भारत और चीन के सैनिकों के बीच इसी तरह की घटना पैंगोंग झील के पास अगस्त 2017 में हुई थी. उसके बाद यह ऐसी पहली घटना है जिसमें दोनों ओर के सैनिकों के बीच झड़प हुई है.
नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख और दोनों देशों के बीच सीमा से लगे सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दो तीखी झड़पें हुईं हैं. इन झड़पों में दोनों ओर के कई सैनिक घायल हो गए. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को दी.
सूत्रों ने बताया कि पहली घटना पांच मई देर शाम पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर हुई जिसमें भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई. दोनों पक्षों के बीच गतिरोध अगली सुबह बातचीत के बाद समाप्त हुआ.
सूत्रों ने बताया कि इसमें दोनों ओर से कई सैनिकों को मामूली चोटें आयीं क्योंकि उनके बीच घूंसे चले और उन्होंने एक-दूसरे पर पथराव भी किया. सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की इस घटना में करीब 200 कर्मी शामिल थे. झड़प के बाद दोनों ओर से अतिरिक्त सैनिक तैनात किए गए.
दोनों देशों के सैनिकों के बीच इस तरह की घटना पैंगोंग झील के पास अगस्त 2017 में हुई थी. उसके बाद यह ऐसी पहली घटना है जिसमें दोनों ओर के सैनिकों के बीच झड़प हुई है.
इसमें भारत के कितने सैनिकों को चोटें आयी हैं, इस बारे में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
सूत्रों ने बताया कि एक अन्य घटना में करीब 150 भारतीय सैनिक और चीनी सैन्य कर्मियों के बीच चीन-भारत सीमा के सिक्किम सेक्टर के नाकू ला दर्रे के पास झड़प हुई. इस झड़प में कम से कम 10 सैनिकों को चोटें आयीं.
सूत्रों ने बताया कि सैनिकों के बीच झड़प हुई और उनके बीच घूंसे भी चले.
सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘सीमा की निगरानी करने वाले सैनिकों के बीच अस्थायी और अल्प अवधि के गतिरोध की घटनाएं होती हैं क्योंकि सीमाओं का समाधान नहीं हुआ है … दोनों पक्षों द्वारा आक्रामक व्यवहार से सैनिकों को मामूली चोटें आईं.’
उन्होंने कहा, ‘स्थानीय स्तर पर बातचीत और संवाद के बाद सैनिकों को अलग किया गया. सैनिक स्थापित प्रोटोकॉल के अनुरूप ऐसे मामलों को परस्पर रूप से सुलझा लेते हैं.’
भारत और चीन के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन के पास 73 दिन तक गतिरोध कायम रहा था. उस घटना से परमाणु सम्पन्न दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंकाएं भी उत्पन्न हो गई थीं.
भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है. चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है जबकि भारत इसका खंडन करता आया है. दोनों पक्षों का कहना है कि सीमा मुद्दे का हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने डोकलाम गतिरोध के कुछ महीनों बाद अप्रैल 2018 में चीनी शहर वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता की थी.
वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने निर्णय किया था कि वे अपनी सेनाओं को ‘रणनीतिक मार्गदर्शन’ जारी करेंगे जिससे उनमें विश्वास और समझ का निर्माण हो सके.
मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में हुआ था जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और व्यापक बनाने पर जोर दिया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने, एक दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीन रहने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)