महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं की घरों तक पहुंच सेवा पर रोक लगा दिया था. अदालत के हस्तक्षेप के बाद सरकार को अपने फैसले में संशोधन करना पड़ा था.
मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय का हवाला दिए बिना ऐसे चलताऊ बयान नहीं देने चाहिए कि अखबारों के वितरण से कोविड-19 का संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है.
जस्टिस पीबी वराले राज्य सरकार के उस फैसले पर स्वत: आधार पर संज्ञान में ली गयी एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर समाचार पत्रों के लोगों के घरों तक पहुंचाने पर रोक लगा दी गयी थी.
सरकार ने बाद में अपने आदेश में संशोधन किया और इसे केवल मुंबई, पुणे और उन स्थानों तक सीमित कर दिया जिन्हें निरूद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है.
सरकारी वकील डीआर काले ने सोमवार को सरकार का हलफनामा पेश किया जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस काफी समय तक विभिन्न सतहों पर रह सकता है और अखबार ऐसी चीज है, जिसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जाता है. इससे संक्रमण फैलने की आशंका पैदा हो जाती है.
हालांकि जस्टिस वराले ने कहा कि अदालत हलफनामे में दिए गए बयान के पीछे के तर्क को समझने में विफल रही.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘ऐसा लगता है कि हलफनामे में एक सामान्य और चलताऊ बयान दिया गया है. जवाब में विशेषज्ञों की किसी टिप्पणी या स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति की कोई राय का जिक्र नहीं है.’
इसमें कहा गया है कि इसके विपरीत, समाचार पत्रों में प्रकाशित कुछ विशेषज्ञों के बयानों का आशय यह है कि यह धारणा रखने की कोई जरूरत नहीं है कि अखबार कोरोना वायरस फैलाने का माध्यम है.
जस्टिस वराले ने कहा कि लॉकडाउन अवधि में समाचार पत्रों के पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई है क्योंकि जनता की दिलचस्पी विस्तृत जानकारी के साथ नवीनतम अपडेट जानने में है जो केवल समाचार पत्रों में उपलब्ध होगी.
अदालत को न्याय मित्र सत्यजीत बोरा ने सूचित किया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में चेन्नई में समाचार पत्रों के घरों तक वितरण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
बोरा ने उसे आदेश की कॉपी मांगी है. अदालत ने सरकार से जवाब में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जून की तारीख तय की है.
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं की घरों तक पहुंच सेवा पर 18 अप्रैल को रोक लगाने का फैसला किया था.
हालांकि बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच की ओर से महाराष्ट्र सरकार के अखबार वितरण पर प्रतिबंध के फैसले पर सवाल उठाने के बाद राज्य सरकार ने अपने फैसले में संशोधन करते हुए कहा था कि यह रोक केवल मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) और पुणे में लागू होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)