लॉकडाउन के दौरान 898 बाल विवाह रोके गए: स्मृति ईरानी

केंद्रीय महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि ‘चाइल्डलाइन 1098’ के माध्यम से ये बाल विवाह रोके गए.

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New Delhi : Union HRD minister Smriti Irani show documents while addressing a press conference regarding Aam Aadmi Party's charges of corruption against Finance Minister Arun Jaitley related to Delhi and Development Cricket Association, BJP headquarters in New Delhi on Thursday. PTI Photo by Subhav Shukla (PTI12_17_2015_000111B)

केंद्रीय महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि ‘चाइल्डलाइन 1098’ के माध्यम से ये बाल विवाह रोके गए.

स्मृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)
स्मृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि आपातकालीन हेल्पलाइन ‘चाइल्डलाइन 1098’ के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान 898 बाल विवाह रोके गए.

उन्होंने यह भी बताया कि ‘चाइल्डलाइन 1098’ ने 18,200 फोन कॉल के जवाब में जरूरी दखल दिया.

ईरानी ने ट्वीट किया, ‘बच्चों के लिए बनी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की आपातकालीन हेल्पलाइन चाइल्डलाइन 1098 के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान 898 बाल विवाह रोके गए.’

इससे पहले गैर सरकार संगठन द चाइल्डलाइन इंडिया ने अप्रैल के शुरुआत में बताया था कि हेल्पलाइन नंबर पर 11 दिनों में 92,000 कॉल आईं, जिनमें हिंसा तथा उत्पीड़न से बचाने की गुहार लगाई गई थी.

चाइल्डलाइन इंडिया की उपनिदेशक हरलीन वालिया ने बताया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से 20-31 मार्च के बीच ‘चाइल्डलाइन 1098’ पर 3.07 लाख फोन कॉल आए थे. इनमें से 30 फीसदी कॉल बच्चों से जुड़ी थीं जिनमें हिंसा और उत्पीड़न से बचाव की मांग की गई थी. 30 फीसदी कॉल की यह संख्या 92,105 है.

बीते मार्च महीने में सरकार की ओर से लोकसभा में बताया गया था कि साल 2018 में देश भर में बाल विवाह के 500 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें सर्वाधिक मामले असम राज्य से सामने आए थे.

पिछले कुछ सालों में बाल विवाह के मामले बढ़ने संबंधी सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया था कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार साल 2005-06 में ऐसे विवाह की संख्या 47.4 फीसदी थी, जो कि साल 2015-16 में कम होकर 26.8 फीसदी रह गई.

ईरानी ने बाल विवाह के संबंध में साल 2016 से 2018 के बीच के आंकड़े लोकसभा में साझा किए थे. उन्होंने बताया था कि 2016 में बाल विवाह के 326, 2017 में 395 और 2018 में 501 मामले दर्ज किए गए.

उन्होंने बताया कि 2018 में असम में बाल विवाह के 88, कर्नाटक में 73, पश्चिम बंगाल में 70 मामले दर्ज किए गए और तमिलनाडु में ऐसे 67 मामले सामने आए थे.

मंत्री ने बताया था कि 2016 से 2018 के बीच जिन राज्यों से बाल विवाह का एक भी मामला सामने नहीं आया उनमें अरुणाचल प्रदेश, गोवा, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, दमन और दीव, दादरा नगर हवेली तथा लक्षद्वीप शामिल हैं. दिल्ली में इस अवधि में हर साल एक-एक मामला दर्ज किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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