो कि कोरोना वायरस के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से चिकित्साकर्मियों पर हिंसा की कई घटनाएं सामने आई थीं.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक अप्रैल को लॉकडाउन के दौरान डॉक्टरों की टीम पर हमला किया गया था.
इंदौर के टाटपट्टी बाखल इलाके में बीते एक अप्रैल को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अभियान चला रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर लोगों ने पथराव कर दिया था. इसमें दो महिला डॉक्टरों के पैर में चोटें आई थीं.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में बीते 15 अप्रैल को डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों की टीम पर हमला करने के मामले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
यह टीम शहर के नवाबपुरा इलाके में कोरोना वायरस से पीड़ित एक मरीज़ की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों को क्वारंटाइन करने की कोशिश कर रही थी, जब उन पर स्थानीय लोगों ईंट-पत्थरों के साथ हमला कर दिया.
इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में बीते 15 अप्रैल को डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों की टीम पर हमला किया गया था. यह टीम शहर के नवाबपुरा इलाके में कोरोना वायरस से पीड़ित एक मरीज़ की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों को क्वारंटाइन करने की कोशिश कर रही थी, जब उन पर स्थानीय लोगों ईंट-पत्थरों के साथ हमला कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)