सउदी अरब की अदालतों द्वारा दी जाने वाली कोड़े मारने की सज़ा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह लंबे समय से विरोध करते रहे हैं.
रियाद: सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने देश में कोड़े मारने की सजा खत्म करने की घोषणा की है.
सऊदी अरब के शाह और युवराज (क्राउन प्रिंस) द्वारा मानवाधिकार की दिशा में उठाया गया यह ताजा कदम है.
देश की अदालतों द्वारा दी जाने वाले कोड़े मारने की सजा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह विरोध करते हैं क्योंकि कई बार अदालतें सैकड़ों कोड़े तक मारने की सजा सुनाती हैं.
सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ताजा सुधार का लक्ष्य ‘देश को शारीरिक दंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मानदंडों के और करीब लाना है.’
फिलहाल विवाहेत्तर यौन संबंध, शांति भंग करना और हत्या तक के मामलों में अदालतें आसानी से दोषी को कोड़े मारने की सजा सुना सकती थीं.
न्यायालय ने एक बयान में कहा है कि भविष्य में न्यायाधीशों को जुर्माना, जेल या फिर सामुदायिक सेवा जैसी सजाएं चुननी होंगे.
यह हालिया कदम 69 वर्षीय कार्यकर्ता अब्दुल्ला अल-हामिद की हिरासत में दिल का दौरा पड़ने के बाद उठाया गया है जिसके कारण एक बार फिर से सऊदी अरब मानवाधिकारों के हनन को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आ गया था.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, ‘हामिद को कई आरोपों में दोषी ठहराया गया था, जिसमें सऊदी शासक के प्रति निष्ठा तोड़ने, उकसाने वाली गड़बड़ी और राज्य की सुरक्षा को भंग करने की मांग शामिल थी.’
हाल के वर्षों में कोड़े मारने का सबसे बड़ा मामला साल 2014 में सामने आया था जिसमें इस्लाम का अपमान करने के लिए सऊदी ब्लॉगर रायफ बडावी को 10 साल की जेल की कैद और 1000 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी.
उन्हें अगले वर्ष यूरोपीय संसद के सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)