यह घटना राज्य के मलप्पुरम में गुरुवार को हुई, जहां लॉकडाउन के बीच करीब सौ प्रवासी मज़दूरों ने घर भेजे जाने की मांग करते हुए मार्च निकाला.
मलप्पुरम: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश भर में लागू लॉकडाउन प्रोटोकॉल के बीच करीब 100 प्रवासी कामगारों ने घर भेजे जाने की मांग को लेकर गुरुवार को मार्च निकाला.
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने बुधवार को ही राज्यों के भीतर आपसी सहमति से प्रवासी कामगारों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, छात्रों और अन्य को सशर्त एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने की अनुमति ही दी है, जिसके बाद यह प्रदर्शन हुआ.
मलप्पुरम के डीएसपी ने बताया, ‘दूसरे राज्यों के तकरीबन 100 कामगारों ने अपने घर वापसी के लिए मदद की मांग करते हुए मार्च निकाला. हमने उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया और उनके साथ बातचीत करके उनकी मांगें सुनी.’
उन्होंने कहा कि कामगार अपने घर जाने के लिए परिवहन के साधनों की मांग कर रहे हैं क्योंकि फिलहाल यहां कोई काम नहीं है.
बुधवार को आए मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, केरल के रेड जोन में शामिल मलप्पुरम में 1,500 से ज्यादा लोगों को निगरानी में रखा गया है और एक व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है.
अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने (कामगारों) कहा कि घर में उनके परिवार को दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण कामगार अपने-अपने घर पैसे भेजने में अक्षम हैं. उनका कहना है कि यहां भोजन और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन वे खुश नहीं हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.’
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मार्च में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम जांच कर रहे हैं कि कहीं इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं है या फिर किसी ने उन्हें भड़काया तो नहीं है.’
द न्यूज मिनट के मुताबिक पुलिस अधिकारी अब्दुल करीम ने कहा, ‘हमने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया है और उनसे यह पता लगाने के लिए पूछताछ कर रहे हैं कि क्या किसी ने उन्हें उकसाया तो नहीं था. उन्हें बुधवार को केंद्र से दिशानिर्देशों की जानकारी नहीं थी. हमने अब उन्हें बता दिया है.’
केरल के मलप्पुरम के पास एक छोटा-से कस्बे छत्तीपराम्बु- जहां प्रवासी मजदूरों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया था, में सैकड़ों प्रवासी मजदूर रहते हैं. विरोध करने वाले ज्यादार प्रवासी मजदूर पश्चिम बंगाल के हैं.
मलप्पुरम के पुलिस उपाधीक्षक (एसपी) जलील थोटाथिल ने कहा, ‘उनके पास यहां भोजन और अन्य सुविधाएं हैं लेकिन वे दुखी थे क्योंकि वे अपने परिवार में वापस नहीं जा पा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से काम नहीं है तो अपने परिवारों को पैसे नहीं भेज पा रहे हैं.’
उन्होंने बताया कि विरोध प्रदर्शन को रोकने में पुलिस को काफी दिक्कत हुई लेकिन अनुरोध के बाद उन्हें शिविरों में वापस लाने में सफल रही.
राज्य भर में लगभग 20,000 राहत शिविर हैं जिनमें लगभग चार लाख प्रवासी कामगारों को लॉकडाउन के बाद से आश्रय दिया गया है. उन राहत शिविरों में कामगारों को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं जैसे- भोजन, स्वास्थ्य, मनोरंजन की सुविधाएं आदि दी जा रही हैं.
बता दें कि लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों द्वारा घर भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने की खबरें लगातार आ रही हैं.
बीते बुधवार को आईआईटी हैदराबाद में घर भेजने की मांग को लेकर हजारों प्रवासी मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन किया था. पथराव में तीन पुलिसकर्मी घायल हुए थे.
गुजरात के सूरत में फंसे प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते 28 अप्रैल को सूरत में फंसे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों ने प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान प्रवासी कामगारों ने डॉयमंड बोर्स नाम की कंपनी के दफ्तर पर पथराव भी किया था.
बीते 14 अप्रैल को लॉकडाउन की समयसीमा तीन मई तक बढ़ाए जाने की घोषणा के बीच प्रवासी मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर सूरत शहर के वराछा क्षेत्र में सड़क पर बैठ गए थे.
इससे पहले बीते 10 अप्रैल को लॉकडाउन के बीच सूरत शहर में वेतन और घर वापस लौटने की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर पर सड़क पर उतर आए थे.
इन मजदूरों ने शहर के लक्साना इलाके में ठेलों और टायरों में आग लगा कर हंगामा किया था. इस घटना के संबंध में पुलिस ने 80 लोगों को गिरफ्तार भी किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)